Saturday, March 22, 2025
MGU Meghalaya
Homeधर्मMahashivratri 2025: कब है महाशिवरात्रि, जानें पूजा की तिथि और विधी

Mahashivratri 2025: कब है महाशिवरात्रि, जानें पूजा की तिथि और विधी

Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में भगवान शिव की आराधना का एक प्रमुख पर्व है, जो फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। साल 2025 में, महाशिवरात्रि का यह पावन पर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी 2025 को सुबह 11:08 बजे से शुरू होकर 27 फरवरी को सुबह 8:54 बजे तक रहेगी।

महाशिवरात्रि का महत्व

महाशिवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है ‘शिव की महान रात्रि’। इस दिन को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की स्मृति में मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव ने कालकूट विष का पान किया था, जो समुद्र मंथन के दौरान निकला था, जिससे उनका कंठ नीला हो गया और वे नीलकंठ कहलाए। इस दिन व्रत रखने और रात्रि जागरण करने से भक्तों को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

पूजा विधि  | Mahashivratri 2025

  1. प्रातःकालीन तैयारी:
    • महाशिवरात्रि के दिन प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
    • व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन भगवान शिव का ध्यान करते रहें।
  2. पूजा सामग्री:
    • शिवलिंग या पार्थिव शिवलिंग
    • गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी
    • बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, आक के फूल
    • चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य
    • रुद्राक्ष माला
  3. पूजा की प्रक्रिया:
    • शिवलिंग को गंगाजल से स्नान कराएं।
    • इसके बाद दूध, दही, शहद, घी और पुनः गंगाजल से अभिषेक करें।
    • शिवलिंग पर बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, आक के फूल अर्पित करें।
    • चंदन का लेप लगाएं और धूप-दीप जलाकर आरती करें।
    • रुद्राक्ष माला से ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें।
  4. रात्रि जागरण:
    • महाशिवरात्रि की रात को चार प्रहरों में विभाजित किया जाता है, प्रत्येक प्रहर में विशेष पूजा का महत्व है।
    • प्रत्येक प्रहर में शिवलिंग का अभिषेक और मंत्र जाप करें।
    • रात्रि जागरण करते हुए शिवपुराण, शिवमहिम्न स्तोत्र आदि का पाठ करें।
  5. व्रत का पारण:
    • अगले दिन प्रातःकाल स्नान करके शिवलिंग की पूजा करें।
    • ब्राह्मणों या शिवभक्तों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।
    • इसके बाद स्वयं भोजन करके व्रत का पारण करें।

महाशिवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व

महाशिवरात्रि का पर्व न केवल धार्मिक, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन पृथ्वी की ऊर्जा विशेष रूप से सक्रिय होती है, जिससे ध्यान और साधना में गहराई प्राप्त होती है। रात्रि जागरण और ध्यान के माध्यम से व्यक्ति अपनी आंतरिक ऊर्जा को जागृत कर सकता है।

ये भी पढे:-Bhairava Ashtami Date 2024 : जानिए कैसे हुई कालभैरव की उत्पत्ति और इनकी पूजा से क्या होता है ?

महाशिवरात्रि का पर्व भक्तों के लिए आत्मशुद्धि, ध्यान और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन की गई पूजा, व्रत और साधना से जीवन में शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है।

- Advertisment -
Most Popular