Suryagrahan 2025 Dates: साल 2025 में खगोल विज्ञान के दृष्टिकोण से चार प्रमुख ग्रहण होंगे: दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण। इनमें से केवल एक चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा। आइए, इन ग्रहणों की तिथियों, समय और भारत में उनकी दृश्यता के बारे में विस्तार से जानते हैं।
1. पहला सूर्य ग्रहण: 29 मार्च 2025
साल का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च को लगेगा। यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, जो यूरोप, एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, अटलांटिक महासागर और आर्कटिक महासागर के क्षेत्रों में दिखाई देगा। भारत में यह ग्रहण दृश्य नहीं होगा। भारतीय समयानुसार, यह ग्रहण दोपहर 2 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगा और शाम 6 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगा।
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2. पहला चंद्र ग्रहण: 14 मार्च 2025
साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च को फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन लगेगा। यह एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जो पश्चिमी यूरोप, पश्चिमी अफ्रीका, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, अंटार्कटिका, पश्चिमी प्रशांत महासागर, ऑस्ट्रेलिया, एशिया और हिंद महासागर में दिखाई देगा। हालांकि, यह ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा। भारतीय समयानुसार, यह ग्रहण सुबह 10 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगा और दोपहर 2 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगा।
3. दूसरा चंद्र ग्रहण: 7-8 सितंबर 2025
साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 7 सितंबर की रात से 8 सितंबर की सुबह तक लगेगा। यह एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा और भारत में स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। भारतीय समयानुसार, यह ग्रहण रात 8 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगा और 8 सितंबर की सुबह 2 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगा। इस दौरान चंद्रमा गहरे लाल रंग का दिखाई देगा, जिसे “ब्लड मून” भी कहा जाता है। यह ग्रहण भारत के अलावा यूरोप, अंटार्कटिका, पश्चिमी प्रशांत महासागर, ऑस्ट्रेलिया और हिंद महासागर क्षेत्र में भी देखा जा सकेगा।
4. दूसरा सूर्य ग्रहण: 21-22 सितंबर 2025
साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सितंबर की रात से 22 सितंबर की सुबह तक लगेगा। यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, जो न्यूजीलैंड, पूर्वी मेलानेशिया, दक्षिणी पोलिनेशिया और पश्चिमी अंटार्कटिका में दिखाई देगा। भारत में यह ग्रहण दृश्य नहीं होगा। भारतीय समयानुसार, यह ग्रहण रात 10 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगा और 22 सितंबर की सुबह 2 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगा।
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सूतक काल के नियम:
सूतक काल ग्रहण से पूर्व का वह समय होता है जिसमें धार्मिक और शुभ कार्यों को करने से परहेज किया जाता है। सूर्य ग्रहण के लिए सूतक काल ग्रहण से 12 घंटे पूर्व, जबकि चंद्र ग्रहण के लिए 9 घंटे पूर्व प्रारंभ होता है। चूंकि 2025 में लगने वाले दो में से केवल एक चंद्र ग्रहण (7 सितंबर) भारत में दिखाई देगा, इसलिए केवल उसी के लिए सूतक काल मान्य होगा।
धार्मिक मान्यताएँ और सावधानियाँ:
हिंदू धर्म में ग्रहण काल को अशुभ माना जाता है, और इस दौरान कुछ विशेष सावधानियाँ बरती जाती हैं:
भोजन और पानी: ग्रहण के दौरान भोजन और पानी का सेवन वर्जित माना जाता है। विशेषकर गर्भवती महिलाओं को इस समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
पूजा-पाठ: मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं, और पूजा-अर्चना नहीं की जाती। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करके पूजा स्थल की सफाई की जाती है।
मंत्र जाप: ग्रहण के दौरान मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है, जिससे नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण:
वैज्ञानिक दृष्टि से, ग्रहण एक सामान्य खगोलीय घटना है। सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच आकर सूर्य के प्रकाश को आंशिक या पूर्ण रूप से ढक लेता है। चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आकर सूर्य के प्रकाश को चंद्रमा तक पहुँचने से रोकती है, जिससे चंद्रमा पृथ्वी की छाया में आ जाता है।
ग्रहण के दौरान सीधा सूर्य की ओर देखना आँखों के लिए हानिकारक हो सकता है, इसलिए उचित सुरक्षा उपाय अपनाने चाहिए। चंद्र ग्रहण को नंगी आँखों से देखना सुरक्षित है और यह एक रोचक खगोलीय घटना होती है।
साल 2025 में कुल चार ग्रहण होंगे, जिनमें से केवल एक चंद्र ग्रहण (7 सितंबर) भारत में दिखाई देगा और उसके लिए सूतक काल मान्य होगा। ग्रहण के दौरान धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावधानियाँ बरतना आवश्यक है, साथ ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसे एक खगोलीय घटना के रूप में समझना चाहिए।