Delhi University: दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) न केवल भारत के प्रमुख शैक्षिक संस्थानों में से एक है, बल्कि यह भारतीय राजनीति का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। स्वतंत्रता संग्राम से लेकर वर्तमान तक, इस विश्वविद्यालय ने कई प्रमुख राजनेताओं को जन्म दिया है।
विशेष रूप से DUSU (Delhi University Students’ Union) छात्र राजनीति का एक महत्वपूर्ण मंच रहा है, जहाँ से कई नेताओं ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़े हुए कई नेता भारतीय राजनीति के शीर्ष पदों तक पहुँचे हैं। इस लेख में, हम ऐसे ही कुछ प्रमुख नेताओं के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
रेखा गुप्ता: मुख्यमंत्री
रेखा गुप्ता, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रमुख नेता, ने 20 फरवरी 2025 को दिल्ली की नौवीं मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। वह दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री हैं।
19 जुलाई 1974 को हरियाणा के जुलाना में जन्मी रेखा गुप्ता का परिवार बाद में दिल्ली स्थानांतरित हो गया। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज से वाणिज्य में स्नातक (बी.कॉम) किया और 2022 में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से विधि स्नातक (एलएल.बी) की डिग्री प्राप्त की।
रेखा गुप्ता ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1992 में दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान छात्र राजनीति से की। वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़ीं और 1996-1997 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) की अध्यक्ष चुनी गईं।
भाजपा में शामिल होने के बाद, उन्होंने तीन बार पार्षद के रूप में सेवा की और दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) की महापौर भी रहीं। 2025 के विधानसभा चुनावों में, उन्होंने शालीमार बाग सीट से आम आदमी पार्टी की वंदना कुमारी को 29,595 वोटों से हराकर विधायक पद हासिल किया।
भाजपा विधायक दल की बैठक में रेखा गुप्ता को सर्वसम्मति से नेता चुना गया, जिसके बाद उन्होंने 20 फरवरी 2025 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनकी कैबिनेट में छह मंत्री शामिल हैं, जिनमें प्रवेश वर्मा, मनजिंदर सिरसा, आशीष सूद, रविंदर इंद्रजीत सिंह, पंकज सिंह और कपिल मिश्रा शामिल हैं। इस मंत्रिमंडल में जातीय संतुलन का विशेष ध्यान रखा गया है।
रेखा गुप्ता की नियुक्ति के पीछे भाजपा की रणनीति में महिला सशक्तिकरण, वैश्य समुदाय का प्रतिनिधित्व और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ उनके मजबूत संबंध शामिल हैं। इन कारकों ने उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार बनाया।
अपने राजनीतिक करियर में, रेखा गुप्ता ने संगठनात्मक कौशल और नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन किया है, जो उन्हें दिल्ली की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाता है।
शीला दीक्षित: दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री | Delhi University
शीला दीक्षित भारतीय राजनीति की एक प्रमुख हस्ती थीं, जिन्होंने 1998 से 2013 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) की वरिष्ठ नेता थीं और दिल्ली के विकास में उनके योगदान को आज भी सराहा जाता है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस से स्नातक शीला दीक्षित ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत समाज सेवा से की। उनकी नेतृत्व क्षमता के चलते उन्हें दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला। उनके 15 वर्षों के कार्यकाल के दौरान, दिल्ली ने बुनियादी ढांचे और नागरिक सुविधाओं में महत्वपूर्ण सुधार देखा। उन्होंने दिल्ली मेट्रो परियोजना को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे शहर में सार्वजनिक परिवहन क्रांति आई। इसके अलावा, उन्होंने सड़कों के विस्तार, बिजली और जल आपूर्ति की समस्याओं को हल करने के लिए प्रभावी कदम उठाए।
हालांकि, 2013 के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता अरविंद केजरीवाल से हार के बाद, उन्हें केरल की राज्यपाल नियुक्त किया गया। हालांकि, कुछ समय बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया। शीला दीक्षित ने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में जनसेवा को प्राथमिकता दी और दिल्ली को आधुनिक शहर बनाने में योगदान दिया।
उनकी नेतृत्व क्षमता, विकास कार्यों और जनहित में उठाए गए कदमों के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।
अलका लांबा
अलका लांबा एक जानी-मानी राजनीतिज्ञ हैं, जिन्होंने छात्र राजनीति से लेकर राष्ट्रीय राजनीति तक अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। उनका जन्म 21 सितंबर 1975 को हुआ और उन्होंने अपनी शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय के दयाल सिंह कॉलेज से बी.एससी. में पूर्ण की।
उनका राजनीतिक सफर 1995 में तब शुरू हुआ जब वे दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) की अध्यक्ष बनीं। इसके बाद, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (NSUI) में विभिन्न पदों पर कार्य किया और संगठन की अध्यक्ष भी रहीं। कांग्रेस पार्टी के साथ 20 वर्षों तक जुड़े रहने के बाद, 2013 में उन्होंने आम आदमी पार्टी (AAP) का दामन थाम लिया।
