Saturday, October 12, 2024
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India – Bangladesh: बांग्लादेशी घुसपैठियों पर बोले गृहमंत्री अमित शाह तो बांग्लादेश को लगी मिर्ची

India – Bangladesh: गृह मंत्री अमित शाह द्वारा झारखंड में एक चुनावी रैली के दौरान बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर दिए गए बयान ने भारत और बांग्लादेश के संबंधों में एक नए विवाद को जन्म दिया है। इस बयान के जवाब में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, जिसका नेतृत्व इस समय मुहम्मद यूनुस कर रहे हैं, ने कड़ा विरोध जताया है।

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारतीय उच्चायोग को इस संदर्भ में विरोध पत्र भी सौंपा, जिसमें उन्होंने भारत सरकार को बांग्लादेश के लोगों के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करने से बचने की सलाह दी है। यह घटना दोनों देशों के बीच गहरे राजनीतिक और कूटनीतिक संबंधों पर असर डालने की संभावना रखती है।

अमित शाह का क्या था बयान ?

अमित शाह ने झारखंड में आयोजित एक चुनावी रैली में बांग्लादेशी घुसपैठियों को झारखंड से बाहर निकालने की बात कही थी। उन्होंने झामुमो और कांग्रेस पर आरोप लगाया कि ये दल वोट बैंक की राजनीति के चलते बांग्लादेशी घुसपैठियों को संरक्षण दे रहे हैं। गृह मंत्री ने चेतावनी दी कि अगर इन्हें रोका नहीं गया, तो आने वाले 25-30 वर्षों में बांग्लादेशी घुसपैठिये बहुसंख्यक हो जाएंगे। उन्होंने झारखंड के संथाल परगना संभाग में आदिवासी आबादी के घटने का भी उल्लेख किया, जिसमें आदिवासी आबादी 44% से घटकर 28% हो चुकी है।

गृह मंत्री का यह बयान एक लंबे समय से चल रहे मुद्दे पर आधारित है, जहां पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत के कई राज्यों में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या पर राजनीतिक बहस होती रही है। शाह ने आरोप लगाया कि ये घुसपैठिये न केवल स्थानीय निवासियों की जमीन हड़प रहे हैं, बल्कि वे स्थानीय संस्कृति को भी नष्ट कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ये घुसपैठिये स्थानीय लड़कियों से शादी कर रहे हैं, जिससे सामाजिक असंतुलन पैदा हो रहा है।

बांग्लादेश की प्रतिक्रिया | India – Bangladesh

बांग्लादेश ने इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने इस बयान को दोनों देशों के बीच की आपसी समझ और सम्मान की भावना को कमजोर करने वाला बताया। ढाका में भारतीय उच्चायोग को विरोध पत्र सौंपते हुए बांग्लादेश की सरकार ने इस तरह की टिप्पणियों को अनावश्यक और अनुचित बताया।

बांग्लादेश का मानना है कि इस तरह के बयान, खासकर जब वे किसी उच्च पदस्थ नेता द्वारा दिए जाते हैं, तो वे दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। बांग्लादेश ने साफ किया है कि दोनों देशों के बीच घुसपैठियों का मुद्दा एक संवेदनशील मामला है और इसे उचित कूटनीतिक तरीकों से हल किया जाना चाहिए, न कि सार्वजनिक मंचों पर इस तरह के बयानों के माध्यम से।

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भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा विवाद और अवैध घुसपैठ का मुद्दा कोई नया नहीं है। बांग्लादेश की सीमा पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा, मेघालय, और मिजोरम जैसे राज्यों से लगती है। विभाजन के बाद से ही बांग्लादेश से भारत में घुसपैठ की समस्या मौजूद रही है, जिसे लेकर भारतीय राजनीतिक दलों के बीच मतभेद भी रहे हैं।

साल 2016 में तत्कालीन गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में करीब 2 करोड़ अवैध बांग्लादेशी निवास कर रहे हैं। इस आंकड़े पर बांग्लादेश की तरफ से भी समय-समय पर आपत्ति दर्ज की जाती रही है।

राजनीतिक और कूटनीतिक प्रभाव | India – Bangladesh

अमित शाह के बयान ने न केवल भारत के भीतर राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है, बल्कि भारत-बांग्लादेश के बीच के कूटनीतिक संबंधों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। भारत और बांग्लादेश के संबंध पिछले कुछ वर्षों में बेहतर हुए हैं, खासकर आर्थिक और सुरक्षा मामलों में सहयोग के दृष्टिकोण से। लेकिन इस तरह के बयानों से दोनों देशों के बीच का विश्वास कमजोर हो सकता है।

बांग्लादेश की प्रतिक्रिया यह संकेत देती है कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहे हैं और दोनों देशों के बीच बेहतर संबंध बनाए रखने के लिए इस तरह के विवादों से बचना चाहते हैं। भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार, सुरक्षा, और जल संसाधनों जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, जिनमें दोनों देशों का सहयोग जरूरी है। ऐसे में इस तरह के विवाद दोनों देशों के बीच एक तनावपूर्ण माहौल पैदा कर सकते हैं, जो दीर्घकालिक संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।

बांग्लादेशी घुसपैठ का राजनीतिक मुद्दा

बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा भारतीय राजनीति में एक लंबे समय से महत्वपूर्ण रहा है। खासकर असम और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में यह मुद्दा चुनावी रणनीतियों का हिस्सा बनता रहा है। घुसपैठियों के मुद्दे पर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) और नागरिकता संशोधन कानून (CAA) जैसे कदमों ने भी राजनीतिक माहौल को गरमाया है।

NRC और CAA जैसे कानूनों के माध्यम से सरकार ने अवैध घुसपैठियों की पहचान और उन्हें बाहर निकालने की कोशिश की है, लेकिन इन कानूनों को लेकर भी देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए हैं। यह मुद्दा भारतीय समाज के विभाजन का कारण बनता रहा है, खासकर जब इसे धार्मिक पहचान से जोड़ा जाता है। अमित शाह के बयान को इसी संदर्भ में देखा जा सकता है, जहां वे इस मुद्दे को एक चुनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।

अमित शाह द्वारा दिए गए बयान ने भारत और बांग्लादेश के बीच एक कूटनीतिक संकट खड़ा कर दिया है। बांग्लादेश ने स्पष्ट रूप से इस बयान पर अपनी नाराजगी जाहिर की है और दोनों देशों के बीच के आपसी संबंधों को मजबूत बनाए रखने के लिए इस तरह के विवादों से बचने की सलाह दी है।

बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है और यह आगे भी बना रहेगा। हालांकि, दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों को ध्यान में रखते हुए, यह जरूरी है कि इस तरह के संवेदनशील मुद्दों को सार्वजनिक मंचों पर न उछाला जाए, बल्कि उन्हें कूटनीतिक स्तर पर सुलझाया जाए। भारत और बांग्लादेश के संबंध न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि दोनों देशों के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए भी आवश्यक हैं।

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