RG Kar Medical College case: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता स्थित आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में महिला प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में अदालत ने सोमवार को दोषी संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाई। सियालदह कोर्ट के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिरबन दास ने दोपहर 2:45 बजे फैसला सुनाया। इसके साथ ही संजय रॉय पर ₹50,000 का जुर्माना भी लगाया गया। अदालत ने यह भी कहा कि पीड़ित परिवार को मुआवजे के रूप में ₹10 लाख और ₹7 लाख अतिरिक्त दिए जाने चाहिए।
क्या था मामला ?
यह जघन्य घटना 9 अगस्त 2024 को आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार कक्ष में हुई थी, जहां 31 वर्षीय स्नातकोत्तर प्रशिक्षु महिला चिकित्सक का शव मिला था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दुष्कर्म और हत्या की पुष्टि हुई। घटना के बाद देशभर में आक्रोश फैल गया था, और लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन हुए।
10 अगस्त 2024 को संजय रॉय को गिरफ्तार किया गया। जांच के दौरान मामले को कलकत्ता हाईकोर्ट ने कोलकाता पुलिस से सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया था। सीबीआई ने अपनी जांच में संजय रॉय को दोषी पाया।
अदालत की कार्यवाही और सजा का ऐलान | RG Kar Medical College case
शनिवार को अदालत ने संजय रॉय को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 64 (दुष्कर्म), धारा 66 (हत्या का प्रयास), और धारा 103(1) (हत्या) के तहत दोषी ठहराया। इन धाराओं के तहत न्यूनतम 10 वर्ष से लेकर अधिकतम मृत्युदंड तक का प्रावधान है।
सोमवार को सजा सुनाने से पहले दोषी संजय रॉय को अदालत में पेश किया गया। इस दौरान रॉय ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा, “मुझे फंसाया जा रहा है। मैंने कोई अपराध नहीं किया।” इसके विपरीत, सीबीआई के अधिवक्ता ने मामले को समाज को झकझोरने वाला बताते हुए कड़ी सजा की मांग की। पीड़िता के माता-पिता ने भी दोषी के लिए मृत्युदंड की मांग की थी।
संजय रॉय के वकील ने अदालत से फांसी की सजा के बजाय आजीवन कारावास देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, “भले ही यह दुर्लभतम मामला हो, लेकिन दोषी को सुधारने का अवसर दिया जाना चाहिए।” अदालत ने दलीलों को सुनने के बाद उम्रकैद की सजा सुनाई।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का असंतोष
राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अदालत के फैसले पर असंतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “हमने दोषी के लिए मृत्युदंड की मांग की थी, लेकिन अदालत ने उम्रकैद की सजा दी। मैं इस फैसले से संतुष्ट नहीं हूं।”
Today, the Court has pronounced death sentence for the convict who had raped and murdered the small girl of Gurap and I thank the Judiciary for that.
I thank Hooghly Rural District Police for their swift action and thorough probe that ensured speedy trial and conviction in 54…
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) January 17, 2025
कानूनी प्रावधान और मुआवजा
बीएनएस की धारा 64 के तहत दुष्कर्म के मामलों में 10 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक का प्रावधान है। धारा 66 के तहत 20 वर्ष की सजा का प्रावधान है, जबकि धारा 103(1) के तहत हत्या के मामलों में मृत्युदंड या आजीवन कारावास का प्रावधान है।
अदालत ने अपने फैसले में पीड़ित परिवार के लिए ₹17 लाख मुआवजे का प्रावधान किया है। इसमें से ₹10 लाख उसकी मौत के लिए, और ₹7 लाख अतिरिक्त सहायता के रूप में दिया जाएगा।
जनता और पीड़ित परिवार की प्रतिक्रिया
अदालत के फैसले के बाद भी पीड़ित परिवार और कई सामाजिक संगठनों ने असंतोष जाहिर किया। परिवार ने कहा, “हमारी बेटी को न्याय तभी मिलेगा जब दोषी को फांसी दी जाएगी। उम्रकैद की सजा इस जघन्य अपराध के लिए पर्याप्त नहीं है।”
आरजी कर मेडिकल कॉलेज की यह घटना भारत में महिलाओं की सुरक्षा और न्याय प्रणाली पर सवाल खड़ा करती है। अदालत का फैसला जहां कानून के प्रावधानों के अनुरूप है, वहीं समाज में न्याय की उम्मीदों पर खरा उतरने की चुनौती भी दिखाता है।
पीड़िता के परिवार और जनता ने मृत्युदंड की मांग की थी, लेकिन अदालत ने सुधार और पुनर्वास को ध्यान में रखते हुए उम्रकैद की सजा दी। यह फैसला न्याय, सुधार और अपराध के प्रति समाज की सहनशीलता के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रयास है।