वर्तमान में हम सभी अपने निजी कार्यों के लिए वाहनों का इस्तेमाल करते है। लेकिन क्या आपने कभी ध्यान दिया है इन सभी वाहनों के टायर का रंग काला ही क्यों होता है? तो चलिए आज हम आपको इसकी के बारे में बताते हैं।
हम सभी ने जितने भी टायर देखे होंगो वो काले रंग के होते है जानते है इसके पीछे एक बड़ा साइंस हैं तभी सभी वाहन कंपनियां काले टायरों का ही इस्तेमाल करती है। दरअसल, काले टायर को लेकर कहा जाता हैं कि कच्चा रबर आमतौर पर पीले रंग का होता है लेकिन इस रबर से टायर बनाने पर वह जल्दी घिस जाता है इसलिए टायर बनाने वाले रबर में कार्बन मिलाया जाता है ताकी वह लंबा चले। इसकी मजबूती के लिए मिलाया जाने वाला कार्बन टायर के रंग को काला कर देता है। कार्बन के अलावा इसमें सल्फर भी मिलाया जाता है जिसकी वजह से टायर में मजबूती आती है।
जानकारी के लिए बता दें कि पहले गाड़ियों के टायर सफेद रंग के भी हुआ करते थे। इसके बारे में कहा जाता हैं कि काले टायर की अपेक्षा सफेद, दूधिया रंग के टायर कम मजबूत हुआ करते थे। इसलिए काले रंग के टायर बनाए जाने लगे। आपने बच्चों की छोटी साइकिल देखी होगी। इनमें रंग-बिरंगे टायर इस्तेमाल किए जाते हैं। जो चंद महीनों में घिसकर खत्म हो जाते हैं क्योंकि इनमें कार्बन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। एक रिपोर्ट की मानें तो कोई सादे रबर वाली टायर जहां 8 हजार किलोमीटर चल सकती है, वहीं कार्बनयुक्त रबर का टायर 1 लाख किलोमीटर तक चल सकती है।