Hinduism : सनातन धर्म इतना गहरा और प्रबल है कि इसे समझना आसान नहीं है। सनातन धर्म में मोक्ष का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। जो लोग धर्म के मार्ग पर चलते है उनका अंतिम लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति होता है। मोक्ष का मतलब है संसार के जीवन मरण को छोड़ आत्मा का परमात्मा के साथ हमेशा के लिए मिलन। मोक्ष का अर्थ है संसार के सभी चक्रो से आज़ाद होना। आत्मा का धरती पर जन्म लेने के पीछे एक कारण होता है। ये एक सफर है जिसमे प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आत्मा को परमात्मा से जोड़ना है।
मनुष्य अपनी अंतरात्मा को पहचान कर मोक्ष हासिल कर सकता है। मोक्ष के लिए व्यक्ति को कर्मों के बंधन से मुक्त होने की आवश्यकता होती है। मनुष्य को बिना कोई फल की इच्छा रखे निस्वार्थ कर्म करते चले जाना चाहिए। इससे आत्मा और मन दोनों साफ होगा। अगर कर्म खराब है तो परमात्मा से मिलन असंभव है। इसलिए,हमेशा अच्छे कर्म करें। मोक्ष प्राप्ति के लिए, आत्मज्ञान और आत्मसाक्षात्कार की प्राप्ति आवश्यक है। यह आत्मा की स्वार्थता से परे उसके असली स्वरूप को समझने की प्रक्रिया है। मोक्ष का मार्ग भक्ति और सेवा के माध्यम से भी प्राप्त किया जा सकता है।
इसका मतलब है परमात्मा से प्रेम और उनकी सेवा। भक्ति और सेवा का मतलब है प्रतिदिन पूजा करना, दान पुण्य, भगवान की प्रतिमा को नहलना, भगवान को भोग लगाना, भगवान को अच्छे वस्त्र पहनाना, मंदिर की साफ सफाई आदि। इसी के साथ गुरु के मार्गदर्शन और शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सनातन धर्म में गुरु की महिमा सबसे ऊंची है। जब भगवान राम और कृष्ण भी धरती पर आये थे तो उन्होंने भी गुरु की शरण ली थी। ये सीख हम इंसानो के लिए है कि हमेशा धर्म की राह पर चलना चाहिए और मन सच्चा रखना चाहिए। सनातन धर्म में कई ग्रन्थ जैसे की श्रीमद भगवद गीता भी मोक्ष के बारे में बतलाती है। श्री कृष्णा स्वयं कहते हैं कि ” मेरी शरण में आने से तुम मुझे स्वयं प्राप्त करलोगे “।