The Story Of Karn: महाभारत सनातन धर्म का सबसे प्रसिद्ध और विशाल ग्रंथ है। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो महाभारत के बारे में नहीं जानता होगा। वैसे तो महाभारत कौरवों और पांडवों के बीच हुए युद्ध का वर्णन है लेकिन युद्ध के साथ ही महाभारत के कई ऐसे पात्र हैं जिनकी अद्भुत कहानी भी हमें महाभारत में सुनने को मिलती है।
महाभारत में एक कहानी का वर्णन मिलता है जिसके अनुसार महाभारत के युद्ध में भाग लेने वाला एक योद्धा मरने के बाद भी कुछ दिनों के लिए जीवित हुआ था। इतना ही नहीं कुछ दिनों बाग वह दोबारा यमलोक में चला गया था। जानते हैं उस पात्र और उसकी कहानी के बारे में।
कौन जीवित हुआ था ?
महाभारत ग्रंथ में कौरवों जिनकी संख्या 100 थी और पांडवों जिनकी संख्या केवल 5 थी उनके युद्ध का वर्णन मिलता है। कौरवों की सेना में धृतराष्ट्र के 100 पुत्रों से अलग अन्य कई योद्धा और भी शामिल थे। युद्ध में पांडवों की जीत हुई थी और कौरवों की सेना की ओर से लङने वाले सभी योद्धा मृत्यु को प्राप्त हुए थे लेकिन उन सभी योद्धाओं में एक ऐसा भी था जो मरने के बाद भी एक बार केवल 16 दिन के लिए जीवित होकर धरती पर आया था।
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उस योद्धा का नाम है कर्ण। कुंती पुत्र कर्ण जिसे दानवीर कर्ण के नाम से भी जाना जाता है। वह महाभारत के युद्ध में लङते-लङते मर गया था लेकिन उसके बाद यमराज ने पितृ पक्ष में 16 दिन के लिए उसे फिर से जीवित किया था।
मरने के बाद धरती पर क्यों आए थे कर्ण ? The Story Of Karn
कर्ण बहुत बङा दानवीर था। उसने अपने जीवन में बहुत दान-पुण्य किए थे। कर्ण के दान की कथाएं इतनी प्रचलित है कि उसे दानवीर कर्ण के नाम से जाना जाता है। कहानी के अनुसार कर्ण ने अपने जीवन में बहुत सोना दान किया था। वह ब्राह्मण, भिखारी और गरीब सब को केवल सोना ही दान करता था। मृत्यु के बाद जब कर्ण स्वर्ग गया तो उसे वहाँ खाने को केवल सोना ही दिया गया। कर्ण को खाने के लिए सोने के अलावा और कुछ नहीं मिला। तब कर्ण ने देवराज इन्द्र से इसका कारण पूछा। देवराज इन्द्र ने कहा कि व्यक्ति जीवन में जो भी दान करता है मरने के बाद उसे वही मिलता है।
तुमने अपने पूरे जीवन में केवल सोना ही दान दिया है। कभी किसी को अन्न दान नहीं किया। यही कारण है कि तुम्हें खाने के लिए सोना ही मिलेगा। ये बात सुनकर कर्ण को अपनी गलती का अहसास हुआ। उसने अपनी इस गलती को सुधारने के लिए एक बार जीवित होने की विनती की जिससे वह धरती लोक पर जाकर अपनी इस भूल का पश्चाताप कर सकें। तब यमराज ने पितृ पक्ष में 16 दिन के लिए कर्ण के धरती लोक पर वापिस भेजा।
कैसे किया कर्ण ने अपनी गलती का पश्चाताप ? The Story Of Karn
कर्ण जब स्वर्ग लोक से धरती पर वापिस आया तब उसने पितृ पक्ष में सबसे पहले अपने पितरों का पिण्डदान और श्राद्ध किया। कर्ण ने कई गरीबों को भोजन कराया और ब्राह्मणों को अन्न दान दिया। पितृ पक्ष में पूरे 16 दिन तक कर्ण ने खूब अन्न दान किया। तब 16 दिन बाद जब कर्ण स्वर्ग लोक गया तब उसे अन्न प्राप्त हुआ।