Waqf Amendment Bill: लोकसभा में बुधवार को 12 घंटे की चर्चा के बाद वक्फ संशोधन बिल पास हो गया। रात 2 बजे हुई वोटिंग में 520 सांसदों ने भाग लिया। 288 ने पक्ष में और 232 ने विपक्ष में वोट डाले। आज यह बिल राज्यसभा में पेश होगा। माना जा रहा है कि यह बिल राज्यसभा में भी आसानी से पास हो जाएगा। इसे पारित होने के बाद काफी कुछ बदल जाएगा, कई चीजों की परिभाषा बदल जाएगी। अगर ये बिल पास होता है तो वक्फ कानून में बड़े बदलाव आएंगे। आइए देखते हैं कि कौन से बड़े बदलाव हमें देखने को मिलने वाले हैं।
क्या है पांच बड़े बदलाव ?
1. वक्फ बोर्डों की संरचना में भी बदलाव देखने को मिलेगा। गैर-मुस्लिमों को बोर्ड के सदस्यों के रूप में शामिल करना अनिवार्य हो जाएगा। यह कानून लागू होने के छह महीने के भीतर हर वक्फ संपत्ति को केंद्रीय डेटाबेस पर पंजीकृत करना अनिवार्य बनाता है। हालांकि, यह वक्फ ट्रिब्यूनल को कुछ परिस्थितियों में समय-सीमा बढ़ाने का अधिकार देता है। विवाद की स्थिति में राज्य सरकार के अधिकारी को यह निर्धारित करने का अधिकार होगा कि संपत्ति वक्फ है या सरकार की। मुस्लिम संगठनों का तर्क है कि अधिकारी द्वारा सरकार के पक्ष में निर्णय दिए जाने की संभावना है।
2. अब दान में मिली संपत्ति ही वक्फ की होगी। वक्फ बोर्ड में दो महिलाओं के साथ दूसरे धर्म से जुड़े दो लोग शामिल हो सकेंगे। जमीन पर दावा करने वाला अपील कर सकेगा। ट्रिब्यूनल, रेवेन्यू कोर्ट में अपील कर सकेगा। सिविल कोर्ट या हाईकोर्ट में अपील हो सकेगी। ट्रिब्यूनल के फैसले को चुनौती दी जा सकेगी।
3. कोई भी व्यक्ति उसी जमीन को दान में दे पाएगा, जो उसके नाम पर रजिस्टर्ड होगी। अगर कोई व्यक्ति किसी और के नाम पर रजिस्टर्ड जमीन को दान में देता है तो इसे गैर-कानूनी माना जाएगा। वक्फ भी ऐसी संपत्तियों पर अपना दावा नहीं कर पाएगा। ‘वक्फ-अल-औलाद’ के तहत महिलाओं को भी वक्फ की जमीन में उत्तराधिकारी माना जाएगा। वक्फ में दी गई जमीन का पूरा ‘ब्यौरा’ ऑनलाइन पोर्टल पर 6 महीने के अंदर अपलोड करना होगा और कुछ मामलों में इस समय अवधि को बढ़ाया भी जा सकता है।
4. जिन सरकारी संपत्तियों पर वक्फ अपना अधिकार बताता है, उन संपत्तियों को पहले दिन से ही वक्फ की सम्पत्ति नहीं माना जाएगा। अगर ये दावा किया जाता है कि कोई सरकारी संपत्ति वक्फ की है तो ऐसी स्थिति में राज्य सरकार एक नामित अधिकारी से जांच कराएगी और ये कलेक्टर रैंक से ऊपर का अधिकारी होगा। अगर इस रिपोर्ट में वक्फ का दावा गलत निकलता है तो सरकारी सम्पत्ति का पूरा ब्यौरा Revenue Record में दर्ज किया जाएगा और ये सरकारी संपत्ति वक्फ की नहीं मानी जाएगी।
5. लोगों के पास वक्फ Tribunal के फैसले के खिलाफ 90 दिनों में Revenue कोर्ट, सिविल कोर्ट और हाई कोर्ट में अपील दायर करने का अधिकार होगा, जो मौजूदा कानून में नहीं है। केंद्र और राज्य सरकारों के पास वक्फ के खातों का ऑडिट कराने का अधिकार होगा, जिससे किसी भी तरह की बेईमानी और भ्रष्टाचार को रोका जा सकेगा। वक्फ बोर्ड सरकार को कोई भी जानकारी देने से इनकार नहीं कर सकता और वक्फ बोर्ड ये भी नहीं कह सकता कि कोई जमीन आज से 200-300 या 500 साल पहले किसी इस्लामिक काम के लिए इस्तेमाल हो रही थी तो वो जमीन उसकी है।
क्या है वक्फ अधिनियम ?
वक्फ (संशोधन) बिल 2024, वक्फ अधिनियम 1995 में बदलाव करने वाला एक विधेयक है। केंद्र सरकार वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, पारदर्शिता और दुरुपयोग रोकने के लिए नियमों को सख्त करने के उद्देश्य से इस बिल को लागू करना चाहती है। वक्फ अरबी का शब्द है। इसका मतलब खुदा के नाम पर दी जाने वाली वस्तु या संपत्ति है। इसे परोपकार के उद्देश्य से दान किया जाता है। कोई भी मुस्लिम अपनी चल और अचल संपत्ति को वक्फ कर सकता है। अगर कोई भी संपत्ति एक भी बार वक्फ घोषित हो गई तो दोबारा उसे गैर-वक्फ संपत्ति नहीं बनाया जा सकता है।
वक्फ बोर्ड के पास कितनी है संपत्ति
बता दें कि वर्ष 1950 में पूरे देश में वक्फ बोर्ड के पास सिर्फ 52 हज़ार एकड़ जमीन थी, जो वर्ष 2009 में 4 लाख एकड़ हो गई। 2014 में 6 लाख एकड़ हो गई और अब वर्ष 2025 में वक्फ बोर्ड के पास देश की कुल 9 लाख 40 हज़ार एकड़ जमीन है। देश में सेना और रेलवे के बाद सबसे ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड के पास है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे उम्मीद (यूनीफाइड वक्फ मैनेजमेंट इम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट) नाम दिया है।
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