Union Carbide Waste Disposal: मध्य प्रदेश के पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के कचरे के निपटान को लेकर दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे इस मामले को हाईकोर्ट में उठाएं, क्योंकि यह पहले से ही हाईकोर्ट में लंबित है।
क्या है मामला ?
याचिकाकर्ता इंदौर निवासी चिन्मय मिश्रा द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि पीथमपुर में कचरे के निपटान से पहले वहां के निवासियों से कोई राय नहीं ली गई। याचिका में यह भी चिंता व्यक्त की गई कि इस प्रक्रिया से रेडिएशन फैल सकता है, जिससे स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो सकता है। याचिकाकर्ताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि अगर रेडिएशन फैलता है तो प्रभावित लोगों के लिए कोई मेडिकल सुविधा उपलब्ध नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया और याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट जाने की सलाह दी।
पीथमपुर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद प्रशासन ने पीथमपुर में सुरक्षा बढ़ा दी है। रामकी कंपनी, जहां कचरे का निपटान किया जाना है, वहां और पूरे शहर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। 600 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके।
ट्रायल रन की योजना
हाईकोर्ट ने पहले ही आदेश दिया था कि यूनियन कार्बाइड के कचरे के निपटान का ट्रायल रन 27 फरवरी से शुरू होगा। इसे तीन चरणों में किया जाएगा, और पहले चरण में 10 मीट्रिक टन कचरा जलाया जाएगा।
स्थानीय संगठनों का विरोध
इस फैसले के बाद, पीथमपुर बचाओ समिति के अध्यक्ष डॉ. हेमंत हीरोले ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं, लेकिन वे हाईकोर्ट में अपनी बात मजबूती से रखेंगे। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि जब तक हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई पूरी नहीं कर लेता, तब तक ट्रायल रन को रोका जाए।
डॉ. हीरोले ने यह भी चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने कचरे को जलाने की प्रक्रिया शुरू की, तो स्थानीय लोग हड़ताल पर चले जाएंगे और एक व्यापक जनांदोलन की शुरुआत होगी।
यूनियन कार्बाइड हादसे की कहानी
यूनियन कार्बाइड का कचरा भोपाल गैस त्रासदी से जुड़ा है, जो 1984 में हुई थी और इसे दुनिया की सबसे भयावह औद्योगिक दुर्घटनाओं में गिना जाता है। इस त्रासदी के दौरान हजारों लोग मारे गए थे और लाखों लोग इससे प्रभावित हुए थे। हादसे के बाद बड़ी मात्रा में जहरीले कचरे को सुरक्षित रूप से नष्ट करने का मुद्दा लगातार चर्चा में बना हुआ है।
मध्य प्रदेश सरकार ने इस कचरे के निपटान के लिए पीथमपुर को चुना, लेकिन स्थानीय निवासियों और पर्यावरणविदों ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है। उनका तर्क है कि यह कचरा जलाने से पीथमपुर और आसपास के इलाकों में प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
अगले कदम
अब जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया है, याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट में अपनी दलीलें पेश करनी होंगी। हाईकोर्ट का फैसला यह तय करेगा कि पीथमपुर में कचरा जलाने की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी या इसे रोक दिया जाएगा।
इस बीच, स्थानीय नागरिक और सामाजिक कार्यकर्ता इस मुद्दे पर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और प्रशासन से अपनी मांगों पर विचार करने की अपील कर रहे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि हाईकोर्ट इस मामले पर क्या फैसला सुनाता है और प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है।