Bangladesh: बांग्लादेश में हाल ही में हुए तख्तापलट के बाद एक अभूतपूर्व घटना घटित हुई। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर लगातार हमले हो रहे हैं। जिस वजह से बहुत लोग भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश कर रहे हैं। जब हजारों बांग्लादेशियों ने भारत के बंगाल राज्य में घुसपैठ की कोशिश की। इस घटना ने न केवल सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव बढ़ा दिया, बल्कि भारत-बांग्लादेश सीमा सुरक्षा बल (BSF) को भी सख्त कार्रवाई करने पर मजबूर कर दिया।
बांग्लादेश में तख्तापलट
बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता लंबे समय से चल रही थी, लेकिन हालिया तख्तापलट ने इस अस्थिरता को नए स्तर पर पहुंचा दिया। तख्तापलट के पीछे मुख्य कारण बांग्लादेश की आंतरिक राजनीतिक संघर्ष और सत्ता के लिए हो रही खींचतान मानी जा रही है। इस तख्तापलट ने देश में व्यापक असंतोष और भय पैदा कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप हजारों लोग अपने जीवन को सुरक्षित करने के लिए भारत की ओर भागने लगे।
भारत-बांग्लादेश सीमा पर हालात | Bangladesh Border West Bengal
बांग्लादेश में तख्तापलट के तुरंत बाद, सीमा पर बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे होने लगे। ये लोग अपनी जान बचाने के लिए भारत की सीमा में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे। BSF ने तुरंत स्थिति को भांपते हुए सीमा पर अपनी सुरक्षा व्यवस्था को सख्त कर दिया। घुसपैठ की इस कोशिश के दौरान सीमा पर भारी संख्या में लोग जमा हो गए, जिससे अफरा-तफरी मच गई।
इसी बीच सीमा सुरक्षा बल (BSF) की गुवाहाटी फ्रंटियर ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले में बांग्लादेश सीमा से भारत में घुसने की कोशिश कर रहे लोगों के प्रयास को विफल कर दिया है। BSF ने अपनी प्रेस रिलीज में बताया है कि करीब 1000 लोग, जिसमें से ज्यादातर लोग हिंदू थे, भारत में शरण के लिए सीमा पर पहुंचे थे।
BSF की कार्रवाई | Bangladesh Border West Bengal
BSF ने इस घुसपैठ को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई की। जवानों ने पहले इन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन जब स्थिति हाथ से बाहर जाने लगी, तो BSF ने सख्ती से निपटने का फैसला किया। सीमा पर आंसू गैस के गोले छोड़े गए, और हवाई फायरिंग भी की गई। इसके अलावा, BSF ने अपने अतिरिक्त जवानों को सीमा पर तैनात किया ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।
घुसपैठियों की मनोस्थिति
घुसपैठ की कोशिश करने वाले अधिकतर लोग बांग्लादेश के ग्रामीण क्षेत्रों से थे, जिनके पास सीमित साधन और संसाधन थे। तख्तापलट के बाद उन्हें अपने जीवन को सुरक्षित रखने का एकमात्र रास्ता भारत में शरण लेना लगा। ये लोग भयभीत थे और उनके मन में अराजकता का डर व्याप्त था। इस कारण से उन्होंने सीमा पार करने का जोखिम उठाया।
सीमा पर स्थिति अत्यंत तनावपूर्ण हो गई थी। हजारों की संख्या में लोग सीमा पार करने की कोशिश में लगे हुए थे, जिससे दोनों ओर से दबाव बढ़ गया। इस दौरान, अफवाहें भी फैलने लगीं, जिससे लोगों में और अधिक भय पैदा हुआ।
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भारत की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने इस पूरे घटनाक्रम पर गंभीरता से ध्यान दिया। सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया गया, और स्थानीय प्रशासन को सतर्क रहने का निर्देश दिया गया। इसके अलावा, भारत सरकार ने बांग्लादेश के साथ इस मुद्दे पर बातचीत करने का फैसला किया, ताकि सीमा पर शांति बहाल की जा सके और भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।
इस समिति को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘ये समिति में शामिल अधिकारी बांग्लादेश में अपने समकक्ष अधिकारियों के साथ जुड़े रहेंगे, ताकि वहां रह रहे भारतीय नागरिकों, हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. इस , समिति की अध्यक्षता एडीजी, सीमा सुरक्षा बल, पूर्वी कमान कर रहे हैं।