Tea effect arthritis problem : देश में अर्थराइटिस की बीमारी के मामले लगातार बढ़ते जा रहें हैं। ये एक ऑटोइम्यून बीमारी होती है, जो शरीर के इम्यून सिस्टम के साथ-साथ शरीर के अलग-अलग टिशूज और मांसपेशियों पर सीधा हमला करती है। इस कारण मांसपेशियों और हड्डियों के बीच में घर्षण (Friction) बढ़ता है। इससे हड्डियों में दर्द, सूजन और सुन पन की समस्या आम बन जाती हैं। सही समय पर इसका इलाज नहीं कराने पर ये समस्या पूरे शरीर के अलग-अलग ज्वाइंट्स यानी जोड़ों में होने लगती हैं।
इस बीमारी से ग्रसित लोगों के मन में एक सवाल हमेशा रहता है कि क्या अर्थराइटिस में चाय पीनी चाहिए या नहीं। आज हम आपको इसी के बारें में बताएंगे।
जानिए चाय पीनी चाहिए या नहीं
अर्थराइटिस (arthritis problem) की समस्या में व्यक्ति द्वारा, दूध वाली चाय और कॉफी का ज्यादा सेवन करने से परेशानी बहुत ज्यादा बढ़ सकती है। प्रतिदिन इनका सेवन करने से अर्थराइटिस के रोगियों को जोड़ों में सूजन और मांसपेशियों की अकड़न बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। साथ ही इसका नियमित रूप से सेवन करने से मेटाबोलिक रेट भी प्रभावित होता है, जिससे कई और बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती हैं। इसलिए अर्थराइटिस के रोगियों को दूध वाली चाय या कॉफी बिल्कुल भी नहीं पीनी चाहिए।
कौन सी चाय पिएं
अर्थराइटिस के रोगियों को ग्रीन टी (Green tea) या ब्लैक टी (black tea) पीनी चाहिए। इनको पीने से शरीर को कोई नुकसान नहीं होगा और न ही दर्द और सूजन की समस्या बढ़ेगी। ग्रीन टी और ब्लैक टी में पॉलीफेनोल्स पाया जाता है, जो सूजन को कम करने के साथ-साथ दर्द में भी राहत दिलाता हैं। इसके अलावा इन दोनों चाय में कई एंटीऑक्सीडेंट्स तत्व पाए जाते हैं, जो हड्डियों के बीच आई घर्षण को कम करता है।
हर्बल टी भी है फायदेमंद
हरसिंगार की चाय और सौंठ की चाय भी अर्थराइटिस की समस्या में फायदेमंद होती हैं। इन दोनों चाय में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते है, जो सूजन और दर्द से राहत दिलाने का काम करते हैं। साथ ही इनमें पाए जाने वाले पोषक तत्व, शरीर में मेटाबोलिक रेट का संतुलन बनाए रखने में मदद करते है।
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