Shivaji Maharaj : शिवाजी महाराज भारत के इतिहास के सबसे महान योद्धाओं और रणनीतिकारों में से एक थे। उन्होंने मराठा साम्राज्य की नींव रखी और मुगल साम्राज्य जैसे शक्तिशाली दुश्मनों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। शिवाजी की वीरता और चतुराई की कई कहानियाँ प्रसिद्ध हैं, लेकिन उनमें से एक सबसे रोमांचक कहानी है औरंगजेब की कैद से भागने की। यह घटना न केवल शिवाजी की बुद्धिमत्ता को दर्शाती है, बल्कि उनकी हिम्मत और संकट के समय सही निर्णय लेने की क्षमता को भी उजागर करती है।
शिवाजी और औरंगजेब का संघर्ष
शिवाजी महाराज और मुगल बादशाह औरंगजेब के बीच संघर्ष लंबे समय से चल रहा था। शिवाजी ने मुगलों के खिलाफ कई सफल युद्ध लड़े और अपने साम्राज्य का विस्तार किया। औरंगजेब शिवाजी की बढ़ती शक्ति से चिंतित था और उसे रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा था। इसी क्रम में, औरंगजेब ने शिवाजी को अपने दरबार में आमंत्रित किया, ताकि उन्हें अपने नियंत्रण में ले सके।
आगरा की यात्रा और कैद | Shivaji Maharaj
1666 में, शिवाजी को औरंगजेब के दरबार में आमंत्रित किया गया। औरंगजेब ने शिवाजी को यह आश्वासन दिया कि उन्हें सुरक्षित रूप से वापस जाने दिया जाएगा। हालांकि, शिवाजी को संदेह था कि यह एक जाल हो सकता है। फिर भी, उन्होंने औरंगजेब के निमंत्रण को स्वीकार किया और अपने बेटे संभाजी के साथ आगरा पहुँचे।
जब शिवाजी आगरा पहुँचे, तो औरंगजेब ने उनका स्वागत किया, लेकिन जल्द ही उन्हें कैद कर लिया गया। शिवाजी और उनके बेटे को आगरा के किले में नजरबंद कर दिया गया। औरंगजेब का इरादा शिवाजी को अपने नियंत्रण में रखकर मराठा साम्राज्य को कमजोर करना था।
कैद से भागने की योजना
शिवाजी ने हार नहीं मानी और कैद से भागने की योजना बनानी शुरू कर दी। उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता और चतुराई का इस्तेमाल करते हुए एक साहसिक योजना तैयार की। शिवाजी ने औरंगजेब के दरबार में अपनी निराशा और हताशा का नाटक किया। वे बीमार होने का बहाना करने लगे और खुद को कमजोर दिखाने लगे। इससे मुगल सैनिकों को लगा कि शिवाजी अब कोई खतरा नहीं हैं।
शिवाजी ने अपने बेटे संभाजी के साथ मिलकर योजना बनाई। उन्होंने मुगल सैनिकों को विश्वास दिलाया कि वे अब औरंगजेब के प्रति वफादार हैं और उन्हें कोई खतरा नहीं है। इसके बाद, शिवाजी ने अपने भरोसेमंद साथियों के साथ संपर्क साधा और भागने की योजना को अंजाम देने के लिए तैयार हो गए।
ये भी पढ़ें : How Aurangzeb Died: आखिर कैसे हुई क्रूर मुगल बादशाह औरंगजेब की मृुत्यु ?
रोमांचक योजना
शिवाजी ने अपनी योजना को अंजाम देने के लिए एक चतुर तरीका अपनाया। उन्होंने मिठाई और उपहारों के बक्से तैयार किए और उनमें छिपकर भागने का फैसला किया। शिवाजी और उनके बेटे संभाजी ने खुद को इन बक्सों में छिपा लिया। उनके भरोसेमंद साथियों ने इन बक्सों को किले से बाहर ले जाने का प्रबंध किया।
मुगल सैनिकों को शक नहीं हुआ क्योंकि वे शिवाजी को बीमार और कमजोर समझते थे। इस तरह, शिवाजी और संभाजी बक्सों में छिपकर किले से बाहर निकलने में सफल हो गए। यह योजना इतनी सही तरीके से बनाई गई थी कि मुगल सैनिकों को कुछ भी पता नहीं चला।
कैद से भागने के बाद
किले से बाहर निकलने के बाद, शिवाजी और उनके बेटे ने तेजी से अपने साम्राज्य की ओर प्रस्थान किया। उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर मुगल सैनिकों को चकमा दिया और सुरक्षित रूप से अपने क्षेत्र में पहुँच गए। इस घटना ने शिवाजी की बुद्धिमत्ता और साहस को साबित कर दिया।
शिवाजी के भागने की खबर सुनकर औरंगजेब हैरान रह गया। उसे एहसास हुआ कि शिवाजी को कमजोर समझना उसकी बड़ी भूल थी। इस घटना के बाद, शिवाजी ने मुगलों के खिलाफ और भी मजबूती से लड़ाई जारी रखी और अपने साम्राज्य का विस्तार किया।
शिवाजी महाराज की औरंगजेब की कैद से भागने की कहानी उनकी बुद्धिमत्ता, साहस और रणनीतिक सोच का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह घटना न केवल शिवाजी की वीरता को दर्शाती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि संकट के समय सही योजना और धैर्य से काम लेने पर कैसे बड़ी से बड़ी मुश्किल को पार किया जा सकता है। शिवाजी महाराज का यह साहसिक कार्य भारतीय इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा और युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।