दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को इस बार फिर अदालत से राहत नहीं मिली है। CBI के मामले में सिसोदिया की न्यायिक हिरासत को दो और सप्ताह के लिए बढ़ा दिया था। अब वे 17 अप्रैल तक हिरासत में हैं। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने सोमवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में दो सप्ताह के लिए सिसोदिया की हिरासत अवधि को बढ़ा दिया। इससे पहले 31 मार्च को सिसोदिया के जमानत के अनुरोध को खारिज कर दिया गया था।
आप नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर सीबीआई ने वर्ष 2021-2022 के लिए आबकारी नीति के संबंध में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। सीबीआई मामले में सिसोदिया को कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया है। शराब नीति के भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े आरोपों के सिलसिले में उन्हें अब सीबीआई और ईडी के आरोपों के सिलसिले में अदालतों द्वारा हिरासत में रखा जा रहा है। दिल्ली में अब निरस्त की जा चुकी आबकारी नीति के कार्यान्वयन में कथित विसंगतियों से जुड़ा ये मामला है।
यह भी पढ़ें: मद्रास HC की जज वीएम वेलुमणि के तबादले के अनुरोध को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने कर दिया खारिज
5 अप्रैल को भी होनी है सुनवाई
आपको बता दें कि ईडी के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सिसोदिया की जमानत के लिए 5 अप्रैल को सुनवाई होनी है। इस बीच जमानत के लिए सिसोदिया के अनुरोध को यह तर्क देते हुए खारिज कर दिया था कि ऐसा करने से जांच बंद हो जाएगी और सबूत नष्ट करने का उनका “निरंतर अभ्यास” था। मनीष सिसोदिया के वकीलों के अनुसार, केंद्रीय जांच एजेंसी ने ऐसी किसी भी सामग्री को उजागर नहीं किया, जिसका इस्तेमाल उनकी तलाशी के दौरान दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री को दोषी ठहराने के लिए किया जा सकता है।
गौरतलब है कि कथित शराब घोटाले के इस मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था। तब से ही जेल में बंद हैं। सिसोदिया से जेल में ही ईडी ने भी पूछताछ की थी और इसके बाद 9 मार्च को ईडी के द्वारा इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। दिल्ली सरकार द्वारा 17 नवंबर 2021 को ये नई एक्साइज पॉलिसी लागू की थी, जिसने सिसोदिया को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है। एलजी की सिफारिश के बाद CBI ने 17 अगस्त 2022 को केस दर्ज कर इस मामले में जांच शुरू की थी। केस में मनीष सिसोदिया समेत 15 लोगों को आरोपी बनाया गया था।