Nusrat Fateh Ali Khan: मशहूर पाकिस्तानी गायक और कंपोजर नुसरत फतेह अली खान भले ही आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन उन्होंने अपने गानों के जरिए अपना नाम अमर कर लिया है। नुसरत साहब की आवाज और गाने का अंदाज ही कुछ ऐसा था कि वर्तमान में या भविष्य में जब भी दुनिया के सबसे बड़े और दिग्गज गायकों का नाम लिया जाएगा, उसमें नुसरत फतेह अली खान का नाम जरुर शामिल होगा।
नुसरत फतेह अली खान ने लिखे थे ‘कच्चे धागे’ के लिए गाने
नुसरत फतेह अली खान ने अपने दौर में अनगीनत गाने गाए, जो अबतक लोगों की जुबान पर बसे हुए हैं। साथ ही उन्होंने कई बॉलीवुड फिल्मों के लिए भी कई बेहतरीन गाने लिखे और गाए भी। इन्हीं में से एक फिल्म अजय देवगन की कच्चे धागे भी रही। इस फिल्म की एक्टिंग के साथ लोगों को इस फिल्म के गाने भी काफी पसंद आए थे। और पसंद आए भी क्यों ना फिल्म का संगीत खुद नुसरत फतेह अली खान ने जो तैयार किया था।
शुरूआत में फिल्म के लिए गाने को तैयार नहीं थे नुसरत फतेह अली खान
उस दौर में नुसरत फतेह अली खान सिंगिंग जगत का जाना माना नाम बन चुके थे, और बड़े से बड़े निर्देशक उन्हें अपनी फिल्म के लिए गाने लिखने और गाने के लिए अप्रोच करने आते रहते थे। हालांकि जब कच्चे धागे के लिए उन्हें फिल्म के निर्देशक मिलन लूथरिया ने अप्रोच किया, तो उन्होंने साफ इंकार कर दिया। वो शुरूआत में इस फिल्म में गाने के लिए तैयार नहीं थे। इस बात का खुलासा खुद फिल्म के निर्देशक मिलन लूथरिया ने एक इंटरव्यू के दौरान किया था।
नुसरत साहब से मिन्नतें करने लंदन पहुंच गए थे फिल्म निर्देशक
दरअसल, शुरू में नुसरत फतेह अली खान उनकी फिल्म में संगीत नहीं देना चाहते थे, क्योंकि वे नए निर्देशक के साथ काम नहीं करना चाहते थे। हालांकि उस दौर में नुसरत फतेह अली खान की आवाज भी फिल्मों के हिट होने की गारंटी मानी जाती थी। ऐसे में उन्हें मनाने के लिए निर्देशक मिलन लूथरिया लंदन तक पहुंच गए थे।
वहां भी काफी इंतजार करने के बाद उनकी मुलाकात नुसरत साहब से हुई। इस दौरान उन्होंने एक बार फिर उनसे अपनी फिल्म में गाने की रिक्वेस्ट की और इस बार भी उन्होंने साफ इंकार कर दिया। ऐसे में जिज्ञासा से मिलन लूथरिया ने आखिरकार नुसरत फतेह अली खान से पूछ लिया कि आखिर उन्हें इस फिल्म में उनके साथ काम करने में क्या दिक्कत है?
जब नुसरत साहब ने गाए थे बैक-टू-बैक 55 गाने
उनकी इस बात का जवाब देते हुए नुसरत साहब ने बड़े ही आदर से कहा था कि, “बुरा मत मानिएगा लेकिन, मैं आपके साथ काम नहीं कर सकता। मेरा शऊर मेरे लिए ज्यादा जरूरी है।” उनकी ये बात सुनने के बाद मिलन निराश मन से वहां से लौटने लगे। हालांकि तभी नुसरत साहब ने उनसे उनके पसंदीदा संगीतकार का नाम पूछ लिया।
ऐसे में मिलन लूथरिया ने मदन मोहन का नाम लिया। मदन मोहन भी अपने दौर के सबसे यादगार गायकों में से एक रह चुके हैं। बस फिर क्या था मिलन के मुंह से ये नाम सुनते ही नुसरत फतेह अली खान ने अपना हॉर्मोनियम मंगाया और निर्देशक को घंटों तक मदन मोहन के गाने सुनाए। इसके बाद उन्होंने उन्हें अगले दिन मिलने के लिए बुलाया। दूसरे दिन जब मिलन लूथरिया नुसरत साहब से मिलने पहुंचे, तो उन्होंने उन्हें चार घंटे में कुल 55 गाने सुना दिए और बड़े ही प्यार भाव से कहा कि इनमें से कोई सात चुन लीजिए।