Bhavishya Badri Temple : उत्तराखंड के चार धाम विश्व प्रसिद्ध हैं, जहां हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु गण आते है। केदारनाथ, ब्रदीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम लोगों के लिए आस्था का केंद्र हैं। बद्रीनाथ धाम के सतोपंथ से दक्षिण दिशा में नंदप्रयाग नामक क्षेत्र है, जिसे बद्रीक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता हैं।
बद्रीक्षेत्र में विष्णु जी को समर्पित पांच मंदिर हैं, जिन्हें पंच बद्री के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा यहां पर योगध्यान बद्री मंदिर, वृद्ध बद्री मंदिर, आदि बद्री मंदिर, भविष्य बद्री मंदिर (Bhavishya Badri Temple) और अन्य कई बद्री मंदिर हैं। सभी मंदिरों की अपनी अलग मान्यता और महत्त्व है।
जोशीमठ में मौजूद नरसिंह मंदिर में भगवान नरसिंह की मूर्ति विराजमान हैं। हालांकि भगवान की मूर्ती के बाएं हाथ की कलाई अब धीरे-धीरे घिस रही है, जो कुछ ही समय में टूट जाएगी। स्कंध पुराण की मान्यताओं के अनुसार, एक समय ऐसा आएगा जब भगवान नरसिंह (God Narsingh) की मूर्ती पूरी तरह से खंडित हो जाएगी। साथ ही जोशीमठ भी पूरी तरह से ठप्प हो जाएगा।
इसके अलावा नर नारायण पर्वत का अन्य पर्वतों से टकराव होगा, जिसके बाद बद्रीनाथ मंदिर से करीब 45 किलोमीटर की दूरी पर जोशीमठ का रास्ता बंद हो जाएगा। जिससे भगवान बद्रीनाथ धाम की पूजा-अर्चान के लिए श्रद्धालु का आवागमन बंद हो जाएगा। इसलिए कहा जा रहा है कि बद्रीनाथ की पूजा दुर्गम पहाड़ियों के बीच बने भविष्य बद्री मंदिर (Bhavishya Badri Temple) में हुआ करेगी। जो उत्तराखंड के जोशीमठ शहर के तपोवन से करीब 21 किलोमीटर दूर है। मान्यता के अनुसार, इसी जगह पर बद्रीनाथ धाम मंदिर स्थापित होगा। यहीं (Bhavishya Badri Temple) पर भगवान बद्री का पूजन किया जाएगा। हालांकि ये लाखों वर्ष बाद कि मान्यता है।