दिल्ली विश्वविधालय : सहायक प्रोफ़ेसर के पदों को गेस्ट टीचर्स में तब्दील करने पर भड़का फोरम
फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फ़ॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन व दिल्ली विश्वविद्यालय की विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य डॉ. हंसराज सुमन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश कुमार सिंह को पत्र लिखकर मांग की है कि स्थायी व एडहॉक पदों पर होने वाली शिक्षकों की नियुक्तियों को कॉलेज प्रिंसिपलों द्वारा इन पदों को गेस्ट टीचर्स में तब्दील कर नियुक्ति कर रहे है जबकि यूजीसी व विश्वविद्यालय प्रशासन ने एडहॉक पदों को गेस्ट टीचर्स में तब्दील करने संबंधी कोई सर्कुलर जारी नहीं किया है। उन्होंने बताया है कि जुलाई 2022 के बाद कॉलेजों में ओबीसी सेकेंड ट्रांच (दूसरी किस्त ) के पदों का रोस्टर रजिस्टर बनाकर पदों को भरा जाना है। इसके अतिरिक्त जहाँ शिक्षक सेवानिवृत्त हुए हैं उन पदों को भी वे एडहॉक के स्थान पर गेस्ट टीचर्स में तब्दील किया जा रहा है।
कड़े शब्दों में की निंदा
फोरम ने कॉलेजों द्वारा अपनाई जा रही इस नीति का फोरम ने कड़े शब्दों में निंदा की है और कुलपति से मांग की है कि वे प्रिंसिपलों को एडहॉक व स्थायी पदों को भरने संबंधी सर्कुलर जारी करें।डॉ. सुमन ने बताया है कि विभिन्न कॉलेजों ने अपने यहां एडहॉक के स्थान पर गेस्ट टीचर्स रखने के विज्ञापन निकाले है जबकि उन कॉलेजों में एडहॉक पदों पर नियुक्ति की जा सकती है। उनका कहना है कि इन एडहॉक पदों में सबसे ज्यादा एससी /एसटी /ओबीसी व ईडब्ल्यूएस कोटे के अभ्यर्थियों की सीटें बनती है। हालांकि कॉलेज इन पदों में (गेस्ट टीचर्स) आरक्षित वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व दे रहे हैं। मगर वे इन वर्गों की स्थायी सीटों को समाप्त कर उसे गेस्ट टीचर्स में बदलकर यूजीसी, डीओपीटी व भारत सरकार के नियमों की सरेआम अवहेलना कर रहे है। उनका यह भी कहना है कि गेस्ट टीचर्स की छात्रों के प्रति कोई जवाबदेही नहीं है।
एडहॉक पदों को समाप्त किए जाने का लगाया आरोप
डॉ. सुमन ने बताया है कि डीयू कॉलेजों में गेस्ट टीचर्स लगाना आसान है क्योंकि कॉलेज इन पदों को भरने में आरक्षण रोस्टर को लागू तो करते है लेकिन एक एडहॉक पद को दो पदों में तब्दील कर देते है जो कि एक आरक्षित व दूसरा किसी अन्य श्रेणी के लिए बना देते है। उन्होंने बताया है कि सरकार की नीति है कि धीरे-धीरे एडहॉक पदों को समाप्त कर उन्हें गेस्ट टीचर्स में तब्दील कर, इससे आरक्षण नीति को समाप्त करना है। यदि स्थायी / या एडहॉक पद निकाले जाएंगे तो रोस्टर और आरक्षण लागू करना पड़ेगा।डॉ.सुमन ने बताया है कि अधिकांश कॉलेजों में 50 से 60 फीसदी पद आरक्षित वर्गों के खाली पड़े है जिसे कॉलेजों द्वारा भरा जाना है। लेकिन एडहॉक पदों को गेस्ट टीचर्स में तब्दील करने से कॉलेजों के विभिन्न विभागों में स्वीकृत पदों को समाप्त करना है ।
कही ये बात
डॉ. सुमन ने बताया है कि विश्वविद्यालय नीति के अनुसार नए पदों को अस्थायी / एडहॉक व्यवस्था के माध्यम से भरा जा सकता है जब तक कि पदों को स्थायी आधार पर नहीं भरा जा सकता । मगर देखने में आया है कि कॉलेज इन पदों को एडहॉक के स्थान पर गेस्ट बनाकर नियुक्ति कर रहे है । उनका कहना है कि यदि एडहॉक पदों को गेस्ट टीचर्स में तब्दील करना है या इस व्यवस्था में किसी तरह का बदलाव करना था या नीति को बदलना है तो विश्वविद्यालय के प्राधिकारियों अर्थात अकादमिक परिषद, कार्यकारी परिषद और विश्वविद्यालय न्यायालय के अधिकारी इसे कर सकते हैं जैसा कि अगस्त 2019 में भी एडहॉक पदों को गेस्ट टीचर्स में तब्दील करने संबंधी सर्कुलर जारी किया था।