Saturday, November 23, 2024
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Social Media पर ऑनलाइन प्यार, शादी के सपने देखते – देखते कैसे तस्करों के जाल में फंस रहीं लड़कियां ?

Social Media: भारत में मानव तस्करी और साइबर क्राइम एक गंभीर समस्या बन चुकी है, खासकर तब जब इसे आधुनिक तकनीक और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से बढ़ावा दिया जा रहा है। इंटरनेट और सोशल मीडिया का प्रसार जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है, वैसे ही इसका दुरुपयोग भी विभिन्न रूपों में बढ़ रहा है।

यह किसी व्यक्ति के लिए कनेक्टिविटी का साधन बन सकता है, लेकिन साथ ही यह कई प्रकार की आपराधिक गतिविधियों का जरिया भी बन सकता है। हाल ही में दो किशोरियों का मामला सामने आया, जो प्यार के जाल में फंसकर मानव तस्करी का शिकार हुईं। शक्ति वाहिनी नामक गैर सरकारी संगठन ने इन किशोरियों को बचाया और इस जटिल मुद्दे पर जागरूकता की जरूरत पर बल दिया।

सोशल मीडिया और मानव तस्करी

सोशल मीडिया ने जहां संवाद को आसान और तेज़ बना दिया है, वहीं इसने नए तरह के खतरों को भी जन्म दिया है। आजकल तस्कर इस मंच का उपयोग करके विशेष रूप से युवा लड़कियों को निशाना बना रहे हैं। वे पहले दोस्ती और प्रेम के बहाने से संपर्क स्थापित करते हैं और धीरे-धीरे उन पर भरोसा जमा लेते हैं। एक बार विश्वास जमा लेने के बाद, तस्कर इन लड़कियों को मिलने के लिए मना लेते हैं और फिर उन्हें तस्करी के जाल में फंसा लेते हैं।

हाल की घटनाएं

शक्ति वाहिनी के कार्यकर्ता ऋषि कांत द्वारा किए गए प्रयासों से दो किशोरियों को बचाया गया, जो सोशल मीडिया के माध्यम से मानव तस्करों के जाल में फंसी हुई थीं। इनमें से पहली लड़की पश्चिम बंगाल से थी, जिसकी उम्र महज 14 साल थी। उसने सोशल मीडिया पर एक अजनबी से दोस्ती की, जिसने उसे धीरे-धीरे प्यार और भरोसे के जाल में फंसाया। इसके बाद तस्कर उसे दिल्ली बुला कर वहां बंधक बना लिया। इसी तरह, दूसरी किशोरी भी पश्चिम बंगाल से थी, जो तस्करों के झांसे में आ गई और दिल्ली में फंसी हुई थी।

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तस्करों के तरीके : प्रेम और शादी के झूठे वादे

तस्कर अक्सर प्रेम के झूठे वादे और शादी का प्रस्ताव देकर लड़कियों को आकर्षित करते हैं। सोशल मीडिया पर ये तस्कर खुद को किसी आम इंसान की तरह पेश करते हैं, और धीरे-धीरे लड़कियों का भरोसा जीतते हैं। कई बार वे लड़कियों को आर्थिक स्थिति सुधारने और बेहतर जीवन के झूठे सपने भी दिखाते हैं। कुछ मामलों में वे शादी का झूठा वादा करके लड़कियों को अपने साथ जाने के लिए मजबूर कर देते हैं। जब लड़कियों को सच्चाई का पता चलता है, तब तक वे तस्करी के जाल में फंस चुकी होती हैं।

साइबर सुरक्षा और शिक्षा की जरूरत

शक्ति वाहिनी के कार्यकर्ताओं का मानना है कि तस्करी के इन बढ़ते मामलों को रोकने के लिए साइबर सुरक्षा की शिक्षा आवश्यक है। ऋषि कांत ने सुझाव दिया कि स्कूलों में साइबर-क्षमता आधारित मानव तस्करी मामलों पर एक विशेष पाठ्यक्रम लागू किया जाना चाहिए। यह पाठ्यक्रम युवा लड़कियों को इन खतरों से सचेत कर सकता है और उन्हें यह समझा सकता है कि कैसे किसी अजनबी से ऑनलाइन बातचीत करते समय सतर्क रहना चाहिए।

मानव तस्करी : एक पुरानी समस्या

मानव तस्करी कोई नई समस्या नहीं है। यह वर्षों से चल रही है, लेकिन सोशल मीडिया के आगमन के साथ इसमें नई तकनीक और तरीके जोड़े गए हैं। तस्करी का शिकार बनने वाली लड़कियों में मुख्य रूप से गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाली लड़कियां होती हैं। छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और असम जैसे राज्यों से लड़कियों को विशेष रूप से दिल्ली और अन्य महानगरों में तस्करी के लिए लाया जाता है। उन्हें छोटे-मोटे कामों में लगाया जाता है या फिर कुछ को वेश्यावृत्ति में धकेल दिया जाता है।

मानव तस्करी के परिणाम और निवारण

मानव तस्करी के दुष्परिणाम समाज पर गहरे होते हैं। यह न केवल तस्करी का शिकार बनने वाले व्यक्तियों के जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि उनके परिवारों और समुदायों को भी। यह समाज में अपराध को बढ़ावा देता है और कई बार पीड़ितों की आत्मनिर्भरता और आत्म-सम्मान को तोड़ देता है। इस समस्या का समाधान तभी संभव है जब सरकार और समाज मिलकर काम करें।

मानव तस्करी को रोकने के लिए कठोर कानूनों का होना जरूरी है, पर इससे भी जरूरी है कि लोग खुद सतर्क रहें। बच्चों और किशोरों को साइबर सुरक्षा के बारे में जागरूक करना चाहिए ताकि वे किसी अनजान व्यक्ति से बातचीत करने में सावधानी बरतें। इसके अलावा, सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को भी इस संबंध में अधिक सख्त नियम लागू करने चाहिए ताकि तस्करी जैसे मामलों को रोका जा सके।

मानव तस्करी और साइबर क्राइम की रोकथाम के लिए एक सशक्त तंत्र की आवश्यकता है। यह एक गंभीर मुद्दा है जो केवल कानून के सहारे नहीं रोका जा सकता, बल्कि इसके लिए समाज में जागरूकता फैलाना जरूरी है। स्कूलों में साइबर सुरक्षा और मानव तस्करी के प्रति जागरूकता फैलाने वाले पाठ्यक्रम को लागू करना, लोगों को सोशल मीडिया पर सुरक्षित रहने के तरीकों से अवगत कराना और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों द्वारा तस्करों पर निगरानी बढ़ाना, ऐसे कदम हैं जो इस दिशा में मददगार साबित हो सकते हैं।

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