Makar Sankranti 2023 : भारत में हर एक पर्व पर अलग ही रौनक देखने को मिलती है। देश में प्रत्येक त्यौहार बहुत ही हर्ष-उल्लास के साथ मनाया जाता हैं। हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति के पर्व का बहुत महत्त्व हैं। इस दिन आसमान में पतंगें और घरों में तिल, गुड और लड्डू देखने को मिलते है।
मान्यता के अनुसार, इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, जिसके बाद शुभ मुहूर्त की शुरुआत होती है। मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के पावन पाव के दिन सूर्य देव, विष्णु जी और कुल देवी-देवताओं को तिल के लड्डू का भोग लगाया जाता है। हालांकि, इस परंपरा के पीछे एक साइंटिफिक लॉजिक भी है। आज हम आपको इस आर्टिकल में उसी कारण के बारें में बताएंगे।
तिल और गुड़ की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार सूर्य देवता ने अपने पुत्र शनि देव पर गुस्सा करते हुए, उनके घर कुंभ राशि को जला कर राख कर दिया था। हालांकि, इसके बाद शनि देव ने सूर्य देव से माफी मांगी और उनकी वंदना की। इससे प्रसन्न होकर सूर्य देव ने कहा, जब भी मैं मकर राशि में आऊंगा। अपने साथ धन, धान्य और खुशियों का आशीर्वाद लाऊंगा।
इसके बाद जब पहली बार सूर्य देव ने शनि देव के घर में आगमन किया तो उन्होंने पिता को तिल और गुड़ का भोजन कराया। पुत्र द्वारा तिल और गुड़ का भेंट पाकर, सूर्य देव प्रसन्न हुए और वरदान देते हुए उन्होंने कहा मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन जो भी व्यक्ति, तिल और गुड़ से मेरी पूजा-अर्चना करेगा। उस पर हमेशा शनि और सूर्य की कृपा बनी रहेगी। तभी से हर वर्ष मकर संक्रांति के दिन घरों में तिल-गुड़ खाने की परंपरा शुरू हो गई।
जानिए क्या कहता हैं साइंस
मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन तिल और गुड़ खाने का साइंटिफिक कारण भी हैं। आमतौर पर मकर संक्रांति का पर्व सर्दियों के मौसम में आता है। बता दें कि तिल और गुड़ की तासीर गर्म होती है। इसलिए इस त्यौहार के दिन तिल और गुड़ खाना स्वास्थ के लिए फायदेमंद होता है। साथ ही इनसे इम्युनिटी भी बूस्ट होती हैं।
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