Friday, November 22, 2024
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Iranian President Helicopter Crash : ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मौत,

Iranian President Helicopter Crash : ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी को ले जा रहे हेलीकॉप्टर के क्रैश होने की खबर ने पूरी दुनिया को चौका दिया है। ईरानी मीडिया रिपोर्ट की माने तो दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर का मलबा ढूंढ लिया गया है। दुर्घटनास्थल पर राष्ट्रपति रईसी के जिंदा होने का कोई संकेत नहीं मिल पा रहा हैं। आइए जानते हैं कि आखिर कौन हैं इब्राहिम रईसी, जिन्हें ढूंढने के लिए तमाम देशों ने मदद का हाथ बढ़ाया है।

Iranian President Helicopter Crash

ईरान की ओर से ज्यादा कुछ इस मामल में नही बताया गया है

ईरान की सरकार की ओर से भी इस दुर्घटना को लेकर ज्यादा कुछ कहा नहीं जा रहा है। ऐसे में उनके लापता होने पर कई सवाल उठ रहे है। राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी को ईरान के सर्वोच्च नेता आयातुल्लाह अली खुमैनी का उत्तराधिकारी भी माना जाता रहा था। 1960 में राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी का जन्म उत्तरी पूर्वी ईरान के मशहद शहर में हुआ था। नके पिता का निधन उसी वक्त हो गया था,जब रईसी सिर्फ पांच साल के थे।

Iranian President Helicopter Crash

रईसी का झुकाव शुरुआत से ही धर्म और राजनीति की ओर रहा

पने पिता के पदचिह्नों पर चलते हुए उन्होंने 15 साल की उम्र से ही कोम शहर में स्थित एक शिया संस्थान में पढ़ाई शुरू कर दी थी। रईसी का झुकाव शुरुआत से ही धर्म और राजनीति की ओर रहा है। वो छात्र जीवन में ही पश्चिमी देशों को समर्थक मोहम्मद रेजा शाह के खिलाफ सड़कों पर उतर गए। इस रैली के बाद अयातोल्ला रुहोल्ला खुमैनी ने इस्लामिक क्रांति के जारिए साल 1979 में शाह को सत्ता से बेदखल कर दिया था।

2021 में बने राष्ट्रपति

सिर्फ 20 साल की उम्र में ही उन्हें तेहरान के करीब स्थित कराज का महा-अभियोजक नियुक्त कर दिया गया था।

साल 1989 से 1994 के बीच रईसी, तेहरान के महा-अभियोजक रहे और इसके बाद 2004 से अगले एक दशक तक न्यायिक प्राधिकरण के डिप्टी चीफ रहे।

साल 2014 में वो ईरान के महाभियोजक बन गए थे। ईरानी न्यायपालिका के प्रमुख रहे रईसी के राजनीतिक विचार ‘अति कट्टरपंथी’ माने जाते हैं।

उन्हें ईरान के कट्टरपंथी नेता और देश के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयातुल्लाह अली खुमैनी का करीबी माना जाता है।

वे जून 2021 में उदारवादी हसन रूहानी की जगह इस्लामिक रिपब्लिक ईरान के राष्ट्रपति चुने गए थे।

चुनाव अभियान के दौरान रईसी ने खुद को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में प्रचारित किया था कि वे रूहानी शासन के दौरान पैदा हुए भ्रष्टाचार और आर्थिक संकट
से निपटने के लिए सबसे अच्छे विकल्प हैं।

इब्राहीम रईसी, शिया परंपरा के मुताबिक हमेशा काली पगड़ी पहनते थे, जो यह बताती है कि वो पैगंबर मुहम्मद के वंशज हैं।

उन्हें ‘हुज्जातुलइस्लाम’ यानी ‘इस्लाम का सबूत’ की धार्मिक पदवी भी दी गई है।

1988 में इब्राहीम रईसी खुफिया ट्रिब्यूनल्स में शामिल हो गए थे

साल 1988 में इब्राहीम रईसी खुफिया ट्रिब्यूनल्स में शामिल हो गए जिन्हें ‘डेथ कमेटी’ के नाम से जाना जाता है। इन ट्रिब्यूनल्स ने उन हज़ारों राजनीतिक क़ैदियों पर ‘दोबारा मुक़दमा’ चलाया जो अपनी राजनीतिक गतिविधियों के कारण पहले ही जेल की सजा काट रहे थे। इन राजनीतिक कैदियों में से ज्यादातर लोग ईरान में वामपंथी और विपक्षी समूह मुजाहिदीन-ए-ख़ल्क़ा (MEK) या पीपुल्स मुजाहिदीन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ ईरान (PMOI) के सदस्य थे।

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मानवाधिकार समूहों का कहना है कि इनमें लगभग 5,000 पुरुष और महिलाएं शामिल थीं। जिनको फांसी की सजा हुई थी। फांसी के बाद इन सभी कैदी को अज्ञात सामूहिक कब्रों में दफना दिया गया था। मानवाधिकार कार्यकर्ता इस घटना को हमेशा से मानवता के विरुद्ध अपराध बताते रहे हैं। इब्राहिम रईसी ने इस मामले में अपनी भूमिका से लगातार इनकार किया है। उन्होंने एक बार यह भी कहा था कि ईरान के पूर्व सर्वोच्च नेता अयातोल्ला ख़ुमैनी के फतवे के मुताबिक यह सजा ‘उचित’ थी।

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