Monday, October 14, 2024
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Jammu- Kashmir Vidhansabha Elections 2024 : खरगे के बयान पर सियासी बवाल, अमित शाह ने किया पलटवार

Jammu- Kashmir Vidhansabha Elections 2024: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने तक जीवित रहने की बात कही थी। अमित शाह ने इस बयान को अभद्र और असंवेदनशील बताते हुए कहा कि कांग्रेस के मन में प्रधानमंत्री के प्रति नफरत और डर भरा हुआ है, जो इस तरह के बयान देने पर मजबूर करता है।

खरगे का बयान और उसकी पृष्ठभूमि

29 सितंबर 2023 को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की तबीयत जम्मू कश्मीर के जसरोटा में एक चुनावी जनसभा के दौरान खराब हो गई थी। इसके बावजूद, उन्होंने सभा को संबोधित किया और अपने भाषण में कहा, “मैं तब तक जीवित रहूंगा जब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता से हट नहीं जाते।” खरगे के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हंगामा मचा दिया, खासकर बीजेपी के नेताओं के बीच।

अमित शाह ने खरगे की टिप्पणी को अनावश्यक बताते हुए कहा कि इस प्रकार के बयान से कांग्रेस के भीतर मोदी विरोध की गहराई का पता चलता है। उन्होंने कहा कि खरगे ने अपनी निजी स्वास्थ्य स्थिति में भी प्रधानमंत्री को घसीट लिया, जो पूरी तरह से अनुचित है।

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अमित शाह की प्रतिक्रिया | Jammu- Kashmir Vidhansabha Elections 2024

अमित शाह ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि खरगे के इस बयान से साफ होता है कि कांग्रेस नेतृत्व लगातार प्रधानमंत्री मोदी के प्रति एक नकारात्मक दृष्टिकोण रखता है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस के मन में प्रधानमंत्री मोदी के लिए कितनी नफरत और डर है, यह दिखाता है कि वे लगातार उनके बारे में ही सोचते रहते हैं। खरगे जी ने अपने भाषण में अभद्र भाषा के इस्तेमाल में खुद को, अपने नेताओं और अपनी पार्टी को भी पीछे छोड़ दिया है।”

शाह ने आगे कहा, “खरगे जी ने प्रधानमंत्री को अपने निजी स्वास्थ्य के मामले में अनावश्यक रूप से घसीटा है। यह कांग्रेस की कड़वाहट और उनके नेताओं के असंवेदनशील रवैये को दर्शाता है।”

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खरगे की तबीयत और प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया | Jammu- Kashmir Vidhansabha Elections 2024

जम्मू कश्मीर में जनसभा के दौरान खरगे की तबीयत बिगड़ने के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें फोन कर उनका हालचाल लिया। इस पर शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने खरगे की तबीयत को लेकर व्यक्तिगत तौर पर उनकी चिंता की, जबकि खरगे ने उनके प्रति ऐसे अपमानजनक शब्दों का उपयोग किया।

शाह ने कहा, “जहां तक कांग्रेस अध्यक्ष के स्वास्थ्य की बात है, तो प्रधानमंत्री मोदी, मैं और हम सभी उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं। हम चाहते हैं कि वे लंबे समय तक स्वस्थ रहें और 2047 तक एक विकसित भारत का निर्माण देखने के लिए जीवित रहें।”

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और तकरार

अमित शाह की प्रतिक्रिया के बाद बीजेपी और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। बीजेपी के अन्य नेताओं ने भी खरगे के बयान की आलोचना की है और इसे अनुचित बताया है। वहीं, कांग्रेस ने शाह के बयान को “राजनीतिक बचाव” करार दिया है और कहा है कि खरगे के बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि खरगे ने अपने व्यक्तिगत स्वास्थ्य के बारे में सिर्फ अपनी इच्छाशक्ति और संघर्ष की भावना को व्यक्त किया था। उन्होंने कहा, “खरगे जी ने सिर्फ यह कहा था कि वह तब तक संघर्ष करेंगे जब तक देश को मोदी सरकार से मुक्ति नहीं दिला देते। इसमें कुछ भी गलत या अभद्र नहीं है।”

कांग्रेस की सफाई

कांग्रेस ने भी खरगे के बयान पर सफाई दी है और कहा है कि उनके बयान को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है। कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा कि खरगे की टिप्पणी का उद्देश्य केवल राजनीतिक संघर्ष को व्यक्त करना था, न कि प्रधानमंत्री के प्रति कोई व्यक्तिगत अपमान। उन्होंने कहा, “हम खरगे जी के स्वास्थ्य को लेकर की गई पीएम मोदी की चिंता का स्वागत करते हैं, लेकिन उनके बयान को राजनीति का मुद्दा बनाना सही नहीं है।”

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स्वास्थ्य और राजनीति के बीच खींचतान

यह पहली बार नहीं है जब किसी नेता के स्वास्थ्य के मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी हुई हो। अक्सर नेताओं के स्वास्थ्य से जुड़े मामलों को राजनीतिक मुद्दों में घसीटा जाता है, जो कि राजनीतिक गरिमा को प्रभावित करता है। खरगे की टिप्पणी और उस पर अमित शाह की प्रतिक्रिया के बाद यह सवाल उठता है कि क्या राजनीतिक संवाद की गुणवत्ता इस स्तर पर पहुंच गई है, जहां नेताओं के व्यक्तिगत स्वास्थ्य भी चर्चा का विषय बन रहे हैं?

अमित शाह और मल्लिकार्जुन खरगे के बीच हुए इस बयानबाजी के बाद यह साफ है कि राजनीतिक माहौल में तनाव और बढ़ गया है। जहां एक तरफ बीजेपी ने खरगे के बयान को अभद्र और निंदनीय बताया है, वहीं कांग्रेस ने इसे केवल राजनीतिक संघर्ष की अभिव्यक्ति के रूप में पेश किया है। दोनों ही पक्षों की प्रतिक्रियाओं से स्पष्ट है कि 2024 के आम चुनावों से पहले राजनीतिक माहौल और भी गर्म होने वाला है।

कांग्रेस और बीजेपी के बीच इस प्रकार की तकरार न केवल राजनीतिक संवाद को प्रभावित करती है, बल्कि इससे जनता के बीच भी भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। ऐसे समय में जब देश को एकता और सहयोग की आवश्यकता है, इस प्रकार के विवाद राजनीतिक विमर्श को और भी ध्रुवीकृत बना सकते हैं।

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