Thursday, January 16, 2025
MGU Meghalaya
HomeभारतMemory of Dr. Manmohan Singh: इस जगह पर बनेगा पूर्व प्रधानमंत्री डॉ....

Memory of Dr. Manmohan Singh: इस जगह पर बनेगा पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की स्मारक, सरकार ने किया जमीन का चुनाव

Memory of Dr. Manmohan Singh: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की स्मृति में राजधानी दिल्ली में एक स्मारक बनाने की योजना बनाई जा रही है। राष्ट्रीय स्मृति परिसर में 1.5 एकड़ जमीन इस उद्देश्य के लिए निर्धारित की गई है। यह स्थान पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की समाधि के पास स्थित है। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने सिंह के परिवार को इस संबंध में सूचना दी है और सार्वजनिक जमीन आवंटन के लिए आवश्यक ट्रस्ट बनाने का अनुरोध किया है। ट्रस्ट के गठन के बाद ही आगे की प्रक्रिया पूरी की जा सकेगी।

स्मारक निर्माण की प्रक्रिया

इस महीने की शुरुआत में, केंद्र सरकार ने डॉ. सिंह के स्मारक की घोषणा की थी। इसके बाद सरकारी अधिकारियों ने राष्ट्रीय स्मृति परिसर का दौरा किया। सूत्रों के अनुसार, डॉ. सिंह के परिवार को साइट का निरीक्षण करने के लिए आमंत्रित किया गया है, लेकिन परिवार ने अब तक यह कदम नहीं उठाया है। परिवार अभी शोक की अवस्था में है और उन्होंने सरकार के प्रस्ताव पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है। परिवार को यह तय करना होगा कि स्मारक का स्वरूप कैसा होगा।

परिवार की भूमिका| Memory of Dr. Manmohan Singh| 

डॉ. सिंह का परिवार स्मारक के स्वरूप और डिज़ाइन को लेकर निर्णय करेगा। एक सूत्र के अनुसार, इस प्रक्रिया में समय लग सकता है क्योंकि परिवार इसे लेकर विचार कर रहा है। राष्ट्रीय स्मृति परिसर यमुना नदी के किनारे स्थित है और यह पूर्व राष्ट्रपतियों, उपराष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों के अंतिम संस्कार और स्मारकों के लिए एक सामान्य स्थान के रूप में विकसित किया गया है। वर्तमान में इस परिसर में सात नेताओं के स्मारक हैं, जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पी. वी. नरसिम्हा राव, चंद्रशेखर और आई. के. गुजराल शामिल हैं। अब बचे दो स्थान डॉ. मनमोहन सिंह और प्रणब मुखर्जी के लिए आरक्षित किए गए हैं।

ये भी पढ़े:-Manmohan Singh Death: PM मोदी ने मनमोहन सिंह को दी श्रद्धांजलि, कल राजघाट पर होगा अंतिम संस्कार

स्मारक के उद्देश्य

स्मारक बनाने का उद्देश्य डॉ. मनमोहन सिंह के योगदान को याद रखना और उन्हें सम्मानित करना है। डॉ. सिंह ने 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वे एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री थे और उनके कार्यकाल के दौरान भारत ने उल्लेखनीय आर्थिक विकास देखा। उनका नेतृत्व देश की अर्थव्यवस्था को नए ऊँचाइयों पर ले जाने में सहायक रहा।

राष्ट्रीय स्मृति परिसर में स्मारक बनाने से लोगों को डॉ. सिंह के जीवन और कार्यों के बारे में जानने का अवसर मिलेगा। यह स्मारक उनके योगदान को याद रखने और भावी पीढ़ियों को प्रेरित करने का एक साधन बनेगा।

सरकार की प्राथमिकता

3 जनवरी को, शहरी मामलों के सचिव के. श्रीनिवास सहित अधिकारियों ने राष्ट्रीय स्मृति परिसर का दौरा किया। इसके बाद, उन्होंने डॉ. सिंह के परिवार से मुलाकात की। सरकारी अधिकारियों ने बताया कि अब तक राष्ट्रीय स्मृति परिसर में केवल समाधियां ही बनाई गई हैं। किसी भी प्रकार की इमारत का निर्माण नहीं किया गया है। इस परियोजना में भी समाधि के स्वरूप का ध्यान रखा जाएगा।

राष्ट्रीय स्मृति परिसर का महत्वMemory of Dr. Manmohan Singh| 

राष्ट्रीय स्मृति परिसर दिल्ली में स्थित है और यह राष्ट्र के लिए समर्पित एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह परिसर शांत और सम्मानजनक वातावरण प्रदान करता है जहाँ लोग अपने नेताओं को श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं। यहाँ पूर्व प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति जैसे नेताओं के स्मारक बनाए गए हैं। यह स्थान भारतीय लोकतंत्र और उसके नेताओं के योगदान को याद करने का एक प्रतीक है।

डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान

डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था और राजनीति में अद्वितीय रहा है। वे 1991 में वित्त मंत्री के रूप में आर्थिक सुधारों के मुख्य सूत्रधार थे। उनके नेतृत्व में भारत ने वैश्विक आर्थिक मंच पर अपनी पहचान बनाई। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने सामाजिक और आर्थिक नीतियों पर विशेष ध्यान दिया, जिससे भारत के विकास की गति तेज हुई। उनके कार्यकाल में मनरेगा, खाद्य सुरक्षा अधिनियम और शिक्षा का अधिकार अधिनियम जैसी योजनाएँ लागू की गईं, जो आज भी भारतीय समाज को प्रभावित कर रही हैं।

अंतिम विचार

डॉ. मनमोहन सिंह के स्मारक का निर्माण उनके जीवन और उपलब्धियों को स्मरण करने का एक प्रयास है। यह स्मारक न केवल उनके व्यक्तित्व और योगदान को उजागर करेगा, बल्कि भावी पीढ़ियों को प्रेरित करने का भी काम करेगा। उनका जीवन और कार्य हमें सिखाते हैं कि किस प्रकार एक सच्चे नेता को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए। राष्ट्रीय स्मृति परिसर में उनका स्मारक एक स्थायी प्रतीक होगा, जो उनके योगदान को युगों-युगों तक याद रखेगा।

- Advertisment -
Most Popular