
कब,कहां और कैसे हुई शिवलिंग की उत्पत्ति, जानिए शिव से जुड़े कई अनसुने रहस्य
Shivling Unheard Secret : शिवशंकर, नटराज, कपाली और त्रिलोकेश समेत कई अनेक नामों से भगवान शिव को जाना जाता हैं। हिन्दू धर्म में, भगवान शिव जी की मूर्ति और शिवलिंग दोनों की पूजा-अर्चना की जाती है। शिव जी और शिवलिंग की साधना और पूजा-अर्चना करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। धार्मिक शास्त्रों में शिव जी की महिमा को अपरंपार बताया गया हैं। साथ ही शिवलिंग के महत्त्व के बारे में भी बताया गया है। आज हम आपको शिवलिंग से जुड़े कई रोचक रहस्य के बारे में बताएंगे।
शिवलिंग का अर्थ
शिवलिंग दो शब्दों से बना है, शिव और लिंग। शिव का अर्थ होता है कल्याणकारी और लिंग का अर्थ होता है सृजन। हिन्दू मान्यता के अनुसार, शिवलिंग के दो प्रकार होते है, ज्योतिर्लिंग और पारद शिवलिंग।
जानिए कैसे हुई शिवलिंग की उत्पत्ति
शिवलिंग को इस ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टि बनने के बाद एक समय ऐसा भी आया था जब विष्णु जी (Lord Vishnu) और ब्रह्माजी जी (Lord Brahmaji) के बीच युद्ध हुआ था। युद्ध में दोनों खुद को सबसे शक्तिशाली सिद्ध करने के तमाम प्रयास कर रहें थे। इस दौरान आसमान से एक आकाशवाणी हुई और एक चमकीला पत्थर दिखा। आकाशवाणी में कहा गया, जो भी सबसे पहले इस पत्थर का अंत ढूंढ लेगा, उसे ही सबसे ज्यादा शक्तिशाली माना जाएगा। बता दें कि वो पत्थर और कुछ नहीं शिवलिंग ही था।
भगवान विष्णु (Lord Vishnu ने धरती पर और भगवान ब्रह्मा जी ने आसमान में उस पत्थर के अंत को ढूंढ़ने की कोशिश की। लेकिन दोनों को ही पत्थर नहीं मिले और दोनों ने मन में हार मानने की बात सोची। इस बीच ब्रह्मा जी ने सोचा अगर मैं भी हार मान लूंगा तो विष्णु जी को सबसे ज्यादा शक्तिशाली माना जाएगा। इसलिए भगवान ब्रह्मा ने कहा, उन्हें पत्थर का अंत मिल गया है। इसी बीच फिर से आकाशवाणी हुई और कहा गया कि मैं शिवलिंग हूं और मेरा न कोई अंत है और न ही शुरुआत। इस तरह धरती पर शिवलिंग की उत्पत्ति हुई।
बहरहाल, ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति को लेकर कई कथाएं प्रचलित है और कौन सी सही है और कौन सी नहीं। इसको लेकर हमेशा संदेह रहता है।
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