Monday, January 13, 2025
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Population census in India: जनगणना पर बड़ा अपडेट, केंद्र सरकार की तैयारी शुरू

Population census in India: केंद्र सरकार ने जनगणना के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है, जिसके अनुसार भारत में 2025 से नई जनगणना शुरू होने की संभावना है। यह जनगणना 2025 से 2026 तक चलेगी, जिसे कोरोना महामारी के चलते 2021 में टालना पड़ा था। सूत्रों के अनुसार, जनगणना का समय-चक्र भी बदलने जा रहा है। अब हर दशक की शुरुआत के बजाय जनगणना 2025, 2035, 2045 जैसे मध्य दशक में होगी, जिससे दशकीय योजना और विकास प्रक्रिया में अधिक लचीलापन आएगा।

हालांकि जनगणना की आधिकारिक तिथि तय नहीं की गई है, पर महारजिस्ट्रार और अन्य विभागों द्वारा तैयारियां जारी हैं। इस जनगणना को पूरा करने में लगभग दो साल का समय लग सकता है। इसके बाद लोकसभा सीटों का परिसीमन भी इस जनगणना के आंकड़ों पर आधारित होगा, जो 2028 तक संपन्न होने की संभावना है।

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इस जनगणना में नए प्रश्नों को शामिल करने की संभावनाएं भी बढ़ रही हैं। उदाहरण के तौर पर, लोगों से उनके धार्मिक संप्रदाय के बारे में पूछा जा सकता है। वर्तमान में, जनगणना में धर्म और वर्ग के आधार पर ही आंकड़े एकत्र किए जाते हैं। अब यह प्रस्तावित है कि इस बार जाति या वर्ग के साथ-साथ संप्रदाय आधारित पूछताछ भी की जा सकती है। उदाहरण के लिए, कर्नाटक के लिंगायत समुदाय जो स्वयं को एक अलग संप्रदाय मानते हैं, उन्हें भी अलग से दर्ज किया जा सकता है। अनुसूचित जाति वर्ग में वाल्मीकि, रविदासी जैसे विभिन्न संप्रदायों की गिनती भी इसी क्रम में शामिल हो सकती है।

इसके अतिरिक्त, कुछ विपक्षी दलों की मांग जातिगत जनगणना की है, हालांकि इस पर सरकार ने अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है। जातिगत जनगणना का मुद्दा वर्तमान राजनीतिक विमर्श में महत्वपूर्ण बन गया है, जिससे सामाजिक आंकड़ों की सटीकता और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लक्षित समूहों तक पहुंचाने में मदद मिल सकती है।

इस तरह से, आगामी जनगणना केवल एक आंकड़े संग्रहण प्रक्रिया नहीं होगी, बल्कि भारतीय समाज के विविध पहलुओं को दर्शाने और अधिक समावेशी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। जनगणना में नीतिगत फैसले और नए प्रश्नों के माध्यम से सरकार सामाजिक संरचना को बेहतर समझने और विभिन्न समुदायों की स्थिति का वास्तविक आकलन कर सकेगी।

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