2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में उन्होंने आम आदमी पार्टी के टिकट पर चांदनी चौक सीट से जीत दर्ज की और विधायक बनीं। हालांकि, पार्टी के साथ मतभेद उभरने के बाद उन्होंने 2019 में AAP छोड़ दी और फिर से कांग्रेस में शामिल हो गईं।
अलका लांबा सामाजिक मुद्दों पर अपनी मुखर राय और स्पष्ट विचारों के लिए जानी जाती हैं। वे महिला सशक्तिकरण, शिक्षा और समाज सेवा से जुड़े मुद्दों पर सक्रिय रूप से काम करती रही हैं। उनका राजनीतिक सफर संघर्षों और उतार-चढ़ाव से भरा रहा है, लेकिन वे हमेशा जनता से जुड़े मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखती हैं।
अजय माकन: एक अनुभवी कांग्रेस नेता | Delhi University
अजय माकन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद हैं। उनका जन्म 12 जनवरी 1964 को हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ी मल कॉलेज से बी.एससी (केमिस्ट्री ऑनर्स) में पूरी की।
अजय माकन का राजनीतिक सफर 1985 में शुरू हुआ, जब वे दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) के अध्यक्ष बने। छात्र राजनीति में उनकी सक्रियता ने उन्हें कांग्रेस पार्टी में एक मजबूत स्थान दिलाया।
उन्होंने दिल्ली की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1993 में वे पहली बार दिल्ली विधानसभा के सदस्य बने और इसके बाद लगातार तीन बार विधायक चुने गए। शीला दीक्षित सरकार में वे मंत्री रहे और कई अहम विभागों की जिम्मेदारी संभाली।
अजय माकन ने केंद्र सरकार में भी अपनी जिम्मेदारी निभाई। वे युवा मामले और खेल मंत्रालय में मंत्री रहे और भारत में खेलों के विकास के लिए कई योजनाओं पर काम किया। इसके अलावा, उन्होंने शहरी विकास मंत्रालय में भी अपनी सेवाएं दीं।
माकन कांग्रेस पार्टी में विभिन्न पदों पर कार्य कर चुके हैं। वे दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे और संगठन को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
किरण बेदी: भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी
किरण बेदी भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी के रूप में जानी जाती हैं। उनका जन्म 9 जून 1949 को पंजाब में हुआ। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक किया और बाद में विधि संकाय से कानून की पढ़ाई की।
1972 में किरण बेदी ने भारतीय पुलिस सेवा (IPS) जॉइन की। अपने कड़े अनुशासन और ईमानदारी के कारण वे विभिन्न पदों पर रहीं। दिल्ली, गोवा, मिजोरम और चंडीगढ़ में उन्होंने कानून व्यवस्था को मजबूत किया।
किरण बेदी को विशेष रूप से तिहाड़ जेल में सुधार कार्यों के लिए जाना जाता है। उन्होंने जेल प्रशासन में कई सकारात्मक बदलाव किए, जिससे कैदियों का जीवन बेहतर हुआ। योग, शिक्षा और कौशल विकास के माध्यम से उन्होंने जेल को सुधार गृह में बदलने का प्रयास किया।
सेवानिवृत्ति के बाद किरण बेदी सामाजिक कार्यों और राजनीति में सक्रिय रहीं। 2016 में उन्हें पुडुचेरी का उपराज्यपाल नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने प्रशासनिक सुधार लाने का प्रयास किया। वे 2021 तक इस पद पर रहीं।
किरण बेदी अपने साहस, अनुशासन और नेतृत्व क्षमता के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने पुलिस सेवा, जेल सुधार और प्रशासनिक कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी प्रेरणादायक यात्रा कई महिलाओं और युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।
प्रवेश साहिब सिंह वर्मा
प्रवेश साहिब सिंह वर्मा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रमुख नेता और लोकसभा सांसद हैं। वे दिल्ली की राजनीति में एक महत्वपूर्ण चेहरा हैं और पश्चिम दिल्ली लोकसभा सीट से निर्वाचित हुए हैं।
प्रवेश वर्मा का जन्म एक राजनीतिक परिवार में हुआ था। उनके पिता साहिब सिंह वर्मा दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और एक वरिष्ठ भाजपा नेता थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली में पूरी की और किरोड़ी मल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.कॉम की डिग्री प्राप्त की।
प्रवेश वर्मा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भाजपा से की और पार्टी संगठन में विभिन्न पदों पर कार्य किया। वे 2013 में पहली बार दिल्ली विधानसभा के सदस्य (विधायक) चुने गए। इसके बाद, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के टिकट पर पश्चिम दिल्ली से सांसद चुने गए।
एक सांसद के रूप में, वे अपने संसदीय क्षेत्र के विकास कार्यों में सक्रिय रहे हैं। वे दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों, जल संकट और बुनियादी सुविधाओं की समस्याओं को उठाने में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। भाजपा के प्रमुख नेता के रूप में, वे पार्टी की नीतियों और विचारधारा को आगे बढ़ाने में सक्रिय रहते हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय न केवल शिक्षा का केंद्र है बल्कि यह नेतृत्व, नवाचार और सामाजिक परिवर्तन का भी केंद्र बना हुआ है। यहाँ से निकले छात्र आगे चलकर देश के नेतृत्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं और भविष्य में भी ऐसा करते रहेंगे।