Home धर्म Gopashtami 2024: क्यों मनाई जाती है गोपाष्टमी? जानें गोपाष्टमी का महत्व

Gopashtami 2024: क्यों मनाई जाती है गोपाष्टमी? जानें गोपाष्टमी का महत्व

0
10
Gopashtami 2024

Gopashtami 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह बहुत ही महत्वपूर्ण और आध्यात्मिक माना जाता है। इस महीने में कई व्रत और त्यौहार आते हैं। इसी तरह कार्तिक के महीने में आने वाली अष्टमी तिथि आध्यात्मिक रुप से महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसे गोपाष्टमी के नाम से मनाया जाता है। हिंदू धर्म में गोपाष्टमी का बहुत महत्व होता है। इस दिन लोग व्रत और पूजा करते हैं।

कब मनाई जाती है गोपाष्टमी?

गोपाष्टमी हर साल कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है।

इस वर्ष कब मनाई जाएगी गोपाष्टमी?

इस वर्ष गोपाष्टमी 9 नंवबर 2024 दिन को मनाई जाएगी।

क्यों मनाई जाती है गोपाष्टमी?

गोपाष्टमी मनाए जाने के पीछे शास्त्रों में एक कथा प्रचलित है। जब भगवान श्री कृष्ण 6 साल के हुए तब वह अपनी मैया से जिद करने लगे कि अब वह बङे हो गए हैं, उन्हें बछङा नहीं गाय चराने जाना है। उनके जिद करने पर माता यशोदा ने उन्हें नंद बाबा से आज्ञा लेने को कहा।

जब भगवान श्री कृष्ण नंद बाबा से जिद करने लगे तो वह उन्हें लेकर शांडिलय ऋषि के पास गैया चराने के लिए मुहूर्त पूछने गए। शांडिलय ऋषि ने बताया कि गैया चराने के लिए आज के दिन को छोङकर पूरे एक साल तक कोई अच्छा मुहूर्त नहीं है।

उसी दिन से भगवान श्री कृष्ण ने गैया चराना शुरु कर दिया। वह दिन गोपाष्टमी का दिन था। उसी दिन से गोपाष्टनी मनाई जाती है।

क्या है गोपाष्टमी का महत्व

हिंदू धर्म में गोपाष्टमी का बहुत महत्व होता है। इस दिन जिन जो लोग गाय और बछङे का पालन करते हैं, गोपाष्टमी के दिन वह अपने पशुओं की पूजा करते हैं। बताया जाता है कि भगवान श्री कृष्ण के साथ-साथ इसी दिन राधा रानी ने भी ग्वाले का रुप बनाकर गैया चराना शुरु किया था।

गोपाष्टमी का एक महत्व ये भी है कि जब भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र देव के अभिमान को खत्म करने के लिए गोवर्धन पर्वत अपनी ऊँगली पर उठाकर रखा था, तब सांतवे दिन ही देवराज इंद्र को अपनी गलती का अहसास हुआ था और उन्होने भगवान श्री कृष्ण से माफी मांगी थी। यही कारण है कि गोपाष्टमी गोवर्धन पूजा के ठीक सात दिन बाद मनाई जाती है।

गोपाष्टमी की पूजा कैसे करें?

जैसा कि गोपाष्टमी के नाम से ही पता चलता है, कि यह दिन मुख्य रुप से गायों को ही समर्पित होता है। इस दिन गायपालन करने वाले लोग अपनी गायों की पूजा करते हैं।

सुबह-सुबह उठकर गायों को स्नान कराते हैं। गौ माता के माथे पर हल्दी या रोली का हल्का सा तिलक लगाते हैं। कुछ लोग तो गौ माता को नए वस्त्र भी चढाते हैं। पूजा की थाली में धूप, दीप और फूल रखकर गौ माता की आरती की जाती है। गौ माता को ताजा शाक और चारा खिलाया जाता है।

जिन लोगों के पास गाय या बछङा नहीं होता या गाय पालन नहीं करते। वे लोग गौशाला में जाकर गायों की पूजा करते हैं। अपने घरों से पूजा की सामाग्री ले जाते हैं और गौ माता को भोग लगाने के लिए ताजी रोटी या शाक ले जाते हैं। गौशाला में गौ माता की पूजा करते हैं और उन्हें भोग लगाते हैं।

ये भी पढ़ें: Govardhan Puja 2024: गोवर्धन पूजा उत्सव कब और क्यों मनाया जाता है?