Recently updated on July 24th, 2024 at 04:51 pm
Bihar : बिहार के सीएम नीतीश कुमार एक बार फिर से अपने पुराने गठबंधन एनडीए में लौट आए हैं. उन्होंने एक बार फिर बिहार में अपने पुराने साथी भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई. बिहार का ये राजनीतिक घटनाक्रम सुर्खियों में है और इसको लेकर तरह – तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है. नीतीश कुमार के फिर से एनडीए में लौटने को कुछ लोग सामान्य तौर पर देख रहे हैं पर सुशासन बाबू को फिर से भाजपा के साथ लाने का काम इतना भी आसान नहीं थी. इस काम में सबसे अहम भूमिका बिहार में भाजपा के प्रदेश प्रभारी विनोद तावड़े ने निभाई. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व और मार्गदर्शन में विनोद तावड़े ने काम किया और फिर से नीतीश बाबू को अपने साथ लाने की पिच तैयारी की. कुछ लोगों को लग रहा होगा कि बिहार में नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी बहुत जल्दबाजी में हुई है तो ये गलत है क्योकि इसमें समय लगा है. विनोद तावड़े की सियासी सूझ बूझ के आगे आरजेडी और लालू प्रसाद यादव कैसे चित्त हुए ये आपको समझना होगा.
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विनोद तावड़े ने की रणनीति के आगे लालू चित्त हुए और एक बार फिर नीतीश कुमार अपने पुराने और सबसे भरोसेमंद साथी भाजपा के पास लौट आए. बात अगर विनोद तावड़े की करें तो वे पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाते हैं. बिहार में नीतीश कुमार को फिर से वापस एनडीए में लाने की बात से आप ये समझ सकते हैं कि विनोद तावड़े सियासत के माहिर खिलाड़ी है जो अपनी भूमिका बखूबी निभाते हैं. यहां आपको ये बात भी बताना जरूरी है कि भाजपा की तरफ से अगर विनोद तावड़े ने नीतीश कुमार और जदयू को एनडीए में लाने की लिए रणनीति बनाई तो वहीं दूसरी ओर जदयू की तरफ से जदयू नेता संजय झा ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई है. संजय झा के बारे में कहा जाता है कि जदयू में वे एक ऐसे नेता है जो सरकार और संगठन दोनों में सहयोग करते हैं. नीतीश को भाजपा के करीब लाने में संजय झा की अहम भूमिका थी.
इसके अलावा अगर नीतीश को भाजपा के करीब लाने में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश की भी अहम भूमिका बताई गई है . भाजपा और जदयू के साथ आने की पटकथा में हरिवंश ने अहम भूमिका निभाई. बीजेपी से हरिवंश की नजदीकियां किसी से छिपी हुई नहीं है. दोनों दलों के साथ आने में समस्या ललन सिंह के रूप में सामने आई जिन्हें बड़े आराम से किनारे कर घीर – घीरे इस राजनीति घटनाक्रम की पटकथा तेयार हुई. इसके अलावा जदयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी , बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने भी इस राजनीतिक घटनाक्रमे में विशेष भूमिका निभाई है. इस तरह जब धीर – घीरे पटकथा तैयार हुई तो नीतीश कुमार ने अपने पुराने गठबंधन यानि एनडीए में लौटने का बेहतरीन फैसला लिया और आरजेडी और लालू यादव को चित्त कर बिहार की जनता के हक में फैसला लिया. अब दोनों दल बिहार की जनता के लिए साथ काम कर रहे हैं और फिर एक बार बिहार विकास के रास्ते पर अग्रसर हो रहा है.