Womens And Periods: संसार में हर स्त्री को हर महीने मासिक धर्म होता है। आम भाषा में इसे पीरीयड्स (PERIODS) और मेन्शरेशन (MENSTURATION) भी कहते हैं। जिसमें स्त्रियों की योनि से गर्भाशय द्वारा रक्तस्राव होता है। मासिक धर्म को लेकर अलग-अलग वैज्ञानिक और पौराणिक कहानियाँ बताई जाती है। मुख्य रूप से ऐसा माना जाता है की मासिक धर्म के समय स्त्री जाती को अशुद्ध माना जाता है। युगों से ये प्रथा चलती चली आ रही हैं की मासिक धर्म के काल में स्त्री पूजा-पाठ नहीं कर सकती यहाँ तक की किसी धार्मिक पुस्तक को भी हाथ नहीं लगा सकती।
कई घरों में आज भी ऐसा माना जाता हैं की स्त्री को इस समय रसोई घर में भी नहीं जाना चाहिए और न ही अनाज भंडार या किसी खाने की सामग्री को हाथ लगाना चाहिए। इसमे कोई शक नहीं हैं की मासिक धर्म एक प्राक्रतिक प्रक्रिया है लेकिन ये सिर्फ स्त्री जाति के हिस्से में ही क्यों आई। जानते हैं इसके पीछे वैज्ञानिक और धार्मिक कारण क्या है।
मासिक धर्म के पीछे की पौराणिक कथा
भगवत पुराण के अनुसार एक बार इन्द्र देव को ब्रह्महत्या का पाप लगा था। उस पाप से मुक्ति पाने के लिए इन्द्र देव ने भगवान विष्णु की तपस्या की थी। कई वर्षों तक तपस्या करने पर जब भगवान विष्णु प्रसन्न हुए उन्होंने इन्द्र देव से वरदान मांगने को कहा। तब इन्द्र देव ने उनसे ब्रह्मज्ञानी की हत्या के पाप से मुक्ति मांगी। भगवान विष्णु ने कहा उस पाप को जल, धरती, वृक्ष और स्त्री में बराबर हिस्सों में बांटने से इस पाप से मुक्ति मिल जाएगी।
तब देवराज इन्द्र ने इन चारों में अपने ब्रह्महत्या के पाप को ग्रहण करने का अनुरोध किया और उसके बदले उन्हे एक-एक वरदान देने का वादा किया। वृक्ष को वरदान मिला की वह खुद ही जीवित हो सकता है। जल को वरदान मिला की वह किसी भी चीज को शुद्ध कर सकता है। धरती को वरदान मिला की उस पर किसी भी चोट का कोई प्रभाव नहीं होगा। स्त्री जाति को ब्रह्महत्या का पाप लेने के बदले मासिक धर्म की यातना मिली जिसके बदले वरदान मिला की स्त्री जाति अपने मासिक धर्म द्वारा एक शिशु को जन्म दे सकती है।
मासिक धर्म के पीछे वैज्ञानिक कारण | Womens And Periods
हम सब जानते हैं की एक शिशु की जन्म देने की क्रिया केवल स्त्री जाति ही सम्पन्न कर सकती है। जब स्त्री यौवन में प्रवेश करती है तब हर महीने शुक्राणु कोशिका द्वारा एक अंडे का निर्माण होता है। वह अंडा गर्भाशय की दीवार से जुड़ जाता है जिससे गर्भाशय की दीवार मोटी हो जाती है और अंडा निषेचित न होने पर गर्भाशय की दीवार टूट जाती है जिससे रक्तस्राव होने लगता है जिसे मासिक धर्म कहते हैं।
मासिक धर्म में स्त्री जाति को अशुद्ध क्यों माना जाता हैं ? Womens And Periods
वेदों और पुराणों में ऐसा माना जाता हैं की क्योंकी मासिक धर्म एक ब्रह्महत्या के पाप का परिणाम हैं इसलिए इस काल में स्त्री जाति को अपवित्र और अशुद्ध माना जाता है लेकिन वैज्ञानिकों ने इसके पीछे अलग कारण बताए हैं। वैज्ञानिकों द्वारा की गई रिसर्च के अनुसार बताया गया की मासिक धर्म के दौरान स्त्री जाति के शरीर से इन्फेक्टिड ब्लड निकलता है जिससे शरीर का तापमान बढा रहता है या असंतुलित रहता है।
इस काल में स्त्री के शरीर से ऐसी हाई रेडीएशन निकलती हैं जो खाने की किसी भी चीज को खराब कर सकती हैं। धार्मिक कार्यों से दूर रहने का कारण हैं स्त्री जाति के अंदर होने वाले हॉर्मोनल इम्बैलन्स। इसके वजह से उनका मन अशांत रहता है उनके अंदर एक तरह का तनाव रहता है यही कारण है की पुरनेकाल से ही इस समय में स्त्री जाति को मानसिक और शरीरीक रूप से पूरा विश्राम देने के लिए सभी तरह के धार्मिक और शारीरिक कार्यों से दूर रखा जाता हैं।