Wayanad by-election: प्रियंका गांधी वाड्रा आज से वायनाड उपचुनाव के लिए अपने प्रचार अभियान की शुरुआत कर रही हैं। वे आज तीन बड़ी रैलियों को संबोधित करेंगी, जिसमें मीनांगडी, पनामाराम और पोझुथाना शामिल हैं। प्रियंका ने 23 अक्टूबर को वायनाड से अपने नामांकन पत्र दाखिल किया था। यह सीट राहुल गांधी के सांसद बनने के बाद खाली हुई थी, जिसके चलते यहां उपचुनाव हो रहा है।
वायनाड सीट पर उपचुनाव 13 नवंबर को होने वाले हैं। यहां मुख्य मुकाबला प्रियंका गांधी वाड्रा, नव्या हरिदास और सत्यन मोकेरी के बीच है। यह सीट कांग्रेस का पारंपरिक गढ़ रही है, जहां राहुल गांधी लगातार जीतते आए हैं। वायनाड में मुकाबला हमेशा कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के बीच ही होता आया है, लेकिन बीजेपी का वोट भी धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। इस बार के उपचुनाव के नतीजों पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि परिणाम पार्टी के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
प्रियंका गांधी ने 2019 में कांग्रेस की महासचिव बनने के बाद से किसी चुनाव में भाग नहीं लिया है। उन्होंने अपने परिवार और पार्टी के प्रचार में ही अपनी भूमिका निभाई। इस बार, प्रियंका अपने भाई राहुल की सीट वायनाड से चुनाव लड़ रही हैं, और यह उनका पहला चुनाव है। राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में वायनाड से शानदार जीत हासिल की थी। प्रियंका का चुनावी मैदान में उतरना एक महत्वपूर्ण घटना है, क्योंकि इससे पार्टी को नई ऊर्जा और दिशा मिल सकती है।
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प्रियंका ने हाल ही में वायनाड के लोगों को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने कहा था, “मैं राहुल और वायनाड के रिश्ते को मजबूत करूंगी।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह उनकी पहली यात्रा है, लेकिन वे राजनीति में नई नहीं हैं। जब वे 17 साल की थीं, तब उन्होंने अपने पिता राजीव गांधी के लिए 1989 में चुनाव प्रचार किया था, और इसके बाद उन्होंने अपनी मां सोनिया और भाई राहुल के लिए भी वोट मांगे। अब, पहली बार, वे अपने लिए समर्थन मांगने निकली हैं, जो उनके राजनीतिक करियर का एक नया अध्याय है।
बीजेपी ने प्रियंका गांधी के खिलाफ नव्या हरिदास को मैदान में उतारा है। नव्या एक युवा नेता हैं और उनकी पहचान तेजी से बढ़ रही है। वायनाड में बीजेपी का वोट बैंक भी धीरे-धीरे बढ़ रहा है, जिससे कांग्रेस के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है। प्रियंका गांधी के लिए यह चुनाव एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, क्योंकि यदि वे जीत जाती हैं, तो यह उनकी राजनीतिक ताकत को और बढ़ा सकता है।
उपचुनाव के नतीजे न केवल प्रियंका के लिए, बल्कि कांग्रेस पार्टी के लिए भी महत्वपूर्ण होंगे। वायनाड की सीट कांग्रेस के लिए एक प्रतिष्ठा का प्रश्न है। अगर प्रियंका वायनाड में जीत हासिल करने में सफल होती हैं, तो यह उनकी राजनीतिक छवि को मजबूत कर सकता है और भविष्य में उनकी भूमिका को महत्वपूर्ण बना सकता है।
वायनाड में चुनाव प्रचार के दौरान प्रियंका को वायनाड की स्थानीय समस्याओं और मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा। स्थानीय लोगों के साथ संवाद स्थापित करना और उनकी समस्याओं का समाधान पेश करना उनकी चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकता है। प्रियंका का यह कदम कांग्रेस के लिए नई उम्मीदें लेकर आया है, और वे इस चुनाव में अपनी पार्टी के लिए एक मजबूत संदेश देना चाहेंगी।
कुल मिलाकर, प्रियंका गांधी का वायनाड उपचुनाव में प्रवेश एक नई शुरुआत है। वे अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगी, और यह चुनाव न केवल उनके लिए बल्कि कांग्रेस के भविष्य के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।