हर वर्ष देश में 12 अक्टूबर के दिन वर्ल्ड अर्थराइटिस डे मनाया जाता हैं। इस दिन डॉक्टर और अन्य प्रोफेशनल, कैंपेन और जागरूकता अभियान चलाते है व इस बीमारी से ठीक होने के लिए उपचार आदि के बारे में सलाह देते है। गठिया एक बेहद दर्दनाक बीमारी है। जिसमें जोड़ों में बहुत ज्यादा दर्द होता है। गठिया की तकलीफ बढ़ने से कई बार जॉइंट्स भी बेकार हो जाते हैं, और तब सर्जरी की जरूरत होती है। हालांकि अगर इसे समय रहते कंट्रोल किया जाए तो कोई परेशानी नहीं होगी।
समय पर उपचार से मिलेगी राहत
अर्थराइटिस में जॉइंट पेन व हाथ-पैरों में सूजन की बीमारी होती है, और कई बार समस्या बढ़ने पर जोड़ों में परमानेंट डैमेज तक हो जाता है। बता दें कि अर्थराइटिस ग्रीक शब्द ‘अर्थो’ से निकला है, जिसका मतलब होता है जोड़ और आइटिस का मतलब होता है इंफ्लेमेशन व अर्थराइटिस का मतलब है जोड़ों में सूजन होना। गाउट ल्युपस, ऑस्टियोअर्थराइटिस और रूमेटॉयड अर्थराइटिस आदि, ये गठिया के प्रकार है। जिसका समय से उपचार करवाने के साथ ही मरीज इस बीमारी के साथ आरामदायक जीवन जी सकता है।
लंबे समय तक चलती है दवाईयां
पारंपरिक इलाज से, गठिया के दर्द और सूजन को कम करने के लिए पेन किलर दवाएं डॉक्टर द्वारा उपलब्ध कराई जाती है। दर्द और सूजन को कम करने के लिए नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा और सूजन को कम करने और इम्यून सुस्टन को दबाने के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाई है। इसके आलावा फिजियोथेरेपी से भी जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत करने और गति की सीमा में सुधार करने में लाभदायक माना जाता है। दर्द को कम करने और जोड़ों को फिर से संरेखित करने के लिए सर्जरी भी की जाती है। हालांकि, इसके अभी कई साइड इफेक्ट्स हैं।
क्या कहता है प्राचीन विज्ञान?
प्राचीन विज्ञान के अनुसार, शरीर में घूमने वाले अतिरिक्त वात या अमा जोड़ों में जमा हो जाते हैं, जिससे सूजन पैदा होती है, और इसी वजह से गठिया की बीमारी होती है। इसके अलावा शरीर में मूवमेंट की कमी, भावनात्मक तनाव और अनुचित जीवन शैली भी कुछ अन्य कारण हैं, गठिया के। मालिश और योग गठिया में असरदार साबित होता है।
डायट में शामिल करें ये बदलाव
गठिया के लक्षण पाए जाने या बीमारी का पता लगने के बाद, कुछ बदलाव से राहत मिल सकती है। जैसे-
– रोजाना पोषण भोजन करें
– एसिडिक खाने से बचें
– बिना पॉलिश किए लंबे दाने वाले चावल या लाल चावल का सेवन करें
– हरी सब्जियां खाएं
– ताजे फलों का करें सेवन
– रात को भिगोए अंगूर और अंजीर सुबह खाली पेट खाएं