Indian History: भारत का इतिहास वीरता, शौर्य और महान राजाओं की गाथाओं से भरा हुआ है। जहां एक ओर चंद्रगुप्त मौर्य, अशोक, पृथ्वीराज चौहान, शिवाजी और महाराणा प्रताप जैसे पराक्रमी योद्धाओं का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया, वहीं कुछ शासक ऐसे भी हुए जो अपनी कायरता, कमजोर निर्णय और पराजय के लिए जाने जाते हैं।
ये शासक युद्ध के मैदान में दृढ़ता से खड़े नहीं हो सके और अपनी गलतियों के कारण इतिहास में ‘डरपोक’ के रूप में पहचाने गए। इस लेख में हम ऐसे पाँच राजाओं पर चर्चा करेंगे, जिन्हें उनकी कायरता के कारण डरपोक माना जाता है।
1. जयचंद (गहड़वाल वंश)
जयचंद कन्नौज के गहड़वाल वंश का शासक था, जिसे अक्सर भारतीय इतिहास में विश्वासघात और कायरता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। यह वही राजा था जिसने अपने प्रतिद्वंद्वी पृथ्वीराज चौहान के खिलाफ मोहम्मद गोरी का समर्थन किया। जब पृथ्वीराज चौहान ने जयचंद की बेटी संयोगिता का हरण किया, तब जयचंद ने बदला लेने के लिए विदेशी आक्रमणकारियों के साथ हाथ मिला लिया।
उसने मोहम्मद गोरी को समर्थन दिया, जिससे 1192 ई. में तराइन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की हार हुई। बाद में जयचंद भी गोरी के आक्रमण का शिकार हुआ और उसकी मृत्यु एक अपमानजनक तरीके से हुई। उसकी इसी नीति के कारण उसे इतिहास में एक डरपोक और गद्दार शासक के रूप में याद किया जाता है।
2. राम सिंह (अंबर के राजा)
राम सिंह प्रथम को औरंगज़ेब ने 1667 में असम पर आक्रमण करने के लिए भेजा था। हालांकि, इस अभियान में राम सिंह की रणनीति बेहद कमजोर साबित हुई। अहोम सेना के सामने वह टिक नहीं सका और उसने निर्णायक युद्ध से बचने के लिए कई बार पीछे हटने का प्रयास किया। उसकी कमजोरी और संकोच के कारण मुगल सेना को भारी नुकसान उठाना पड़ा और यह अभियान असफल रहा। राम सिंह की यह असफलता और युद्ध से पीछे हटने की प्रवृत्ति उसे एक कमजोर शासक के रूप में दर्शाती है।
3. सिराजुद्दौला (बंगाल का नवाब)
सिराजुद्दौला बंगाल का अंतिम स्वतंत्र नवाब था, लेकिन उसकी नेतृत्व क्षमता कमजोर और नासमझी भरी थी। 1757 में प्लासी के युद्ध में उसने अंग्रेजों का सामना किया, लेकिन युद्ध में उसकी सेना उसे धोखा देकर भाग गई। सिराजुद्दौला खुद भी युद्ध के मैदान से भाग निकला और अंततः पकड़ा गया तथा उसकी हत्या कर दी गई। उसकी कायरता और गलत निर्णयों के कारण बंगाल अंग्रेजों के हाथों में चला गया। यदि उसने दृढ़ता दिखाई होती और युद्ध का सही से नेतृत्व किया होता, तो शायद भारत में ब्रिटिश शासन की नींव इतनी जल्दी नहीं पड़ती।
4. बहादुर शाह ज़फ़र (मुगल सम्राट)
बहादुर शाह ज़फ़र को 1857 के विद्रोह का नाममात्र का नेता बनाया गया था, लेकिन वास्तव में वह एक कमजोर और डरपोक शासक था। जब भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया, तो उन्होंने ज़फ़र को अपना सम्राट घोषित किया, लेकिन वे विद्रोहियों को उचित समर्थन नहीं दे सके। जब अंग्रेजों ने दिल्ली पर आक्रमण किया, तो बहादुर शाह ज़फ़र ने कोई प्रभावी प्रतिरोध नहीं किया और भागकर हुमायूँ के मकबरे में छिप गए। बाद में अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और उन्हें रंगून (म्यांमार) में निर्वासित कर दिया। उनकी कमजोरी और निष्क्रियता ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को बहुत नुकसान पहुँचाया।
इन चार शासकों की विफलताओं से यह स्पष्ट होता है कि किसी भी राजा या शासक के लिए केवल सत्ता पाना ही पर्याप्त नहीं होता, बल्कि उसमें नेतृत्व, साहस और दृढ़ता का होना भी आवश्यक है। जयचंद की विश्वासघात भरी नीति, राम सिंह की कायरता, नाना साहेब की निष्क्रियता, सिराजुद्दौला की कमजोर युद्ध नीति और बहादुर शाह ज़फ़र की निष्क्रियता ने उन्हें भारतीय इतिहास के सबसे कमजोर और डरपोक शासकों की सूची में ला खड़ा किया। इनकी गलतियों से हमें सीख लेनी चाहिए कि राष्ट्र और समाज की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्प, वीरता और सही रणनीति कितनी आवश्यक होती है।