Saturday, October 12, 2024
MGU Meghalaya
HomeभारतMPox Case In India : भारत में मिला मंकीपॉक्स का पहला केस,...

MPox Case In India : भारत में मिला मंकीपॉक्स का पहला केस, जानिए क्या है ये और इससे कैसे बचें ?

MPox Case In India : हाल ही में, भारत में मंकीपॉक्स के Clade 1b स्ट्रेन का पहला मामला सामने आया, जिसने स्वास्थ्य अधिकारियों को सतर्क कर दिया है।मंकीपॉक्स (Mpox) एक वायरल संक्रमण है, जो स्मॉलपॉक्स और चिकनपॉक्स जैसे वायरस के परिवार से संबंधित है।  Clade 1b स्ट्रेन के कारण अफ्रीकी देशों में मंकीपॉक्स के मामलों में तेज़ी से वृद्धि हुई थी, जिसके परिणामस्वरूप विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस बीमारी को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था।

मंकीपॉक्स के बारे में जानकारी

मंकीपॉक्स का वायरस पहली बार 1958 में शोधकर्ताओं द्वारा बंदरों में पाया गया था, जिससे इसका नाम “मंकीपॉक्स” पड़ा। 1970 में मानवों में इसका पहला मामला सामने आया। यह वायरस Orthopoxvirus जीनस के अंतर्गत आता है, जिसमें स्मॉलपॉक्स और वैक्सीनिया वायरस भी शामिल हैं। हालांकि मंकीपॉक्स का प्रसार स्मॉलपॉक्स की तुलना में कम घातक होता है, लेकिन इसके प्रभाव गंभीर हो सकते हैं, विशेषकर कमजोर इम्यून सिस्टम वाले व्यक्तियों में। मंकीपॉक्स के लक्षणों में बुखार, थकान, शरीर में दाने, सिरदर्द, और मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं।

Clade 1b और Clade 2 स्ट्रेन का महत्व | MPox Case In India

भारत में हाल ही में दो मामलों की पुष्टि हुई है, जिनमें अलग-अलग स्ट्रेन पाए गए हैं। Clade 1b का मामला केरल में सामने आया, जहां एक 38 वर्षीय व्यक्ति यूएई से लौटकर आया था। वहीं, दिल्ली के अस्पताल में भर्ती हिसार के 26 वर्षीय युवक में Clade 2 स्ट्रेन की पुष्टि हुई। इन दोनों स्ट्रेनों के बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं। Clade 1b के स्ट्रेन को अधिक घातक माना जा रहा है, जिसका मृत्यु दर करीब 3% तक हो सकता है, जबकि Clade 2 स्ट्रेन की मृत्यु दर 0.1% है। Clade 1b के कारण अफ्रीकी देशों में तेजी से मामले बढ़े थे और इसकी गंभीरता को ध्यान में रखते हुए इसे एक ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया गया।

मंकीपॉक्स का प्रसार और लक्षण | MPox Case In India

मंकीपॉक्स का मुख्य प्रसार संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क से होता है। यह वायरस आमतौर पर त्वचा के घावों, शारीरिक तरल पदार्थ, और संक्रमित वस्त्रों या बिस्तरों के संपर्क में आने से फैलता है। मंकीपॉक्स का संक्रमण सीधे यौन संपर्क के माध्यम से भी हो सकता है, और कुछ मामलों में यह असुरक्षित शारीरिक संपर्क से भी फैलता है। हालांकि, कोविड-19 की तरह मंकीपॉक्स हवा में नहीं फैलता है, इसलिए इसका प्रसार अपेक्षाकृत धीमा होता है।

मंकीपॉक्स के लक्षणों में बुखार, थकान, सिरदर्द, और शरीर पर घावों का विकास शामिल होता है। घाव विशेष रूप से हाथ, पैर, और चेहरा पर होते हैं, और बाद में ये शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकते हैं। संक्रमित व्यक्ति आमतौर पर दो से चार हफ्तों के भीतर ठीक हो जाता है, हालांकि गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता हो सकती है।

भारत में मंकीपॉक्स के मामले और स्थिति

भारत में मंकीपॉक्स के मामलों की पुष्टि पहली बार 2022 में हुई थी, जब WHO ने इसे पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था। उस समय भारत में कुल 30 मामले दर्ज किए गए थे और एक व्यक्ति की मृत्यु हुई थी। मौजूदा समय में, भारत में केवल दो मामलों की पुष्टि की गई है – एक केरल और दूसरा दिल्ली में। केरल के 38 वर्षीय व्यक्ति में Clade 1b स्ट्रेन पाया गया, जो यूएई से वापस लौटा था। इस व्यक्ति की हालत स्थिर बताई जा रही है। दूसरी ओर, दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती 26 वर्षीय युवक, जिसमें Clade 2 स्ट्रेन की पुष्टि हुई थी, अब पूरी तरह ठीक हो चुका है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश

भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंकीपॉक्स के प्रसार को रोकने के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। मंत्रालय का कहना है कि मंकीपॉक्स का प्रसार लंबे समय तक संक्रमित व्यक्ति के साथ संपर्क में रहने से होता है, विशेष रूप से शारीरिक तरल पदार्थ, घावों, और दूषित वस्त्रों के संपर्क में आने से। हालांकि, यह वायरस कोविड-19 की तरह हवा के माध्यम से नहीं फैलता है, इसलिए इसके प्रसार की गति धीमी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी कहा है कि संक्रमित व्यक्ति को अलग रखने और उसके संपर्क में आने वाले लोगों की निगरानी आवश्यक है। इसके अलावा, स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी अस्पतालों को मंकीपॉक्स के मामलों की पहचान और इलाज के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है।

मंकीपॉक्स के रोकथाम के उपाय

मंकीपॉक्स से बचाव के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखना है। इसके अलावा, हाथों की सफाई और स्वच्छता बनाए रखना, मास्क पहनना, और संक्रमित व्यक्ति के सामानों का उपयोग न करना भी प्रभावी तरीके हैं। इसके साथ ही, जिन लोगों में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखते हैं, उन्हें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और खुद को अलग रखना चाहिए।

मंकीपॉक्स और कोविड-19 के बीच अंतर

मंकीपॉक्स और कोविड-19 दोनों ही वायरल बीमारियां हैं, लेकिन इनके बीच कई महत्वपूर्ण अंतर हैं। कोविड-19 मुख्य रूप से हवा के माध्यम से फैलता है, जबकि मंकीपॉक्स का प्रसार निकट संपर्क से होता है। इसके अलावा, मंकीपॉक्स का संक्रमण दर कम होता है और इसके लक्षण आमतौर पर कम गंभीर होते हैं। हालांकि, मंकीपॉक्स के कुछ स्ट्रेन, विशेषकर Clade 1b, अधिक घातक हो सकते हैं, लेकिन इसका प्रसार धीमा होता है।

WHO और वैश्विक स्तर पर मंकीपॉक्स की स्थिति

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स को 2022 में ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था, क्योंकि कई देशों में इसके मामले तेजी से बढ़ रहे थे। अफ्रीका में मंकीपॉक्स के Clade 1b स्ट्रेन के कारण मृत्यु दर अधिक रही है। WHO ने मंकीपॉक्स के प्रसार को रोकने के लिए वैश्विक स्तर पर कई उपाय किए हैं, जिनमें संक्रमित व्यक्तियों की निगरानी, संपर्क ट्रेसिंग, और संक्रमण नियंत्रण के उपाय शामिल हैं।

 

- Advertisment -
Most Popular