Bareilly: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के क्योलडिया थाना क्षेत्र के ग्राम केलाडांडी में एक विवादित धार्मिक स्थल पर नमाज अदा किए जाने के बाद जो तनाव उत्पन्न हुआ, उसने जल्द ही सांप्रदायिक रंग ले लिया। विवादित स्थल पर बनी एक दीवार को लेकर शुरू हुआ यह मामला दोनों समुदायों के बीच हिंसक संघर्ष का रूप ले लिया, जिसके बाद स्थिति बिगड़ गई और दोनों ओर से ईंट-पत्थर चलने लगे। यह घटना पुलिस और प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हुई, जिसमें स्थानीय राजनेताओं का हस्तक्षेप भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता दिखा।
विवाद की शुरुआत
केलाडांडी गांव में विवादित स्थल पर नमाज पढ़ने के बाद हिंदू समुदाय के कुछ लोगों ने इस स्थल पर बनी एक दीवार को तोड़ दिया। बताया जा रहा है कि इस स्थल पर एक कमरे का निर्माण करके उसे मस्जिद के रूप में उपयोग किया जा रहा था। कुछ समय से यहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे, जिसका हिंदू समुदाय ने विरोध किया। उनके अनुसार, यह निर्माण अवैध था और इस पर कार्रवाई की मांग पुलिस प्रशासन से की गई थी। हालांकि, जब पुलिस या प्रशासन की ओर से तुरंत कोई कदम नहीं उठाया गया, तो ग्रामीणों ने खुद दीवार को तोड़ दिया, जिसके बाद दोनों पक्षों में टकराव शुरू हो गया।
पुलिस प्रशासन की भूमिका |Bareilly
घटना की गंभीरता को देखते हुए नवाबगंज के एसडीएम अजय कुमार उपाध्याय और सीओ हर्ष मोदी तत्काल मौके पर पहुंचे। उनके साथ क्योलडिया, नवाबगंज और हाफिजगंज थानों की पुलिस भी पहुंची। हालात को काबू में करने के लिए पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और दीवार तोड़ने के आरोप में 10 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद विवादित स्थल पर पुनः दीवार का निर्माण शुरू कराया गया, जिससे दूसरा पक्ष आक्रोशित हो गया और पुलिस व प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
बीजेपी विधायक का विरोध
घटना की खबर मिलते ही क्षेत्र के बीजेपी विधायक एम. पी. आर्या भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने विवादित स्थल पर हो रही गतिविधियों के खिलाफ प्रशासन के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए धरने पर बैठने का निर्णय लिया। विधायक ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए कि उनकी सरपरस्ती में अवैध मस्जिद का निर्माण कराया जा रहा है। सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिए उन्होंने अपने आरोपों को सार्वजनिक किया और कहा कि गांववासियों के विरोध के बावजूद पुलिस और प्रशासन का एकतरफा रवैया उनके लिए अस्वीकार्य है।
विधायक ने कहा, “हम अवैध मस्जिद के निर्माण को रुकवाने के लिए धरने पर बैठे हैं। पुलिस प्रशासन की मदद से मस्जिद का निर्माण कराया जा रहा है, जो ग्रामवासियों की भावनाओं के खिलाफ है।” इस बयान के बाद से मामला और भी संवेदनशील हो गया और स्थानीय प्रशासन को स्थिति को शांत करने के लिए अधिक पुलिस बल की तैनाती करनी पड़ी।
दो समुदायों के बीच तनाव
घटना के बाद इलाके में भारी तनाव फैल गया। दोनों पक्षों में गहरी नाराजगी और अविश्वास के चलते हालात और भी गंभीर हो गए। एक ओर हिंदू समुदाय का दावा था कि अवैध रूप से मस्जिद का निर्माण कर गांव के सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है, वहीं मुस्लिम समुदाय का कहना था कि वे सिर्फ अपने धार्मिक अधिकारों का पालन कर रहे थे। इस तनावपूर्ण माहौल में पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी ताकि दोनों पक्षों के बीच शांति बहाल की जा सके। विवादित स्थल को लेकर स्थिति इतनी संवेदनशील हो गई कि प्रशासन ने स्थल पर ताला डलवाकर वहां दो होमगार्ड्स की तैनाती कर दी थी।
हालांकि, शुक्रवार को जुमे की नमाज के दौरान यह ताला तोड़ दिया गया और फिर से नमाज अदा की गई, जिसके बाद विवाद ने विकराल रूप धारण कर लिया। दूसरे पक्ष के लोग आक्रोशित होकर दीवार को तोड़ने लगे, जिसके बाद हिंसक झड़पें शुरू हो गईं। ईंट-पत्थर से हुए इस संघर्ष में कई लोग घायल भी हुए।
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प्रशासन की कार्यवाही
घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस और प्रशासन ने इलाके में भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिया। साथ ही, तनाव को कम करने के लिए दोनों समुदायों के प्रमुख लोगों से वार्ता भी की जा रही है। प्रशासन का कहना है कि स्थिति को नियंत्रण में रखा जा रहा है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
एसडीएम अजय कुमार उपाध्याय ने कहा, “हमने दोनों पक्षों से बात की है और स्थिति को सामान्य करने का प्रयास किया जा रहा है। किसी भी अवैध निर्माण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, और कानून का पालन सख्ती से कराया जाएगा।”
राजनीतिक हस्तक्षेप
इस पूरे मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप भी प्रमुख भूमिका निभा रहा है। बीजेपी विधायक के धरने पर बैठने और पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाने के बाद मामला और भी संवेदनशील हो गया। विधायक एम. पी. आर्या का कहना था कि अगर अवैध निर्माण नहीं रुका, तो वे और भी कड़े कदम उठाएंगे। दूसरी ओर, प्रशासन के खिलाफ धरने के चलते पुलिस और प्रशासन के लिए स्थिति को संभालना और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है।
फिलहाल, प्रशासन ने इलाके में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी पुलिस बल की तैनाती की है और संवेदनशील स्थानों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। विवादित स्थल पर किसी भी धार्मिक गतिविधि को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। इसके साथ ही, दोनों समुदायों के बीच मध्यस्थता की कोशिश की जा रही है ताकि शांति बहाल की जा सके और किसी भी प्रकार की हिंसा को रोका जा सके।
यह घटना बरेली के सांप्रदायिक सौहार्द पर गंभीर सवाल खड़े करती है। जहां एक ओर धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा है, वहीं दूसरी ओर अवैध निर्माण और कानून व्यवस्था के पालन का सवाल भी उठता है। इस पूरे विवाद ने प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं, जिन्हें अब निष्पक्ष और संतुलित तरीके से इस मसले को सुलझाना होगा।
स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए सरकार को भी जल्द ही इस मामले में हस्तक्षेप करने की जरूरत हो सकती है ताकि शांति और सुरक्षा की भावना फिर से स्थापित हो सके।