Delhi Assembly Session: दिल्ली विधानसभा में बृहस्पतिवार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा पेश की गई आबकारी नीति संबंधी रिपोर्ट पर चर्चा होनी है। हालांकि, इससे पहले सदन में डिप्टी स्पीकर के चुनाव की प्रक्रिया संपन्न की जाएगी। यह रिपोर्ट दिल्ली सरकार की आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं को उजागर करती है और इससे जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों पर बहस छिड़ गई है।
भाजपा का हमला: भ्रष्टाचार उजागर होने का दावा
भाजपा विधायक सतीश उपाध्याय ने इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इसमें आम आदमी पार्टी (AAP) द्वारा अपने करीबियों को अवैध रूप से लाभ पहुंचाने का खुलासा हुआ है। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली की जनता के कल्याण के लिए आवंटित धन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और राज्य के राजस्व को 2000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ। उपाध्याय ने कहा, “आम आदमी पार्टी को सदन में चर्चा के दौरान इस भारी वित्तीय नुकसान का जवाब देना होगा।”
आतिशी का पलटवार: तानाशाही का आरोप
वहीं, दिल्ली की पूर्व मंत्री आतिशी ने भाजपा पर तीखा हमला बोलते हुए इसे लोकतंत्र की हत्या बताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “भाजपा सरकार ने सत्ता में आते ही तानाशाही की हदें पार कर दी हैं। आम आदमी पार्टी के विधायकों को ‘जय भीम’ के नारे लगाने पर तीन दिन के लिए निलंबित कर दिया गया और अब उन्हें विधानसभा परिसर में प्रवेश भी नहीं करने दिया जा रहा है। यह दिल्ली विधानसभा के इतिहास में पहली बार हो रहा है।”
आम आदमी पार्टी (AAP) के आधिकारिक एक्स अकाउंट से भी इसी मुद्दे पर भाजपा पर निशाना साधा गया। आप की पोस्ट में कहा गया, “दिल्ली में भाजपा सरकार तानाशाही पर उतर आई है। आम आदमी पार्टी के विधायकों ने बाबा साहब के नारे लगाए तो उन्हें सदन से निलंबित कर दिया गया। अब उन्हें विधानसभा भवन में प्रवेश से भी रोका जा रहा है। यह लोकतंत्र की हत्या है।”
कांग्रेस की मांग: आबकारी नीति की निष्पक्ष जांच हो
कांग्रेस ने भी आबकारी नीति पर सवाल उठाते हुए इसकी निष्पक्ष जांच की मांग की है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा, “कैग रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया है कि दिल्ली सरकार की आबकारी नीति में भारी अनियमितताएँ हुई हैं। आम आदमी पार्टी की तत्कालीन सरकार दावा कर रही थी कि इस नीति से राजस्व बढ़ेगा, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार को 2002 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।”
यादव ने कहा कि भाजपा और आप की आपसी लड़ाई के कारण विधानसभा में इस रिपोर्ट पर समुचित चर्चा नहीं हो सकी है। उन्होंने शराब घोटाले की जांच का दायरा बढ़ाने और सितंबर 2022 में कांग्रेस द्वारा पुलिस आयुक्त को दी गई शिकायत को भी शामिल करने की मांग की।
शराब ठेकों के लाइसेंस और भाजपा की भूमिका
भाजपा की ओर से लगाए जा रहे आरोपों के जवाब में कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया कि जब दिल्ली नगर निगम (MCD) में भाजपा सत्ता में थी, तब गैर-अधिसूचित क्षेत्रों में शराब के ठेके खोलने की अनुमति क्यों दी गई? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित ने कहा, “शराब ठेकों के लाइसेंस देने में भाजपा के बड़े नेताओं और तत्कालीन उपराज्यपाल की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए। आखिर एक साल में तीन आबकारी निदेशकों को बदलने का निर्णय किसने लिया और क्यों लिया गया?”
उन्होंने यह भी मांग की कि मास्टर प्लान का उल्लंघन कर शराब के ठेके खोलने के मामले की विस्तृत जांच होनी चाहिए। संदीप दीक्षित ने कहा कि आबकारी नीति को लागू करने की अनुमति तत्कालीन उपराज्यपाल ने दी थी, लेकिन अब तक उनकी भूमिका पर कोई जांच नहीं हुई है।
आगे की राह: जांच और सियासी हलचल जारी
आबकारी नीति पर जारी घमासान के बीच यह स्पष्ट हो गया है कि यह मुद्दा जल्द शांत होने वाला नहीं है। भाजपा, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच इस मुद्दे को लेकर सियासी खींचतान तेज हो गई है।
आम आदमी पार्टी अपने बचाव में जहां इसे भाजपा द्वारा प्रायोजित राजनीतिक हमला बता रही है, वहीं भाजपा इसे भ्रष्टाचार का बड़ा मामला मान रही है। कांग्रेस भी इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग कर रही है, जिससे स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में इस विषय पर और अधिक राजनीतिक बयानबाजी देखने को मिलेगी।
अब देखना यह है कि विधानसभा में होने वाली चर्चा में क्या नतीजा निकलता है और क्या कैग रिपोर्ट के आधार पर किसी प्रकार की कानूनी कार्रवाई की जाती है या नहीं।