Varanasi Mass Murder: वाराणसी में भदैनी के निवासी राजेंद्र प्रसाद गुप्ता और उनके परिवार की हत्या एक दिल दहला देने वाली घटना है जिसने शहर को झकझोर कर रख दिया है। इस त्रासदी ने न केवल पुलिस और प्रशासन की कार्यक्षमता पर सवाल खड़े किए हैं बल्कि मानवीय संवेदनाओं पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाए हैं। हत्या के बाद सरकारी प्रक्रियाओं में देरी और शवों को हरिश्चंद्र घाट पहुंचाने के दौरान एंबुलेंस चालकों द्वारा पैसे मांगने जैसी घटनाओं ने इस त्रासदी को और भी दर्दनाक बना दिया। इस लेख में हम इस घटना का विस्तार से विश्लेषण करेंगे और हत्या के संभावित कारणों और इससे जुड़े विवादों पर भी चर्चा करेंगे।
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यह हत्या कांड वाराणसी के भदैनी इलाके में हुआ, जहां राजेंद्र प्रसाद गुप्ता (56), उनकी पत्नी नीतू (45) और उनके तीन बच्चों—नमनेंद्र (24), सुबेंद्र (15), और गौरांगी (17)—की निर्मम हत्या की गई। मंगलवार को राजेंद्र का शव मीरापुर रामपुर स्थित उनके निर्माणाधीन मकान में पाया गया, जबकि नीतू और तीनों बच्चों के शव उनके भदैनी स्थित घर में अलग-अलग जगहों पर मिले। हत्या को इतनी निर्दयता से अंजाम दिया गया कि सभी को सिर, सीने और कनपटी पर 15 गोलियां मारी गईं।
हत्या के खुलासे की प्रक्रिया
राजेंद्र गुप्ता के परिवार की हत्या का खुलासा तब हुआ जब घर की सफाई करने वाली महिला रीता देवी मंगलवार को सुबह 11 बजे आई। जब उसने दरवाजा खटखटाया, तो कोई जवाब नहीं मिला, जिसके बाद उसने दरवाजा खोला। अंदर जाते ही उसने नीतू को खून से लथपथ देखा। रीता ने तुरंत दूसरे फ्लैट में जाकर देखा, जहां नमनेंद्र और गौरांगी के शव पड़े थे। बाथरूम में सुबेंद्र का शव मिला। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन राजेंद्र वहां नहीं थे। उनकी लोकेशन सर्विलांस से ट्रैक की गई और मीरापुर रामपुर गांव में उनके निर्माणाधीन मकान के कमरे में उनका शव पाया गया।
हत्या के बाद प्रशासनिक लापरवाही
हत्या के बाद शवों को पोस्टमार्टम के लिए शिवपुर स्थित पोस्टमार्टम हाउस ले जाया गया। इस दौरान एक्स-रे की मशीन खराब होने के कारण पोस्टमार्टम में 46 घंटे की देरी हुई। बुधवार को जब एक्स-रे किया गया, तो नीतू और सुबेंद्र के शरीर पर लगी गोलियों की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई, जिससे दोबारा एक्स-रे करना पड़ा। अंततः बृहस्पतिवार दोपहर को पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी हुई।
एंबुलेंस चालकों द्वारा पैसे की मांग
पोस्टमार्टम के बाद शवों को हरिश्चंद्र घाट ले जाने के लिए तीन एंबुलेंस चालकों ने राजेंद्र के रिश्तेदारों से 30,000 रुपये की मांग की। काफी बहस के बाद अंततः 19,000 रुपये में शवों को ले जाने पर बात बनी। एंबुलेंस चालकों का कहना था कि उन्हें पोस्टमार्टम हाउस के कर्मचारियों को भी पैसा देना पड़ता है, इसलिए इतनी राशि की आवश्यकता थी। इस घटना ने मानवीय संवेदनाओं को आहत कर दिया, क्योंकि इतने कठिन समय में भी परिजनों से पैसे की मांग की गई।
हत्या के पीछे संभावित कारण
राजेंद्र गुप्ता एक संपन्न व्यक्ति थे और उनके पास करोड़ों रुपये की संपत्ति थी। 10 लाख रुपये प्रति माह किराये के अलावा, उन्हें शराब के ठेके से भी अच्छी आमदनी होती थी। पुलिस की जांच के अनुसार, राजेंद्र पर 1997 में अपने पिता, छोटे भाई, उसकी पत्नी और एक चौकीदार की हत्या का आरोप था। इसके कारण वे जेल भी गए थे। इसके अलावा, राजेंद्र ने दो शादियाँ की थीं और हाल ही में एक अन्य महिला से उनकी करीबी बढ़ रही थी। ये सभी बिंदु हत्या के पीछे संभावित कारण माने जा रहे हैं, जिनकी जांच के लिए पुलिस की दस टीमें गठित की गई हैं।
पुलिस की जांच और साक्ष्य
पुलिस को घटनास्थल पर .32 बोर की पिस्टल के खोखे मिले हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि हत्या में इसी प्रकार के हथियार का इस्तेमाल हुआ था। इसके अलावा, सीसीटीवी फुटेज की मदद से और सर्विलांस के आधार पर संदिग्धों की पहचान करने की कोशिश की जा रही है। पुलिस का मानना है कि हत्या के पीछे पुरानी रंजिश और संपत्ति विवाद हो सकता है। राजेंद्र के पहले की घटनाओं और उनके जीवनशैली की भी गहराई से जांच की जा रही है ताकि हत्या के कारणों का पता लगाया जा सके।
घटना से जुड़ी अन्य बातें
राजेंद्र गुप्ता का परिवार उनके पांच मंजिला मकान में रहता था, जिसमें विभिन्न फ्लैट्स और टिनशेड में लगभग 40 किरायेदार भी रहते थे। हत्या के बाद रिश्तेदारों और किरायेदारों ने मिलकर अंत्येष्टि के लिए 44,000 रुपये चंदे के रूप में जुटाए। घटना की भयानकता ने वाराणसी के लोगों को झकझोर दिया है और समाज में अमानवीय व्यवहार और लालच को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं।
यह घटना एक दुखदायी उदाहरण है कि किस प्रकार व्यक्तिगत विवाद, संपत्ति की लालच और पूर्व की रंजिशें किसी के जीवन को समाप्त करने तक जा सकती हैं। इस हत्याकांड ने न केवल राजेंद्र गुप्ता के परिवार को खत्म कर दिया बल्कि उनके रिश्तेदारों और समाज में भी भय और असंतोष का माहौल पैदा कर दिया। पुलिस की जांच और न्याय प्रक्रिया का उचित तरीके से पालन करना बेहद जरूरी है ताकि दोषियों को सजा मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
इस घटना ने मानवता, नैतिकता और पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकारी तंत्र की लापरवाही और असंवेदनशीलता ने इस त्रासदी को और भी दर्दनाक बना दिया है। यह समय की मांग है कि ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए पुलिस और प्रशासन को अधिक संवेदनशील और जिम्मेदार बनाया जाए, ताकि पीड़ित परिवारों को न्याय और संवेदना मिल सके।