S. Jayshankar : विदेश मंत्री एस. जयशंकर अपनी बात को स्पष्ट रूप से रखने के लिए जाने जाते हैं। 2014 के बाद से भारत की विदेश नीति में काफी बदलाव आया है और आतंकवाद से निपटने के लिए काफी नियम बदलें हुए है। जब आतंकवादी नियम को नहीं मानते तो फिर कारवाई नियम के अनुसार क्यों। एस जयशंकर पुणे में ‘भारत क्यों मायने रखता हैः युवाओं के लिए अवसर और वैश्विक परिदृश्य में भागीदारी’ शीर्षक से एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे।
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वेिदेश मंत्री ने युवाओं से की बातचीत
यहां उन्होंने मौजूद युवाओं से बातचीत की। कार्यक्रम के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर से पूछा गया कि भारत को किन देशों के साथ संबंध बनाए रखने में मुश्किल लगता है? जयशंकर ने जबाब में कहा कि हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान और इसके लिए केवल हम ही जिम्मेदार हैं। देश के विदेश मंत्री ने बताया कि 1947 में, जब पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला किया था,तब भारतीय सेना ने उनका जम कर मुकाबला किया और जम्मू कश्मीर का भारत में विलय हो गया था।
भारत आतंकवाद को कभी नहीं स्वीकार करेगा
उन्होंने आगे कहा कि जब भारतीय सेना कार्रवाई कर रही थी, तब हम रुक गए और संयुक्त राष्ट्र (UN) में गए। पाकिस्तान ने हमलावरों को आतंकवादियों के बजाय कबायली घुसपैठिए बताया था। अगर हम शुरू से ही यह स्पष्ट कर देते कि पाकिस्तान आतंकवाद का इस्तेमाल कर रहा है, तो हमारी नीति 70 साल पहले ही बहुत अलग होती। उन्होंने यह भी कहा कि, किसी भी हालत में भारत आतंकवाद को स्वीकार नहीं करेगा।
आतंकवादियों को जवाब देने के लिए कोई नियम नहीं हो सकते
जयशंकर ने पिछली सरकार पर तंज कस्ते हुए कहा कि अगर मुंबई (26/11) जैसा कुछ होता है और कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है तो कोई सरकार अगले हमले को कैसे रोक सकता है। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों को यह महसूस नहीं होना चाहिए कि वे सीमा पार हैं, कोई उन्हें छू नहीं सकता। आतंकवादी किसी भी नियम से नहीं खेलते हैं इसलिए आतंकवादियों को जवाब देने के लिए कोई नियम नहीं हो सकते।