Places Of Worship Act के मुकदमे में याचिकाओं की बढ़ती संख्या पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिन नई याचिकाओं पर अब तक नोटिस नहीं जारी हुआ है, उन्हें खारिज किया जा रहा है। इस मामले की सुनवाई तीन जज की संविधान बेंच करने वाली है। सोमवार (17 फरवरी, 2025) को प्लेसेस ऑफ़ वर्शिप एक्ट मुकदमे की सुनवाई के दौरान CJI संजीव खन्ना ने कहा कि मामले में दखल देने वाली याचिकाओं पर एक सीमा होनी चाहिए। उन्होंने याचिकाओं की बड़ी संख्या को देखते हुए सोमवार को इस मामले की सुनवाई से इनकार कर दिया।
CJI संजीव खन्ना ने कही ये बात
CJI संजीव खन्ना ने कहा, “हम आज प्लेसेस ऑफ़ वर्शिप एक्ट मामले पर सुनवाई नहीं करेंगे। यह 3 जजों की बेंच का मामला है। बहुत सारी याचिकाएँ दायर की गई हैं। मार्च में इसकी तारीख लगाई जाए। दखल देने वाली याचिका दायर करने की भी एक सीमा होती है।”
CJI संजीव खन्ना ने कहा है कि इस मामले में वही याचिकाएँ अब स्वीकार की जाएँगी जो इस मुकदमे के कोई नए पहलू से जुड़ी हों। इसके अलावा दायर हो चुकी याचिकाओं में से जिन पर कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है, उनको भी कोर्ट ने रद्द कर दिया।
मालूम हो कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के खिलाफ विश्वभद्र पुजारी पुरोहित महासंघ, डॉक्टर सुब्रमण्यम स्वामी, अश्विनी कुमार उपाध्याय, करुणेश कुमार शुक्ला और अनिल त्रिपाठी ने दायर की है। दूसरी ओर ज्ञानवापी मस्जिद मैनेजमेंट कमिटी, AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी, सांसद इकरा चौधरी सहित अन्य की ओर से पक्ष में याचिका दायर की गई है।
नए मुकदमे दर्ज करने पर रोक
बता दें कि 12 दिसंबर, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में धार्मिक स्थलों को लेकर नए मुकदमे दर्ज करने पर रोक लगा दी थी। तब उस वक्त कोर्ट ने कहा था कि जो मुकदमे लंबित हैं, उनमें सुनवाई जारी रह सकती है, लेकिन निचली अदालतें कोई भी प्रभावी या अंतिम आदेश न दें। निचली अदालतें फिलहाल सर्वे का भी आदेश न दें। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के पक्ष और विपक्ष में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया था।
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