Shakuni : महाभारत की कहानी तो अति प्रचलित और रोचक है। इस महाकाव्य के हर एक किरदार ने लोगों के मन में एक अलग छवि बनाई है। अर्जुन से लेकर श्रीकृष्ण तक हर एक किरदार का अपना एक अलग रोल और अलग महत्व है। हालांकि महाभारत के एक किरदार को कोई नहीं भूल सकता और वो किरदार है, मामा शकुनि का। शकुनि वहीं थे, जिनके कारण महाभारत जैसा ऐतिहासिक युद्ध शुरू हुआ, लेकिन क्या आप सभी जानते हैं कि कौरवों के साथ रहने के बावजूद भी शकुनि कौरवों के सबसे बड़े शत्रु थे, जिन्होंने धृतराष्ट्र और कौरवों के विनाश की कसम ली थी। आइए जानते हैं इसके पीछे की पूरी कहानी-
कौन थे शकुनि?
दरअसल, गांधार देश के राजा के सबसे छोटे पुत्र थे शकुनि। आपको बता दें कि गांधार देश के राजा सुबल के 100 पुत्र और एक पुत्री थी, जिसमें सबसे छोटे पुत्र थे शकुनि, जबकि उनकी इकलौती पुत्री का नाम था गांधारी। शकुनि की पत्नी का नाम था आरशी और उनके तीन पुत्र थे, जिनके नाम थे- उलूक, वृकासुर और विप्रचित्ती। शकुनी की बहन गांधारी का विवाह राजा धृतराष्ट्र से हुआ था और यहां तक कि कहानी तो सभी को पता ही होगी, लेकिन इसके बाद ऐसा क्या हुआ था कि शकुनि ने धृतराष्ट्र से बदला लेने का निर्णय कर लिया? तो आपको बता दें कि जब गंधारी विवाह योग्य हो गईं और उनके लिए रिश्ता देखा जाने लगा था तब ज्योतिषियों ने बताया कि गांधारी की जन्म कुंडली में प्रथम पति की मृत्यु का योग था। ऐसे में इस दुर्घटना को टालने के लिए उन्होंने एक सुझाव दिया और कहा कि गांधारी की शादी एक बकरे से कर दी जाये, बाद में बकरे को मार दिया जाये। ज्योतिषों के अनुसार ऐसा करने से कुंडली की बात सिद्ध हो जाएगी और बाद में गांधारी की दूसरी शादी कर दी जाये। राजा सुबल के आदेश पर ऐसा ही हुआ और इसके बाद गांधारी की शादी के लिए धृतराष्ट्र का रिश्ता आया।
शकुनि के भाइयों और पिता को क्यों हुई थी जेल?
हालांकि धृतराष्ट्र के जन्मांध होने के कारण शकुनि को ये रिश्ता जरा भी पसंद नहीं था, क्योंकि उनका सारा राजपाट तो उनके भाई पांडु ही देखते थे, लेकिन पिता के आदेश के सामने शकुनि की एक ना चली और उन्होंने मान लिया कि होनी को कौन टाल सकता है। इसके बाद गांधारी का विवाह राजा धृतराष्ट्र के साथ हो गया, लेकिन किस्मत ने ऐसा खेल खेला कि नाजाने कैसे धृतराष्ट्र और पांडु को गांधारी की कुंडली और प्रथम विवाह का पता चल गया। इस बात को जानने के बाद राजा को बड़ा क्रोध आया कि उनसे इतनी बड़ी बात छुपायी क्यों गयी? इसते तहत उन्होंने मान लिया कि गांधारी एक तरह से विधवा ही थी और उसकी कुंडली में दोष भी था। ऐसे में इस छल से चिढ़कर उन्होंने गांधारी के पिता और 100 भाइयों को कारागार में डाल दिया।
शकुनि ने क्यों किया था धृतराष्ट्र से बदला लेने का फैसला?
राजा धृतराष्ट्र से बात जानते थे कि धर्म के अनुसार युद्ध बंदियों को जान से मारा नहीं जा सकता, इसलिए उन्होंने गांधारी के परिवार को भूखा रखकर मारने की सोची। इसके तहत उन्हें रोज केवल एक मुट्ठी अनाज दिया जाता था, जिसमें से सभी को खाना था।
गांधारी के पिता और भाई समझ गए थे कि राजा और पांडुओं ने मिलकर उन्हें भूखा मारने की योजना बनाई है, इसलिए उन्होंने वो एक मुट्ठी अनाज परिवार के सबसे छोटे बेटे शकुनि को देने का फैसला किया, ताकि उनमें से कम से कम एक सदस्य की जान बचे। शकुनि ने हर रोज अपने आँखों के सामने अपने भाइयों और पिता को तिल-तिल के मरते हुए देखा। ऐसे में शकुनि ने अपने मन में धृतराष्ट्र के प्रति गहरी बदले की भावना बना ली और बाद में चतुर शकुनि अपनी चालाकी का इस्तेमाल करके जेल से छूट गया और दुर्योधन का प्रिय मामा बन गया। आगे चलकर शकुनि ने अपने पिता और 100 भाइयों की मौत का बदला दुर्योधन और उसके 100 भाइयों के विनाश की योजना बनाकर लिया।