Thursday, November 21, 2024
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Islam में क्या है Alimony का नियम, तलाक होने पर क्या है इसकी प्रक्रिया

Alimony in Islam: इस्लाम में शादी एक कॉन्ट्रैक्ट होती है। इसके तहत मेहर की रकम तय होती है। उसको लेकर बाकायदा पेपर बनता है और उस पेपर पर दोनों पक्षों के दस्तखत होते हैं। शादी टूटने या तलाक होने पर मेहर की यह रकम महिला को मिल जाती है।

Alimony in Islam: क्रिकेटर हो या बॉलीवुड अभिनेता, सिंगर हो या बड़े नेता या चाहे गीतकार ही क्यों ना हों, आज तलाक आम विषय बन चुका है। आय दिन हम तलाक को लेकर खबरें देखते ही हैं। कुछ महीने क्रिकेटर हार्दिक पांड्या का तलाक हुआ था, मीडिया में इसकी खूब चर्चा हुई। कल यानी 20 नवंबर को मशहूर गीतकार एआर रहमान ने शादी के करीब तीस साल बाद तलाक की घोषणा कर दी।

सभी हैरान और परेशान हैं। आमिर खान का केस भी कुछ ऐसा ही है। अब लगातार सवाल खड़ें हो रहे हैं जहां शादी और तलाक के बीच द्वंध को खंगालने की कोशिश की जा रही है। वहीं, तलाक के बाद एलिमनी को लेकर भी चर्चा काफी जोरों शोरों से की जा रही है।

Islam में एलिमनी के नियम क्या हैं?

हालिया एआर रहमान की तलाक के बाद आखिर ये सवाल खड़ें हो रहे हैं कि उनकी पूर्व पत्नी सायरा को आखिर कितना गुजारा भत्ता मिलेगा? आखिर इस्लाम में एलोमिनी के नियम क्या हैं? आइए समझते हैं…दरअसल, इस्लाम में शादी एक कॉन्ट्रैक्ट होती है। इसके तहत मेहर की रकम तय होती है। उसको लेकर बाकायदा पेपर बनता है और उस पेपर पर दोनों पक्षों के दस्तखत होते हैं। शादी टूटने या तलाक होने पर मेहर की यह रकम महिला को मिल जाती है। ऐसे में एआर रहमान से सायरा की तलाक के बाद उन्हें केवल मेहर की रकम मिलेगी।

हर मुस्लिम महिला को गुजारा भत्ता पाने का अधिकार

लेकिन, पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला दिया था। 10 जुलाई 2024 के एक अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक मुस्लिम महिला अपने पति से गुजारा भत्ता पाने की हकदार है।

सीआरपीसी के सेक्शन 125 को आधार बनाते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि एक मजिस्ट्रेट के पास यह अधिकार है कि वह पत्नी, बच्चों और यहां तक कि माता-पिता के लिए गुजारा भत्ता तय करे। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर सवाल भी उठाए गए। आलोचकों ने कहा कि यह फैसला मुस्लिम पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप है। खैर, इस फैसले को आधार बनाया जाए तो सायरा, एआर रहमान से गुजारा भत्ता हासिल करने की हकदार हैं। अब यह सवाल है कि उनको कितना गुजारा भत्ता मिलेगा तो यह मजिस्ट्रेट तय करेगा। एक न्यायिक मजिस्ट्रेट पति की आर्थिक हैसियत को देखते हुए गुजारा भत्ता तय करता है।

क्या होता है गुजारा भत्ता | What is alimony ?

बता दें कि तलाक के कारण महिलाओं को काफी सामाजिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में तलाक के बाद महिला अपना गुजर-बसर कर सके, इसके लिए वह एलिमनी की मांग कर सकती है। आसान भाषा में एलिमनी का मतलब गुजारा भत्ता होता है। महिलाएं तलाक के बाद या पहले अपनी गुजर-बसर के लिए पति से गुजारा भत्ता मांग सकती हैं। पति गुजारा भत्ता देने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य होता है। हालांकि गुजारा भत्ता कितना होगा यह पति और पत्नी दोनों के इंटरेस्ट को ध्यान में रखकर तय किया जाता है।

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