Thursday, November 21, 2024
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गंगा में बहाएंगें मेडल्स, इंडिया गेट पर आमरण अनशन… नए सिरे से शुरू होगा पहलवानों का प्रदर्शन

रविवार को पुलिस से हुई झड़प के बाद पुलिस ने जंतर-मंतर से पहलवानों के धरने को भले ही खत्म करा दिया है। हालांकि अब पहलवान नए सिरे से अपनी लड़ाई शुरू करने की तैयारी में हैं। जी हां, भले जंतर मंतर पर धरने पर प्रतिबंध लगने के बाद अब पहलवानों ने बड़ा फैसला किया। पहलवानों ने ऐलान किया है कि वो मेडल्स को गंगा में बहाएंगे। साथ ही इसके बाद वो इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठेंगे।

पहलवानों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर अपने इस फैसले की जानकारी दी। विनेश फोगाट ने एक नोट सोशल मीडिया पर शेयर कर बताया कि पहलवान हरिद्वार में आज शाम छह बजे अपने मेडल गंगा में प्रवाहित करेंगे और इसके बाद दिल्ली में इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठेंगे।

“न्याय मांगकर अपराध किया?”

नोट में उन्होंने लिखा कि 28 मई को जो हुआ वह आप सबने देखा, पुलिस ने हम लोगों के साथ क्या व्यवहार किया। हमें कितनी बर्बरता के साथ गिरफ्तार किया गया। हम शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे, हमारे आंदोलन की जगह को भी पुलिस ने तहस-नहसकर हमसे छीन लिया और अगले दिन गंभीर मामलों में हमारे ऊपर ही FIR दर्ज कर दी गई। उन्होंने पूछा कि क्या महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न का न्याय मांगकर कौन अपराध कर दिया।

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नोट में आगे लिखा गया कि पुलिस और तंत्र हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है, जबकि उत्पीड़क खुली सभाओं में हमारे ऊपर फबतियां कस रहा है। हम महिला पहलवान अंदर से ऐसा महसूस कर रही हैं कि इस देश में हमारा कुछ बचा नहीं है, हमें वे पल याद आ रहे हैं जब हमने ओलंपिक, वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीते थे। अब लग रहा है कि क्यों जीते थे, क्या इसलिए जीते थे कि तंत्र हमारे साथ ऐसा घटिया व्यवहार करें, हमें घसीटे और फिर हमें ही अपराधी बना दें।

“गले में सजे मेडल्स का कोई मतलब नहीं…”

अपने मेडल्स गंगा में प्रवाहित करने का ऐलान करते हुए उन्होंने कहा कि अब लग रहा है कि हमारे गले में सजे इन मेडलों का कोई मतलब नहीं रह गया है। इनको लौटाने की सोचने भर से हमें मौत लग रही थी, लेकिन अपने आत्मसम्मान के साथ समझौता करके भी क्या जीना? यह सवाल आया कि किसे लौटाएं। हमारी राष्ट्रपति को, जो खुद एक महिला हैं, मन ने न कहा, क्योंकि वह हमसे सिर्फ दो किलोमीटर बैठी देखती रहीं, लेकिन कुछ भी बोली नहीं। हमारे प्रधानमंत्री को जो हमें अपने घर की बेटियां बताते थे, मन नहीं माना, क्योंकि उन्होंने एक बार भी अपने घर की बेटियों की सुध-बुध नहीं ली। बल्कि नई संसद के उद्घाटन में हमारे उत्पीड़क को बुलाया।

इसके साथ ही इस नोट के लिए जरिए उन्होंने घोषणा की कि इन मेडलों को हम गंगा में बहाने जा रहे हैं, क्योंकि वह गंगा मां हैं। जितना पवित्र हम गंगा को मानते हैं उतनी ही पवित्रता से हमने मेहनत कर इन मेडलों को हासिल किया था। ये मेडल सारे देश के लिए ही पवित्र हैं और पवित्र मेडल को रखने की सही जगह पवित्र मां गंगा ही हो सकती है, न कि हमें मुखौटा बना फायदा लेने के बाद हमारे उत्पीड़क के साथ खड़ा हो जाने वाला हमारा अपवित्र तंत्र। मेडल हमारी जान हैं, हमारी आत्मा हैं। इनके गंगा में बह जाने के बाद हमारे जीने का भी कोई मतलब रह नहीं जाएगा। इसलिए हम इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे। इंडिया गेट हमारे उन शहीदों की जगह है जिन्होंने देश के लिए अपनी देह त्याग दी। हम उनके जितने पवित्र तो नहीं हैं लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलते वक्त हमारी भावना भी उन सैनिकों जैसी ही थी।

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रविवार को हुआ था भारी हंगामा

गौरतलब है कि नई संसद भवन के उद्घाटन वाले दिन यानी 28 मई को पहलवानों के प्रदर्शन को लेकर बड़ा बवाल खड़ा हो गया था। पहलवानों ने नई संसद के सामने उद्घाटन वाले दिन ही महिला महापंचायत करने का ऐलान किया था। हालांकि इसके लिए पहलवानों को दिल्ली पुलिस की तरफ से अनुमति नहीं मिली थी।  रविवार को पहलवानों ने महापंचायत करने के लिए संसद मार्च निकाला और बेरिकेड्स फांदने की कोशिश की, जिसे दिल्ली पुलिस ने रोका। इसी दौरान दिल्ली पुलिस और पहलवानों के बीच झड़प हो गई। पुलिस ने पहलवानों को हिरासत में ले लिया। हिरासत में लेने के बाद दिल्ली पुलिस द्वारा पहलवानों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई। जंतर-मंतर पर विरोध-प्रदर्शन के आयोजकों और उनके समर्थकों पर दंगा करने तथा सरकारी कर्मचारियों के काम में बाधा डालने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने FIR दर्ज की। इसके बाद दिल्ली पुलिस के द्वारा जंतर मंतर के धरना स्थल पर धारा 144 लागू कर दी गई और प्रदर्शन स्थल को खाली करा लिया गया है।

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