Alauddin Khalji : अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली सल्तनत के सबसे शक्तिशाली शासकों में से एक और अपनी विजय अभियानों, सैन्य रणनीतियों और प्रशासनिक सुधारों के लिए प्रसिद्ध था। उसने 1296 से 1316 तक दिल्ली की सत्ता संभाली और अपने शासनकाल में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। लेकिन, उसकी मृत्यु एक रहस्यमय घटना रही है जिस पर इतिहासकारों की अलग-अलग राय है। इस लेख में, हम अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु के संभावित कारणों का विश्लेषण करेंगे और इससे जुड़ी ऐतिहासिक घटनाओं की चर्चा करेंगे।
अलाउद्दीन खिलजी का शासनकाल
अलाउद्दीन खिलजी ने अपने शासनकाल में मंगोल आक्रमणों को विफल किया और गुजरात, रणथंभौर, चित्तौड़, मालवा और देवगिरि जैसे क्षेत्रों को जीतकर दिल्ली सल्तनत के विस्तार को मजबूत किया। उसने कठोर कानून लागू किए और जमींदारों तथा अमीरों की शक्ति को सीमित किया। उसके शासनकाल में प्रशासनिक व्यवस्था और बाजार नियंत्रण प्रणाली भी काफी प्रभावी थी।
अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु के प्रमुख कारण | Alauddin Khalji
अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु को लेकर इतिहासकारों के बीच कई मतभेद हैं। कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
1. प्राकृतिक मृत्यु (बीमारी के कारण)
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु 1316 में किसी गंभीर बीमारी के कारण हुई थी। उसके शासनकाल के अंतिम वर्षों में वह अत्यधिक बीमार रहने लगा था। कुछ ऐतिहासिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि वह जलोदर (Ascites) या हृदय रोग से पीड़ित था। अधिक उम्र और अत्यधिक मानसिक दबाव के कारण उसकी सेहत लगातार गिरती गई और अंततः उसकी मृत्यु हो गई।
2. मलिक काफूर द्वारा हत्या
मलिक काफूर जो अलाउद्दीन का प्रमुख सेनापति और विश्वासपात्र था उस पर खिलजी की हत्या का संदेह किया जाता है। कई ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, मलिक काफूर ने सत्ता की लालसा में अलाउद्दीन खिलजी को जहर देकर या उसकी हत्या करवा दी थी। ऐसा माना जाता है कि अलाउद्दीन के कमजोर पड़ने पर मलिक काफूर ने उसे कैद कर लिया और फिर उसकी हत्या कर दी।
3. आंतरिक षड्यंत्र और सत्ता संघर्ष
अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु के बाद उसके उत्तराधिकार को लेकर भारी संघर्ष हुआ। उसके बेटों के बीच सत्ता की होड़ मच गई, जिसमें मलिक काफूर ने अपनी भूमिका निभाई। मलिक काफूर ने अलाउद्दीन के बेटों को नजरबंद कर दिया और खुद शासन चलाने की कोशिश की। ऐसे में यह भी संभव है कि अलाउद्दीन की मृत्यु सत्ता संघर्ष के कारण उत्पन्न आंतरिक षड्यंत्र का नतीजा हो।
मलिक काफूर की भूमिका
मलिक काफूर, जिसे अलाउद्दीन ने दक्षिण भारत के विजय अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के कारण काफी शक्तिशाली बना दिया था, उसकी मृत्यु के पीछे मुख्य साजिशकर्ता माना जाता है। अलाउद्दीन के अंतिम दिनों में मलिक काफूर को असीमित शक्ति प्राप्त हो गई थी और उसने दरबार में अन्य अमीरों और रईसों को किनारे कर दिया था। अलाउद्दीन की मृत्यु के बाद, मलिक काफूर ने उसके बेटे शहाबुद्दीन उमर को गद्दी पर बैठाया और खुद संरक्षक बनकर शासन चलाने लगा। हालांकि, कुछ महीनों बाद ही अमीरों ने उसे मार दिया।
इतिहासकारों की राय
अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु के कारणों पर इतिहासकारों की राय विभाजित है। कुछ प्रमुख इतिहासकारों की राय इस प्रकार है:
- जियाउद्दीन बरनी: उन्होंने मलिक काफूर को अलाउद्दीन की मृत्यु के लिए जिम्मेदार ठहराया और लिखा कि उसने उसे मारकर सत्ता हथियाने की कोशिश की।
- फिरिश्ता: उन्होंने उल्लेख किया कि अलाउद्दीन किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित था और उसकी मृत्यु प्राकृतिक रूप से हुई।
- सतिश चंद्र: वे मानते हैं कि अलाउद्दीन की मृत्यु बीमारी के कारण हुई, लेकिन मलिक काफूर ने सत्ता हथियाने के लिए स्थिति का फायदा उठाया।
अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु के बारे में निश्चित रूप से कुछ भी कहना मुश्किल है क्योंकि प्रामाणिक ऐतिहासिक स्रोतों में विभिन्न मत मिलते हैं। हालांकि, यह स्पष्ट है कि उसके अंतिम दिनों में उसकी शक्ति कम हो गई थी और मलिक काफूर तथा अन्य दरबारी उसकी स्थिति का लाभ उठाने के लिए तैयार बैठे थे। चाहे उसकी मृत्यु बीमारी से हुई हो या षड्यंत्र के तहत, यह घटना दिल्ली सल्तनत के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। उसकी मृत्यु के बाद खिलजी वंश कमजोर पड़ गया और जल्द ही तुगलक वंश ने सत्ता संभाल ली।
अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु भारतीय इतिहास की एक रहस्यमय घटना बनी हुई है, जो उसके शासनकाल की तरह ही कई गूढ़ प्रश्न छोड़ जाती है।