Saturday, January 11, 2025
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Lal Bahadur Shastri death anniversary: एक सादगीपूर्ण नेता की प्रेरणादायक गाथा, जिनकी मौत अभी तक है मिस्ट्री

Lal Bahadur Shastri death anniversary: भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का नाम भारतीय राजनीति और स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। उनकी पुण्यतिथि हर वर्ष 11 जनवरी को मनाई जाती है, जो हमें उनके अद्वितीय योगदान और उनके जीवन की प्रेरणादायक गाथा को स्मरण करने का अवसर प्रदान करती है। उनका जीवन सादगी, ईमानदारी और देशभक्ति का प्रतीक था। इस लेख में, हम उनके जीवन, योगदान और रहस्यमयी मृत्यु पर प्रकाश डालेंगे।

Lal Bahadur Shastri death anniversary

प्रारंभिक जीवन

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। उनका परिवार अत्यंत साधारण था, और वे अपने माता-पिता के तीन बच्चों में से एक थे। शास्त्री जी ने बचपन में ही अपने पिता को खो दिया था, जिसके कारण उनका बचपन संघर्षों से भरा रहा। उन्होंने “शास्त्री” की उपाधि काशी विद्यापीठ से प्राप्त की, जो उनके विद्वता और ज्ञान को दर्शाती है।

शास्त्री जी ने प्रारंभ से ही महात्मा गांधी के आदर्शों को अपनाया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई। उनका सादा जीवन और उच्च विचार उनके व्यक्तित्व का प्रमुख हिस्सा थे।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

लाल बहादुर शास्त्री ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई आंदोलनों में भाग लिया। उन्होंने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई।

1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान, उन्हें जेल भेजा गया, जहां उन्होंने लगभग दो साल तक कठोर परिस्थितियों में समय बिताया। उनकी नेतृत्व क्षमता और राष्ट्र के प्रति समर्पण ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण नेता के रूप में उभरने का अवसर दिया।

Lal Bahadur Shastri death anniversary

प्रधानमंत्री के रूप में योगदान

1964 में जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद, लाल बहादुर शास्त्री को भारत का दूसरा प्रधानमंत्री बनाया गया। उनके प्रधानमंत्री बनने का समय देश के लिए चुनौतियों से भरा था। उन्होंने अपनी सूझबूझ और निर्णय लेने की क्षमता से इन चुनौतियों का सामना किया।

जय जवान, जय किसान

1965 में, जब भारत को पाकिस्तान के साथ युद्ध का सामना करना पड़ा, शास्त्री जी ने “जय जवान, जय किसान” का नारा दिया। यह नारा न केवल सैनिकों और किसानों के प्रति उनके सम्मान और समर्थन को दर्शाता है, बल्कि यह भारत के विकास के दो मुख्य स्तंभों को भी उजागर करता है।

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हरित क्रांति का प्रारंभ

भारत उस समय खाद्यान्न संकट से जूझ रहा था। शास्त्री जी ने हरित क्रांति को प्रोत्साहित किया, जिससे भारत कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बढ़ा। उनके प्रयासों से भारत ने खाद्यान्न उत्पादन में क्रांति लाई और भूखमरी की समस्या को दूर करने में सफलता प्राप्त की।

रहस्यमयी मृत्यु

10 जनवरी 1966 को ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद, लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के कारण आज तक स्पष्ट नहीं हो सके हैं। इसे लेकर कई सवाल और विवाद उठते रहे हैं। उनकी पत्नी और परिवार ने हमेशा इस पर स्वतंत्र जांच की मांग की, लेकिन आज तक यह रहस्य अनसुलझा है। उनकी मृत्यु भारतीय राजनीति में एक ऐसा अध्याय है जो अभी भी अनेक लोगों के लिए जिज्ञासा का विषय बना हुआ है।

शास्त्री जी की विरासत

लाल बहादुर शास्त्री ने अपने जीवनकाल में जो सादगी और ईमानदारी की मिसाल पेश की, वह आज भी हमारे लिए प्रेरणा है। उन्होंने कभी भी सत्ता या धन का मोह नहीं किया और हमेशा देश और जनता के हित में कार्य किया।

उनकी नीतियों और नेतृत्व शैली ने उन्हें जनता के प्रिय नेता के रूप में स्थापित किया। उनके आदर्श और विचार आज भी प्रासंगिक हैं और हमें एक सशक्त, समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए प्रेरित करते हैं।

लाल बहादुर शास्त्री का जीवन और उनकी उपलब्धियां हर भारतीय के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उनकी पुण्यतिथि पर, हमें उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाने का संकल्प लेना चाहिए। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सादगी और ईमानदारी से भी महानता हासिल की जा सकती है।

शास्त्री जी के योगदान और बलिदान को हम कभी नहीं भूल सकते। उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, हम उनके दिखाए गए मार्ग पर चलने का प्रयास करें।

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