
लंदन में वायु प्रदूषण से 5 दिनों तक दिन में छाया रहा अंधेरा, हजारों लोगों की हुई मौत
Air Pollution : दुनिया के कई देशों में हर साल प्रदूषण की वजह से हवा की क्वालिटी बहुत खराब हो जाती है। हवा में घुलते विषैले तत्वों से कई बीमारियां तो होती ही है साथ ही घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो जाता है। बता दें कि लंदन में एक बार वायु प्रदूषण इतना बढ़ गया था कि वहां कई दिनों तक दिन में भी अंधेरा छा गया था। आँखों और फेफड़े में जलन मचने की समस्या से कोई भी अछूता नहीं रहा था। लोगों का बचना मुश्किल हो रहा था, ज्यादातर सभी अस्पताल पीड़ितों से भर चुके थे। कुछ दिनों में ही हजारों लोग ग्रेट स्मॉग से लंदन में मर गए थे।
इतने लोगों की गई जान
लगभग 70 साल पहले लंदन में दिन में रात हो गई थी। हवा इतनी काली और दमघोंटू हो गई थी कि सूरज की रोशनी दिखनी बंद हो गई थी। उन पांच दिनों में 4000 लोगों की मौत हुई थी और स्मॉग से, कुल मिलाकर लगभग 12,000 लोगों की जानें गई थी। वर्ष 1952 में दिसंबर के शुरुआती दिनों में ये कहर ब्रिटेन की राजधानी लंदन में बरपा था। उस समय पूरे शहर में स्मॉग से अंधेरे की चादर के साथ-साथ ठंड भी अपनी चरम सीमा पर थी। कहा जाता है कि ये स्मॉग कोयले के अधिक इस्तेमाल से पैदा हुआ था, जिसने थोड़े ही समय में पूरे शहर के ऊपर एक मोटी काली चादर बिछा दी थी। इसके बाद इससे बड़ा और इतना भयावह वायु प्रदूषण यहां अब तक देखने को नहीं मिला है।
5 दिनों तक बनी रहीं स्मॉग की काली चादर
स्मॉग की काली चादर 05 दिसंबर से शुरू होकर अगले पांच दिनों तक यानि 09 दिसंबर 1952 तक बनी रहीं थी। लगभग एक लाख लोग इसके प्रभाव से बीमार पड़े हुए थे। हालांकि इसका प्रभाव आने वाले कुछ महीनों में भी जारी रहा था। बता दें कि 1301 में एडवर्ड प्रथम ने लंदन में वायु प्रदुषण नहीं हो, इस के चलते कोयला जलाने पर रोक लगा दी थी। लेकिन बावजूद इसके सर्दियों में, लंदन के लोग बड़े पैमाने पर घरों को गर्म रखने के लिए कोयला जलाते थे, जिसके धुएं से बड़े पैमाने पर सल्फर डाई ऑक्साइड बनता था। बाद में इसको देखते हुए वर्ष 1956 में पहली बार ब्रिटेन में क्लीन एयर एक्ट बना और कोयला आधारित कई पॉवर स्टेशन भी शुरू किए गए ।