Delhi University की अकैडमिक काउंसिल (एसी) की मीटिंग ने डुअल डिग्री को मंजूरी दे दी है। एकेडमिक काउंसिल द्वारा स्वीकृत किए गए निर्णय के मुताबिक, अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट दोनों ही पाठ्यक्रमों के छात्र दोहरी डिग्री के लिए दो अलग-अलग कोर्स के लिए आवेदन कर सकेंगे. इस संबंध में पेश किए गए प्रस्ताव को एकेडमिक काउंसिल ने अपनी मंजूरी दे दी है। स्टूडेंट्स एक साथ डीयू से एक ऑनलाइन और एक ऑफलाइन डिग्री कोर्स कर सकेंगे। हालांकि ट्विनिंग प्रोग्राम को अभी टाल दिया गया है। दूसरी ओर 40% कोर्स ऑनलाइन पढ़ाए जाने के ऑप्शन पर चर्चा हुई मगर इसे अगली मीटिंग तक के लिए टाल दिया गया।
अकैडमिक काउंसिल (AC) की बैठक में लिया गया फैसला
दरअसल, 30 नवंबर 2023 को दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपनी अकैडमिक काउंसिल (AC) की बैठक बुलाई थी। इस बैठक का मुख्य फोकस ड्यूल डिग्री सिस्टम लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी देना था। यह मीटिंग वाईस चांसलर (VC) प्रोफेसर योगेश सिंह की अध्यक्षता में हुई थी। DU AC की बैठक के दौरान प्रतिष्ठित विदेशी संस्थानों के साथ ट्विनिंग, जॉइंट और ड्यूल डिग्री प्रोजेक्ट्स के साथ-साथ दो अकादमिक डिग्री प्रोग्राम्स में एक साथ शामिल होने और NEP 2020 के अनुसार क्रेडिट ट्रांसफर पर भी चर्चा की गई। हालांकि, काउंसिल के कुछ मेंबरों ने इसका विरोध भी किया।
ट्विनिंग, जॉइंट और डुअल डिग्री के लिए डीयू ने एक समिति बनाई थी। इस समिति ने पिछले 11 महीनों में अपनी बैठकें में विदेशी संस्थानों के साथ जुड़ने, जॉइंट और डुअल डिग्री और एक साथ दो डिग्री जारी करने के संबंध में जानकारी के साथ अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की थीं। चर्चा के बाद एक साथ दो डिग्री कार्यक्रम को अप्रूव कर दिया गया, जबकि बाकी को अगली बैठक में विचार के लिए रख दिया गया ।
मीटिंग में कई लोगों के द्वारा इसका किया गया विरोध
डूटा एग्जिक्यूटिव मेंबर रूद्रशीष चक्रवर्ती ने बताया कि मीटिंग में इसका विरोध हुआ। डुअल डिग्री पैसा कमाने का तरीका है और NEP के तहत एजुकेशन के प्राइवेटाइजेशन का तरीका है। पिछले साल यूजीसी ने देशभर की सभी यूनिवर्सिटी को 40% सिलेबस ऑनलाइन पढ़ाने के लिए कहा गया था। एसी मीटिंग में इस प्रस्ताव पर चर्चा हुई जिसके तहत स्टूडेंट्स के पास 40% सिलेबस ऑनलाइन पढ़ने का मौका मिले। मगर एसी मेंबर्स के विरोध के बाद इस पर फैसला अगली मीटिंग तक के लिए टाल दिया गया।
यह सिलेबस यूजीसी के समर्थ पोर्टल पर पढ़ा जा सकेगा, जिसमें कि मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स (MOOCS) हैं। टीचर्स यह कहते हुए पहले से ऐतराज कर रहे हैं कि इसके लागू होने से वे स्टूडेंट्स मुश्किल में आ जाएंगे जिनके पास पर्याप्त ऑनलाइन सुविधाएं नहीं हैं और इससे टीचर्स का वर्कलोड भी कम होगा। यानी टीचिंग की पोस्ट कम होगी।
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