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 Lohagarh Fort History : लोहागढ़ की क्या है कहानी, जिसे अंग्रेजों से लेकर मुगल भी भेद नहीं सके?
लाइफस्टाइल

Lohagarh Fort History : लोहागढ़ की क्या है कहानी, जिसे अंग्रेजों से लेकर मुगल भी भेद नहीं सके?

by Nidhi Jain May 16, 2023

Lohagarh Fort History : देश में एक समय ऐसा भी था, जब मुगलों ने भारत की कई रियासतों पर कब्जा कर रखा था। पहले तो उन्हें लूटा और फिर अंग्रेजों ने देश को गुलाम बना लिया, लेकिन एक किला ऐसा भी है, जहां अंग्रेजों की एक भी नहीं चली। जी हां, सही पढ़ा आपने। राजस्थान के लोहागढ़ किले ने करीब 13 हमले झेले, लेकिन इसके बाद भी दुश्मन इसे जीत नहीं सके। तो आइए जानते हैं उस वजह के बारे में जिसके कारण अंग्रेजों से लेकर मुगल भी इसे (Lohagarh Fort History) भेद नहीं सके।

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किसने बनवाया था लोहागढ़ किला

आपको बता दें कि साल 1733 में लोहागढ़ किले (Lohagarh Fort History) का निर्माण हुआ था, जिसे महाराजा सूरजमल ने बनाया था। राजा सूरजनल ने इस किले को इस तरह से बनवाया था कि दुश्मनों के लिए इसे भेद पाना नामुमकिन हो। इतिहासकारों के मुताबिक इस किले को बनाने में लगभग 8 साल का लंबा समय लगा था, जिसे बनाने में मिट्टी के साथ-साथ एक खास तरह के मैटेरियल का भी इस्तेमाल किया था। जैसे कि चिकनी मिट्टी, चूना, भूसा और गोबर आदि। इसी वजह से जब इस पर गोला फेंका जाता था, तो गोले दीवारों में फंस जाते थे और उन पर गोलियों का थोड़ा सा भी असर नहीं होता था।

किले के चारों तरफ था मगरमच्छों का पहरा 

जानकारों के मुताबिक, जब इस किले (Lohagarh Fort History) का निर्माण करवाया जा रहा था, तो ऐसी रणनीति बनाई गई थी, जिससे दुश्मनों को धूल चटाई जा सके।इसके लिए किले में विभिन्न गेट भी लगवाए गए थे, जिन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता हैं। साथ ही किले के चारों ओर 100 फीट चौड़ी और 60 फुट खाई बनाई गई थी ताकि दुश्मन इसे पार नहीं कर पाएं। साथ ही इसमें ऐसी व्यवस्था बनाई थी, जिससे मोती झील और सुजान गंगा नहर का पानी सीधे आ सके। इसी के साथ इसमें मगरमच्छ भी छोड़े गए।

कहा जाता है कि महाराजा ने महल (Lohagarh Fort History) की ऐसी व्यूह रचना जानबूझकर बनवाई थी, क्योंकि जब भी कभी कोई महल पर आक्रमण करता था, तो मगरमच्छों को खाना डालना बंद कर दिया जाता था और जब दुश्मन महल पर आक्रमण करते तो मगरमच्छ उन्हें अपना निवाला बना लेते थे। अगर इसके बाद भी कोई दुश्मन महल तक पहुंच जाता था, तो दीवार पर चढ़ना उसके लिए बहुत मुश्किल होता था, क्योंकि महल के ऊपर 24 सौ घंटे चौकन्ना होकर सैनिक बैठे रहते थे, जिनके एक वार से ही दुश्मन परास्त हो जाया करते थे।

किले पर 13 बार किया गया था हमला

आपको बता दें कि, लोहागढ़ किले (Lohagarh Fort History) को ध्वस्त करने के लिए मुगलों और अंगेजों ने इस पर 13 बार हमले किए थे। अंग्रेजों ने तो किले पर कब्जा करने के लिए चार बार बड़ी-बड़ी सेनाओं के साथ किले को घेरा था, लेकिन फिर भी वो उसमें नाकाम रहे। इतिहासकरों के मुताबिक, बताया जाता है कि साल 1805 में ब्रिटिश जनरल लार्क लेक ने भी किले पर आक्रमण किया था, जिसमें उनके 3 हजार से ज्यादा सैनिकों की मौत हुई थी। इनती बड़ी संख्या में अपने सैनिकों की मौत देखकर जनरल लार्क का मनोबल ऐसा टूटा कि उन्होंने कभी दोबारा इस पर हमला करने की हिम्मत नहीं जुटाई। हालांकि, अब इस किले को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर दिया गया है, जिसमें जाने के लिए कोई फीस नहीं देनी होती है।

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Tags: lohagah fort lohagarh lohagarh fort Lohagarh Fort History Lohagarh Fort Story
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