NoMoPhobia: ग्लोबल स्मार्टफोन डिवाइस ब्रांड ‘ओप्पो’ और काउंटरप्वाइंट ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसने सभी को चौंका दिया है। दरअसल, देश में चार में से तीन मोबाइल यूजर नोमोफोबिया (मोबाइल से दूर होने का डर) से पीड़ित हैं। शुक्रवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कही ओप्पो ने इस बात की जानकारी दी।
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रिपोर्ट में यूजर के मस्तिष्क पर किया गया अध्ययन
रिपोर्ट में ये साफ कहा गया है कि आज के टाइम में लोगों को मोबाइल फोन्स की काफी लत लग चुकी है। ‘नोमोफोबिया: ला बैटरी एंजाइटी कंज्यूमर स्टडी’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में यूजर के मस्तिष्क का अध्ययन किया गया है, कि किस प्रकार कम होती मोबाइल की बैट्री उसके डर का प्रमुख कारण है। इस रिपोर्ट के रिलीज होने पर ओप्पो इंडिया के CMO दमयंत सिंह खनोरिया ने कहा कि इस रिपोर्ट की मदद से हम कंज्यूमर बिहेवियर को समझ रहे हैं ताकि अपने प्रोडक्ट्स में जरुरी बदलाव कर सके।
- इस स्टडी में ये पाया गया कि 47% लोग ऐसे हैं जो अपने स्मार्टफोन को दिनभर में दो बार चार्ज करते हैं और करीब 87% लोग ऐसे हैं जो मोबाइल फोन को चार्ज करने के दौरान इसमें लिप्त रहते हैं. यानि यूज करते रहते हैं।
- रिपोर्ट के मुताबिक, स्मार्टफोन की बैटरी कम होने पर 74 फीसदी महिलाएं चिंतित रहती हैं जबकि पुरुषों में ये आकड़ा 82 फीसदी है।
- सर्वे में शामिल 92.5 फीसदी लोगों ने कहा कि वे पावर सेविंग मोड का इस्तेमाल करते हैं और 87 फीसदी ने कहा कि वे अपने फोन का इस्तेमाल तभी करते हैं जब वह पूरा चार्ज हो जाता है।
- रिपोर्ट में ये भी पता लगा कि करीब 60% लोग ऐसे हैं जो बैटरी परफॉरमेंस अच्छी न होने पर अपना फोन बदल लेते हैं। साथ ही 92.5 प्रतिशत लोग बैटरी को लंबे समय तक चलाने के लिए अपने फोन पर पावर-सेविंग मोड को ऑन रखते हैं।
अगर आप भी हैं ग्रसित तो होंगे ये नुकसान
आज के दौर में स्मार्टफोन हर किसी की ऐसी जरूरत बन गई है कि उससे दूर होने की सोचते ही घबराहट होने लगती है। सुबह आंख खुलने के साथ रात को जब तक नींद नहीं आती है तब तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल जारी रहता है।
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ज्यादा स्मार्टफोन इस्तेमाल करने के नुकसान
- कंप्यूटर विजन सिंड्रोम
- रीढ़ की हड्डी पर गंभीर असर
- स्किन से जुड़ी समस्याएं
- नींद से जुड़ी समस्याएं
- मानसिक तनाव का बढ़ना
- आत्मविश्वास की कमी