उत्तराखंड (Uttarakhand) का जोशीमठ (Joshimath) इन दिनों बुरे हालातों से गुजर रहा है। यहां भूस्खलन और धसाव क्षेत्र घोषित किये जाने के बाद से ही राहत बचाव कार्य जारी है। दरअसल, संकट में फसे जोशीमठ में कई दिनों से हजारों घर और सड़कें दरारो की चपेट में आ गई है। मामला इतना गंभीर हो गया है कि अब इलाके में हो रहे भू-धंसाव का असर भारतीय सेना की इमारतों पर भी पड़ा है। थल सेना की 25 से 28 इमारतें ऐसी हैं जिनमें दरारें आ गईं। जिसके बाद जवानों को अस्थाई तौर पर जोशीमठ से शिफ्ट कर दिया जाएगा। सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी।
उत्तराखंड के जोशीमठ की धरती पर बढ़ते बोझ के कारण आज यहां की स्थिति संकट में है। जोशीमठ में भूस्खलन से आई दरारों ने हजारों लोगों को अपने ही घरों को छोड़कर जाने पर मजबूर कर दिया है। बताया जा रहा है कि यहां के 723 घरों में दरारें आई हैं। सरकार के द्वारा लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जा रहा है। सरकार ने इन लोगों को मुआवजा देने की भी बात कही है। इसी बीच सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने बताया की दरारे थल सेना की इमारतों को भी छू चुकी है।
सेना की इमारतों तक पहुंची दरारें
आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे ने गुरुवार को की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जोशीमठ से माणा जाने वाली रोड पर कुछ दरारें देखी गई हैं। इसे BRO ठीक कर रहा है। हालांकि, इससे हमारी ऑपरेशनल रेडीनेस पर कुछ असर नहीं पड़ा है। जोशीमठ LAC से सिर्फ 100 किलोमीटर दूर है। ऐसे में रणनीतिक तौर पर इसे काफी अहम क्षेत्र माना जाता है। ऐसे में जोशीमठ में सेना और ITBP जवानों की तैनाती है।
आर्मी चीफ ने इस मामले में बताया कि, उन्होंने अस्थाई तौर पर अपने जवानों को स्थानांतरित कर दिया है। अगर जरूरत पड़ी तो हम औली में अपने जवानों को स्थाई तौर पर तैनात करेंगे। जहां तक स्थानीय लोगों को मदद पहुंचाने की बात है तो हमने अपने अस्पताल, हेलीपैड आदि सिविल प्रशासन को दिए हैं जिससे वे लोगों को अस्थाई तौर पर लोगों को स्थानांतरित कर सकें।