Saturday, July 27, 2024
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World Labour Day : मजदूर दिवस पर जानिए कितनी बदली है मजदूरों की स्थिती ?

World Labour Day : जिसके कंधो पर बोझ बड़ा वो भारत माँ का बेटा कौन ,जिसने पसीनो से भूमि को सींचा वो भारत माँ का बेटा कौन ,वह किसी का गुलाम नहीं अपने दम पर जीता है। अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस लाखो मजदूरों के परिश्रम, दृढ़निश्वय और निष्ठा का दिवस है। एक मजदूरदेश केनिर्माण में बहुमूल्य भूमिका निभाता हैऔरउसकादेश के विकास में अहम योगदान होता है। किसी भी समाज, देश, संस्था और उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों की अहम भूमिका होती है। मजदूरों के बिना किसी भी औद्योगिक ढांचे के खड़े होने की कल्पना नहीं की जा सकती हैं। इसलिए श्रमिकों का समाज में अपना एक विशेष स्थान हैं। लेकिन आज भी देश में मजदूरों के साथ अन्याय और उनका शोषण होता रहता है। आज भारत में बेसक मजदूरों के 8 घंटे काम करने का कानून लागू है लेकिन इसका पालन सिर्फ सरकारी कार्यालयों में ही देखा जा सकता है। जोकि एक प्रकार से मजदूरों का शोषण ही हैं। इसको देखते हुआ सरकार को भी इस दिशा में एक प्रभावी क़ानून बनाना चाहिए। इसका सख्ती से पालन करना चाहिए।

मजदूरों की निश्चित राशि होनी  जरूरी

आज भी देश में कम मजदूरी पर मजदूरों से काम कराया जाता है। हाल के दिनों में फैक्ट्रियों या प्राइवेट कंपनियों द्वारा पूरा काम लिया जाता है। मजदूरी के नाम पर बहुत कम मजदूरी दिया जाता है। इस राशि से मजदूरों को अपने परिवार का खर्चा चलाना मुश्किल हो जाता है। कुछ मजदूरों के बच्चे तो पैसे के अभाव में शिक्षा से वंचित रह जाते है। भारत में जिरते शिक्षा और बढ़ते अशिक्षा का एक कारण मजदूरों के काम मजदूरी को भी माना जाता है। यह एक प्रकार से मानवता का उपहास है। सरकार को भी मजदूरों के लिए एक निश्चित राशि कर देनी चाहिए जिससे मजदुर के परिवार को भूखा न रहना पढ़े ना ही मजदुर के बच्चे को शिक्षा से वंचित रहना पड़े। आज भी हमरे देश में लाखो लोगो से बंधुआ मजदूरी कराई जाती है। ये संविधान के अनुच्छेद 23 का पूर्णतः उलंघन है।

बंधुआ मजदूरी जैसी अमानवीयता को रोकने का प्रयास जरूरी

समाज और सरकार को मिलकर बंधुआ मजदूरी जैसी अमानवीयता को रोकने का सामूहिक प्रयास करना चाहिए। आज भी देश में मजदूरी में लैंगिग भेदभाव आम बात हो गई है। फैक्टरियों में आज भी महिलाओ को पुरुष के मुकाबले कम वेतन दिया जाता हैं,परन्तु उनकी क्षमताओं से अधिक काम लिया जाता है। ओहि महिलाओ को सारी सुविधा भी नहीं दिया जाता है। आज जरूरत है कि सभी उद्योगों को लैंगिग भेदभाव से बचन चाहिए और महिलाओं को उनके काम के अनुसार मजदूरी और सारी सुविधा देनी चाहिए। देश में आज भी छोटे छोटे बच्चे स्कूल ना जा कर बालश्रम करने को मजबूर है। जो बच्चे बाल मजदूरी करते हैं,उनका मानसिक शारीरिक और बौद्धिक विकास नहीं हो पाता। बालश्रम की समस्या बच्चों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित करती है, जो कि संविधान के विरुद्ध है।

बाल श्रम रोकने के लिए बनाए गए है कई कड़े कानून

हालांकि बाल श्रम रोकने के लिए कई कड़े कानून बनाये गये है।इसके बावजूद बच्चों से होटलों, कारखानों, दुकानों इत्यादि में दिन-रात कार्य कराया जाता है एक मासूम का बचपन उससे छिन लिया जाता है। बालश्रम की समस्या का समाधान तभी होगा, जब हर बच्चे के पास उसका अधिकार पहुंच जाएगा। इसके लिए जो बच्चे अपने अधिकारों से वंचित हैं, उनके अधिकार उनको दिलाने के लिए समाज और देश को सामूहिक प्रयास करने होंगे। देश के किसी भी हिस्से में कोई भी बच्चा बाल श्रमिक दिखे, तो देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह बाल मजटूरी का विरोध करे।अगर देश से बाल मजदूरी रुकेगी तभी मजदूर दिवस मनाना भी सार्थक होगा। मजदूर दिवस के अवसर पर संपूर्ण राष्ट्र को समाज की प्रगति, समृ्द्धि तथा खुशहाली में दिए गए श्रअमिकों के योगदान को नमन करना चाहिए। देश के उत्पादन में वृद्धि और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो उच्च मानक हासिल किए गए हैं, वे हमारे श्रमिकों के अथक प्रयासों का ही नतीजा है।

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