Sunday, October 13, 2024
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Waqf Amendment Bill : वक्फ संशोधन बिल के सुझावों में जाकिर नायक की संलिप्तता होने की आशंका

Waqf Amendment Bill: वक्फ संशोधन बिल को लेकर देश भर में बड़े पैमाने पर प्रतिक्रियाएँ आई हैं, जिसके तहत संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को 1.25 करोड़ से अधिक ईमेल और 75,000 से अधिक लिखित सुझाव प्राप्त हुए हैं। यह सुझाव और प्रतिक्रियाएँ उस समय की समाप्ति के बाद आई हैं, जब वक्फ संशोधन बिल पर जनता से विचार मांगने का अंतिम दिन 15 सितंबर 2023 को समाप्त हो गया था। हालाँकि, इन सुझावों की प्रामाणिकता को लेकर अब सवाल उठ रहे हैं, जिसमें मुख्य रूप से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने गंभीर आरोप लगाए हैं।

Waqf Amendment Bill

निशिकांत दुबे का दावा 

बीजेपी सांसद और जेपीसी के वरिष्ठ सदस्य निशिकांत दुबे ने इन सुझावों को लेकर अंतरराष्ट्रीय साजिश का दावा किया है। दुबे ने समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल को पत्र लिखकर कहा है कि वक्फ संशोधन बिल पर आए सुझावों में कई कट्टरपंथी संगठनों और विदेशी शक्तियों की भूमिका हो सकती है। उनका कहना है कि इन सुझावों में कई ऐसे नाम शामिल हैं जो कट्टरपंथी विचारधारा वाले संगठनों से जुड़े हुए हैं, जैसे जाकिर नाइक और अंतर्राष्ट्रीय गुप्तचर एजेंसी ISI। इसके अलावा उन्होंने चीन और अन्य विदेशी शक्तियों द्वारा इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने की आशंका जताई है।

दुबे ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि कई सुझावों की भाषा और सामग्री एक जैसी है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इन सुझावों को बड़े पैमाने पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के माध्यम से भेजा गया है। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए इन सुझावों की जांच केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा कराई जानी चाहिए और जांच की रिपोर्ट जेपीसी के सामने रखी जानी चाहिए।

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल

“द हिंदू” की एक रिपोर्ट के अनुसार, सुझावों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बड़ा योगदान हो सकता है। 1 करोड़ से अधिक सुझावों की भाषा और ढांचा एक समान पाया गया है, जिससे यह संभावना व्यक्त की जा रही है कि एआई तकनीक का उपयोग करके सुझाव भेजे गए हैं। इन सुझावों में एक जैसे शब्दों और वाक्यों का इस्तेमाल किया गया है, जो एक संगठित प्रयास का संकेत देते हैं। निशिकांत दुबे ने इसे ‘साइबर साजिश’ बताया है और इस साजिश में विदेशी शक्तियों की संभावित भूमिका का भी दावा किया है।

गृह मंत्रालय से जांच की मांग

निशिकांत दुबे ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से अनुरोध किया है कि इन सुझावों की जांच की जाए और यह देखा जाए कि कहीं इसके पीछे विदेशी संगठनों और शक्तियों की भूमिका तो नहीं है। दुबे का कहना है कि इस प्रकार की साजिश भारतीय लोकतंत्र और नीतिगत प्रक्रियाओं को कमजोर करने की कोशिश हो सकती है। उनके अनुसार, इन सुझावों की सत्यता की जांच करना और यह पता लगाना जरूरी है कि क्या यह सुझाव वास्तव में जनता के प्रतिनिधित्व हैं या फिर किसी विदेशी ताकत की ओर से निर्देशित प्रतिक्रिया है।

जेपीसी की अगली कार्रवाई

जेपीसी अब विभिन्न राज्यों का दौरा करेगी और वक्फ बोर्ड और राज्य अल्पसंख्यक आयोगों से मिलकर सुझावों और मुद्दों पर विचार करेगी। समिति विभिन्न राज्यों से वक्फ बोर्डों और अल्पसंख्यक आयोगों की राय भी सुनेगी। इसके साथ ही, समिति को मिले सभी सुझावों और आपत्तियों का विस्तृत विश्लेषण किया जाएगा। दुबे ने यह भी कहा कि जेपीसी को गृह मंत्रालय द्वारा की गई जांच के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए।

वक्फ संशोधन बिल से जुड़ा यह मुद्दा अब न केवल कानूनी और नीतिगत दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय साजिश और साइबर हमलों जैसे बड़े मुद्दों के साथ भी जुड़ गया है। निशिकांत दुबे द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच होने पर ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ आई प्रतिक्रियाएँ वास्तव में जनता की आवाज हैं या फिर विदेशी शक्तियों द्वारा संचालित एक साजिश का हिस्सा।

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