विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने बढ़ते साइबर क्राइम के मामलों को देखते हुए अलर्ट जारी किया है। छात्रों को स्कैम से बचने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं। कुल 126 पन्नों की इस हैंडबुक में साइबर हमलों से बचने के लिए क्या करना है, क्या नहीं, इस बारे में विस्तार से समझाया गया है। आयोग ने सोशल मीडिया “X” साइबर हाइजीन हैंडबुक का लिंक भी साझा किया है। जिसमें स्कैम या फ्रॉड के तरीके, उदाहरण, बचाव गाइडलाइंस और अन्य जानकारी दी गई है।
छात्र हो रहे हैं साइबर हमलों का शिकार
दरअसल, साइबर हमलों का शिकार होने वालों में बड़ी संख्या में उच्च शिक्षा से जुड़े छात्र-छात्राएं हैं, क्योंकि वे अपनी दैनिक गतिविधियों में एंड्रॉयड मोबाइल, कंप्यूटर और लैपटॉप का अधिक इस्तेमाल करते हैं। चूंकि यह पीढ़ी साइबर मामलों में तुलनात्मक रूप से ज्यादा कुशल भी होती है, इसलिए विश्वविद्यालय परिसर में मिलने वाली जानकारियों को वे अपने परिजनों और परिचितों में साझा भी कर सकते हैं।
खुद की गलतियों से फंसते हैं लोग
विशेषज्ञों के मुताबिक, 90 प्रतिशत लोग स्वयं अपनी गलतियों से फंसते हैं। सिर्फ दस प्रतिशत लोग ही होते हैं जो तकनीकी कारणों में उलझाकर हैकर्स फंसा पाता है।डिजिटल अरेस्ट, फेस बुक हैक, न्यूड वीडियो, आनलाइन प्रापर्टी या किराए पर घर देने के विज्ञापन के नाम पर ठगी होती है। इसके अलावा अब मेट्रिमोनियल एप, ग्रीनडर एप, डेटिंग एप, ट्रेडिंग या फिर बिजली व अन्य बिल जमा करने में हेराफेरी हैकर्स कर रहे हैं।
अगर कहीं गलती होती है तो टोल फ्री नंबर 1930 पर काल करके तुरंत सूचना देना है। नजदीकी साइबर सेल में जाकर रिपोर्ट करानी है। इसके अलावा www.cybercrime.org.in, sancharsarthi, ceir जाकर शिकायत कर सकते हैं।
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