Monday, March 17, 2025
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Germany federal election 2025: जर्मनी में जल्द होगा संघीय चुनाव, ये 4 लोग माने जा रहे हैं प्रमुख दावेदार

Germany federal election 2025: जर्मनी में रविवार (23 फरवरी) को संघीय चुनाव होने वाले हैं, जो देश के अगले चांसलर को चुनने के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। पिछली सरकार गिरने के बाद वर्तमान चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने अचानक चुनाव कराने का निर्णय लिया था। इस चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दलों और नेताओं की भूमिका अहम होने वाली है। विशेष रूप से, दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क भी इस बार के चुनाव में दिलचस्पी दिखा रहे हैं और दक्षिणपंथी उम्मीदवार एलिस वीडेल का समर्थन कर रहे हैं। आइए, इस बार के प्रमुख दावेदारों पर नजर डालते हैं।

1. ओलाफ स्कोल्ज़ (सोशल डेमोक्रेट, SPD)

66 वर्षीय सेंटर-लेफ्ट सोशल डेमोक्रेट नेता दिसंबर 2021 से जर्मनी के चांसलर हैं और दूसरी बार इस पद के लिए दौड़ में शामिल हैं। स्कोल्ज़ को व्यापक सरकारी अनुभव प्राप्त है, जिसमें हैम्बर्ग के मेयर और जर्मन श्रम एवं वित्त मंत्री के रूप में उनकी भूमिका उल्लेखनीय रही है।

उनके कार्यकाल के दौरान:

  • उन्होंने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद जर्मनी की सेना को आधुनिक बनाने की दिशा में काम किया।
  • जर्मनी को यूक्रेन का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बनाया।
  • ऊर्जा संकट को टालने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने का प्रयास किया।

हालांकि, मतदाताओं के बीच उनकी लोकप्रियता कुछ हद तक घटी है, और उन्हें आगामी चुनाव में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है।

2. फ्रेडरिक मर्ज़ (क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन, CDU)

69 वर्षीय मर्ज़ विपक्षी नेता हैं और चुनावी दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं। उनकी दक्षिणपंथी यूनियन ब्लॉक को चुनावों में बढ़त मिलती दिखाई दे रही है। मर्ज़ ने एंजेला मर्केल के 2021 में पद छोड़ने के बाद CDU पार्टी की बागडोर संभाली थी।

उनका मुख्य एजेंडा:

  • अनियमित प्रवासन को रोकने पर जोर।
  • आर्थिक नीतियों को सुधारना।
  • यूरोपीय संघ के साथ व्यापार और रक्षा नीतियों को मजबूत करना।

हालांकि, मर्ज़ के पास सरकार में प्रत्यक्ष अनुभव की कमी है। उन्होंने 2009 के बाद कई वर्षों तक राजनीति से ब्रेक लिया और ब्लैकरॉक जैसी निवेश प्रबंधन कंपनियों में कार्य किया।

3. रॉबर्ट हेबेक (ग्रीन पार्टी)

55 वर्षीय हेबेक वर्तमान में जर्मनी के उप-चांसलर और अर्थव्यवस्था एवं जलवायु मंत्री हैं। ग्रीन पार्टी के सह-नेता के रूप में वे 2018 से 2022 तक सक्रिय रहे। 2021 में उन्होंने एनालेना बैरबॉक को चांसलर पद का उम्मीदवार बनने दिया, जो अब जर्मनी की विदेश मंत्री हैं।

उनके मुख्य मुद्दे:

  • जलवायु परिवर्तन से निपटना और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देना।
  • जीवाश्म ईंधन से हटकर नवीकरणीय ऊर्जा पर अधिक ध्यान केंद्रित करना।
  • आर्थिक सुधार और सामाजिक कल्याण नीतियों को मजबूत बनाना।

हालांकि, उनकी कुछ नीतियों को लेकर सरकार में मतभेद बने रहे हैं, जिससे उनके समर्थन आधार पर असर पड़ सकता है।

4. एलिस वीडेल (अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी, AfD)

46 वर्षीय वीडेल दक्षिणपंथी, अप्रवास विरोधी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (AfD) पार्टी से पहली बार चांसलर पद के लिए दावेदारी पेश कर रही हैं। पेशे से अर्थशास्त्री वीडेल 2013 में पार्टी से जुड़ी थीं और 2017 में राष्ट्रीय विधायिका में AfD की सीटें जीतने के बाद से पार्टी की संसदीय समूह की सह-नेता रही हैं।

उनकी मुख्य नीतियां:

  • अप्रवासियों पर कड़ी नीति लागू करना।
  • यूरोपीय संघ से स्वतंत्रता बढ़ाने की दिशा में काम करना।
  • रूढ़िवादी और राष्ट्रवादी एजेंडा को आगे बढ़ाना।

AfD ने हाल के वर्षों में समर्थन हासिल किया है, लेकिन मुख्यधारा के दलों द्वारा इसे कट्टरपंथी और विभाजनकारी माना जाता है।

एलन मस्क की दिलचस्पी

इस चुनाव में टेक उद्यमी और दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क भी दिलचस्पी ले रहे हैं। वे खुलकर दक्षिणपंथी उम्मीदवार एलिस वीडेल का समर्थन कर रहे हैं। मस्क के इस समर्थन के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं, जैसे:

  • यूरोप में प्रवासन और ऊर्जा नीतियों पर दक्षिणपंथी विचारों से सहमति।
  • तकनीकी और आर्थिक मुद्दों पर दक्षिणपंथी दृष्टिकोण का समर्थन।

हालांकि, मस्क की यह राजनीतिक रुचि जर्मन राजनीति पर क्या प्रभाव डालेगी, यह चुनाव के परिणाम के बाद स्पष्ट होगा।

जर्मनी का यह संघीय चुनाव न केवल देश के लिए बल्कि यूरोप और वैश्विक राजनीति के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा। ओलाफ स्कोल्ज़ अपनी दूसरी पारी के लिए मैदान में हैं, जबकि फ्रेडरिक मर्ज़ का दक्षिणपंथी रुझान जनता को आकर्षित कर रहा है। रॉबर्ट हेबेक अपने हरित एजेंडे के साथ चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि एलिस वीडेल की पार्टी दक्षिणपंथी एजेंडे को आगे बढ़ा रही है।

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अब देखना यह होगा कि जर्मनी की जनता किसे अपना अगला चांसलर चुनती है और यह चुनाव यूरोप की राजनीति को किस दिशा में ले जाएगा।

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